Monday, December 17, 2018

पाठकमंच : सूर्यनाथ सिंह के उपन्यास "नींद क्यों रात भर नहीं आती" पर डॉ. (सुश्री) शरद सिंह के विचार - डॉ. वर्षा सिंह

Dr. Varsha Singh

विगत दिनांक 09.12.2018 को साहित्य अकादेमी मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद भोपाल के स्थानीय उपक्रम सागर पाठक मंच के तत्वाधान में उपन्यासकार सूर्यनाथ सिंह  के उपन्यास "नींद क्यों रात भर नहीं आती" पर चर्चा-गोष्ठी का आयोजन हुआ जिसमें मुख्य अतिथि डॉ. (सुश्री) शरद सिंह थीं। उपन्यास की विशेषताओं पर प्रकाश डाला। 

नींद क्यों रात भर नहीं आती - सूर्यनाथ सिंह

          पाठकमंच सागर इकाई के संयोजक उमाकांत मिश्र के संचालन में आयोजन का आरम्भ मेरी यानी डॉ वर्षा सिंह की सस्वर सरस्वती वंदना से हुआ, तदोपरांत श्रीमती सुशीला सराफ एवं श्री हरि सिंह ठाकुर ने पुस्तक पर अपने समीक्षा आलेखों का वाचन किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता की लक्ष्मी नारायण चौरसिया ने।
Dr. (Miss) Sharad Singh

Dr. (Miss) Sharad Singh





             मुख्य अतिथि डॉ. (सुश्री) शरद सिंह ने अपने उद्बोधन में कहा कि एक कहानी में एक से अधिक कहानियों का जुड़ते जाना किस्सागोई शैली की खूबी है। जब इस शैली का प्रयोग उपन्यास में किया जाता है तो जोखिम बढ़ जाते हैं।  सूर्यनाथ सिंह ने अपने उपन्यास 'नींद क्यों रात भर नहीं आती' में इस जोखिम को उठाते हुए किस्सागोई शैली का बेहतरीन प्रयोग किया है। यही इस उपन्यास की विशेषता भी है। लेखक की अन्वेषक दृष्टि से प्रस्तुत कहानियों ने उपन्यास की समसामायिकता को जिस ढंग से उभारा है, वह उल्लेखनीय है। उपन्यास लेखन में नए प्रयोग उपन्यास की महत्ता को बढ़ा देते हैं।

Dr. (Miss) Sharad Singh



Dr. Varsha Singh



          .."नींद क्यों रात भर नहीं आती " उपन्यास में एक वयोवृद्ध सेवानिवृति कर्मचारी के जीवन के अवसाद की व्यथा कथा है। उनके जीवन की विविध आरोपों-प्रत्यारोपों की दशा का मार्मिक वर्णन है। पुस्तक का शीर्षक ही स्पष्ट कर देता है कि नींद ना आने की वजह मुख्य पात्र का समाज के प्रति जागरूक रवैया, विसंगतियों के प्रति चिंताएं, संबंधों के टूटन के प्रति मनोवैज्ञानिक उत्पीड़न समाया हुआ है।  इस कृति के मुख्य पात्र मंधाता जी को सफल बनाने के लिए कुंदन का महत्वपूर्ण योगदान है। गांवों से शहरों के मूल तत्वों के विस्थापन को दिखाया गया है।
   
नींद क्यों रात भर नहीं आती : समीक्षा
     
         इस उपन्यास के लेखक सूर्यनाथ सिंह का जन्म 14 जुलाई 1966 को सवना, गाजीपुर (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय और फिर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की। हिंदी में उन्होंने अनेक उपन्यास, कहानी का लेखन किया है। इनकी प्रकाशित कृतियाँ हैं - कुछ रंग बेनूर (कहानी संग्रह), चलती चाकी, नींद क्यों रात भर नहीं आती (उपन्यास)। ‘शेर सिंह को मिली कहानी’, ‘बर्फ के आदमी’, ‘बिजली के खम्भों जैसे लोग’, ‘सात सूरज सत्तावन तारे’, ‘तोड़ी कसम फिर से खाई’ (सभी बाल साहित्य)। ‘आशापूर्णा देवी की श्रेष्ठ कहानियाँ’, ‘गाथा मफस्सिल’: देवेश राय, ‘खोये का गुड्डा’: अवनीन्द्रनाथ ठाकुर और ‘राजा राममोहन राय’: विजित कुमार दत्त का बांग्ला से हिन्दी अनुवाद।

सूर्यनाथ सिंह
   
         सूर्यनाथ सिंह की कुछ रचनाओं के बांग्ला, ओड़िया और पंजाबी में अनुवाद हो चुके हैं। सूर्यनाथ सिंह को हिन्दी अकादमी, दिल्ली का बाल एवं किशोर साहित्य सम्मान, सूचना एवं प्रसारण मन्त्रालय के प्रकाशन विभाग का भारतेन्दु हरिश्चन्द्र पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं। वर्तमान समय में वे जनसत्ता में वरिष्ठ सहायक सम्पादक के पद पर कार्यरत हैं।




No comments:

Post a Comment