Friday, February 15, 2019

सागर : साहित्य एवं चिंतन 43 ... काव्यात्मक विविधता के कवि गोविंददास नगरिया - डॉ. वर्षा सिंह

Dr. Varsha Singh

       स्थानीय दैनिक समाचार पत्र "आचरण" में प्रकाशित मेरा कॉलम "सागर साहित्य एवं चिंतन " । जिसमें इस बार मैंने लिखा है मेरे शहर सागर के कवि गोविंददास नगरिया पर आलेख। पढ़िए और जानिए मेरे शहर के साहित्यिक परिवेश को ....

सागर : साहित्य एवं चिंतन

काव्यात्मक विविधता के कवि गोविंददास नगरिया
                                 - डॉ. वर्षा सिंह-

------------------------------

परिचय    :- गोविंददास नगरिया
जन्म      :- 30 अक्टूबर 1932
जन्म स्थान :- सागर नगर
लेखन विधा :- पद्य एवं गद्य
प्रकाशन :- एक काव्य संग्रह प्रकाशित
------------------------------
जन्म 30 अक्टूबर 1932 को सागर के एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे गोविंददास नगरिया को अपने पिता श्री नन्हेंलाल नगरिया से अपार स्नेह मिला। बी.ए. साहित्य रत्न करने के साथ ही इंटर ड्राइंग तथा बीटीआई किया। पढ़ाई के उपरांत वे शिक्षक बने और लगभग 34 वर्ष शासकीय सेवा करके ‘‘आदर्श शिक्षक’’ का सम्मान अर्जित किया। सेवानिवृत्त के बाद वे साहित्यसेवा से और अधिक जुड़ गए। सागर पेंशनर समाज द्वारा “80 वर्षीय आयु वरिष्ठ शिक्षक“ का सम्मान प्रदान किया गया।
कवि नगरिया को नवीं कक्षा से ही काव्य सृजन से लगाव हो गया था। वे निरंतर साहित्य साधना करते रहे। सन् 1992 से वे साहित्यिक क्षेत्र में अधिक सक्रिय हुए। वर्तमान में वे हिंदी साहित्य सम्मेलन सागर शाखा, हिंदी उर्दू मजलिस, प्रगतिशील लेखक संघ आदि अनेक साहित्यिक संस्थाओं एवं आकाशवाणी के सागर केन्द्र से जुड़े हुए हैं। वे गीत, ग़ज़ल, क्षणिकाएं, मुक्तक के साथ ही कहानियां भी लिखते हैं। उनकी रचनाएं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती है ।
“आदमी सुधरा नहीं है“ नामक काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुका है। जबकि “स्मृति के छींटे“ गीत संग्रह तथा “गीता सार“ लेख संग्रह प्रकाशनाधीन है। लेखन के अतिरिक्त अभिनय एवं चित्रकला में भी अभिरुचि है। साहित्यिक पत्रिकाओं का संपादन एवं निर्देशन भी कर चुके हैं।
गोविंददास नगरिया जी को कई साहित्य संस्थानों द्वारा सम्मान प्राप्त हो चुके हैं । जैसे- रंग खोज परिषद सागर, ईद दिवाली मिलन एकता समारोह सागर, गहोई वैश्य मिलन समारोह सागर, विधायक श्री शैलेंद्र जैन सागर विधायक द्वारा, श्री गोविंद सिंह राजपूत सुरखी द्वारा, गुप्त जयंती समारोह सागर, मनवानी फिल्म्स एवं सिंधु संस्कार सागर, जेजे फाउंडेशन सागर, श्यामलम संस्था सागर, शंकर दत्त चतुर्वेदी स्मरण पर्व तथा पेंशनर समाज सागर द्वारा सम्मानित कवि।
सहज, सरल  स्वभाव की नगरिया जी के नाम के बारे में डॉक्टर सुरेश आचार्य ने बहुत ही रोचक व्याख्या की है उनके अनुसार नगरिया जी के मित्र उन्हें वह “गोदान“ के नाम से पुकारते हैं डॉ सुरेश आचार्य ने लिखा है कि “श्री गोविंददास नगरिया अपनी साहित्यिक मित्र मंडली में गोदान जी कहे जाते हैं। गो से गोविंददास  और न से नगरिया वे रंगमंच से जुड़े रहे और चित्रकला उनकी रुचि का विषय रहा है। गीत गजल मुक्तक और क्षणिकाओं के लिए उनकी अच्छी ख्याति है, मगर उनकी कहानियां भी हमें मुग्ध करती है।“
“आदमी सुधरा नहीं है“ काव्य संग्रह  के संबंध में वरिष्ठ कवि निर्मल चंद ’निर्मल’ का कहना है कि -“यह काव्य संग्रह भारतीय परिवेश की सुलक्षण और सांस्कृतिक अवधारणा का मान बढ़ाता है । काव्य सलिला चार खंडों में विभाजित है। विषयानुसार भाषाई बिंबों में प्रवाहित है। ...बचपन का शौक समयांतर में परिपक्व हुआ। देश और सामाजिक चिंतन ने कलम को गति दी। संपूर्ण काव्यधारा देशवासियों से उत्तम और श्रेष्ठ चरित्र की मांग करती है ताकि देश सुदृढ़ और जो सोपानों में जड़ा जा सके।“
Sagar Sahitya awam Chintan - Dr. Varsha Singh

कवि नगरिया के काव्य सृजन के बारे में साहित्यकार एवं कवि टीकाराम त्रिपाठी का कहना है कि- “श्री नगरिया की काव्य शैली राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त के कालखंड के काव्य की तरह नपीतुली, ऋजुता और सादगी से संश्लिष्ट है।“
 नगरिया जी उस पीढ़ी के कवि हैं जिन्होंने देश की आजादी के संघर्ष को अपनी आंखों से देखा और अनुभूत किया है इसीलिए उनकी कविताओं में आजादी की महत्ता विशेष रूप से रेखांकित होती है उनकी यह पंक्तियां देखें -
सदियों तक देश गुलाम रहा, तब यह आजादी पाई है
धरती को मुक्त कराने में, लाखों ने जान गवाई है
अप जन जन को नवजीवन दे, मां का यह तुझे इशारा है
उठ भारत के लाल तुझे, धरती ने आज पुकारा है
सदियों से धरती देख रही, अपने लालों की बर्बादी
भर रही तिजोरी एक तरफ, है एक तरफ रोटी आधी
भूखे अधनंगे लोगों का, बस तू ही एक सहारा है
उठ भारत के लाल तुझे धरती ने आज पुकारा है।

 देश की आजादी का महत्व समझने वाली कवि नगरिया अपनी एक अन्य कविता में लोगों को सचेत करते हैं कि यह तो भ्रष्टाचार का क्रम इसी तरह जारी रहा तो एक दिन यह आजादी फिर छीन सकती है-
सदाचार का मूल्य न समझा
सब पर कालिख पुत जाएगी
अगर ना संभले लोग देश के
यह आजादी छिन जाएगी
कर्तव्य को भूल रहे जन
अधिकारों को लूट रहे हैं
भारत माता और मनुज से
सारे रिश्ते टूट रहे हैं
अगर प्रेम का मूल्य न समझा
सारी इज्जत धुल जाएगी
अगर ना संभले लोग देश के
यह आजादी छिन जाएगी।

 गोविंददास नगरिया ने जितनी गंभीरता से देश भक्ति की रचनाएं लिखी है उतनी ही सरसता के साथ श्रृंगार रस की कविताओं का सृजन किया है। छायावादी बिम्ब शैली उनकी रचनाओं के सौंदर्य को बढ़ा देती है। उनकी श्रृंगार रस की रचनाओं में प्रकृति की सुंदरता भी देखने को मिलती है। एक उदाहरण देखें-
घुमड़ते मेघ जब नभ में
धरा पर बरस जाने को
चमकती दामिनी सुंदर
मेघ का मन लुभाने को
उसी क्षण बूंद को पाने
पपीही बोल जब जाती
तुम्हारी याद तब आती।

प्रेम एक शाश्वत भावना है जो मनुष्य के हृदय को सरस बनाए रखती है। यही वह भावना है जो संवेदनाओं को जीवित रखती है। प्रेम की भावनाओं को कविता में कोमलता से पिरोना भी एक कला है और कवि नगरिया इस कला में निपुण हैं। उनकी कविताओं को पढ़ने के बाद यह बात स्वतः सिद्ध हो जाती है-
दिन तो कट जाता कैसे भी
रात बिताना कठिन बात है
प्यार तो बरसों से है उनसे
प्यार जताना कठिन बात है
साथ किसी के भी हो जाओ
साथ निभाना कठिन बात है

समाज तभी उन्नति करता है जब बेटों और बेटियों को एक समान समझा जाता है। जिस समाज में बेटियों को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है वह समाज तेजी से उन्नति करता है। इसी भावना को कवि नगरिया ने अपनी इस रचना में बखूबी पिरोया है -
बेटी पढ़ेगी तो अच्छा समाज गढ़ेगी
समाज की बुराइयों से हिम्मत से लड़ेगी
आज समाज का नैतिक पतन हो रहा है
वह समाज के उत्थान की राह पर बढ़ेगी
उसका जीवन चूल्हा चौका तक ही नहीं
वह अब हर क्षेत्र की ऊंचाइयों तक चढ़ेगी
आज का पुरुष किसी भी दिशा में जाए
उसे सुशिक्षित नारी की जरूरत पड़ेगी
हमारी नारी का इतिहास गौरवशाली है
उससे देश में पुनः सुखों की झड़ी झड़ेगी

गोविंददास नगरिया सागर नगर के एक ऐसे वरिष्ठ कवि एवं साहित्यकार हैं जिन्होंने अपनी सीधी, सरल, सहज रचनाओं से सागर के साहित्य जगत को समृद्ध किया है। उनकी कविताओं में शैली एवं विषयगत काव्यात्मक विविधता पाई जाती है जो उनकी सृजनधर्मिता को विशेष बनाती है। कवि नगरिया की सृजनात्मक सक्रियता एवं साहित्यिक संस्थाओं में सहभागिता आज के युवा साहित्यकारों के लिए प्रेरणास्पद है।
                   --------------

( दैनिक, आचरण  दि. 14.02.2019)
#आचरण #सागर_साहित्य_एवं_चिंतन #वर्षासिंह #मेरा_कॉलम #MyColumn #Varsha_Singh #Sagar_Sahitya_Evam_Chintan #Sagar #Aacharan #Daily

No comments:

Post a Comment