Sunday, August 19, 2018

सागर : साहित्य एवं चिंतन - 9 देश भक्ति के ओजस्वी कवि ललित मोहन - डॉ. वर्षा सिंह



Dr Varsha Singh
स्थानीय दैनिक समाचार पत्र "आचरण" में प्रकाशित मेरा कॉलम "सागर साहित्य एवं चिंतन " । जिसमें इस बार मैंने लिखा है मेरे शहर सागर के वरिष्ठ कवि डॉ. ललित मोहन द्वारा लिखी गयी देशभक्ति की कविताओं पर आलेख। पढ़िए और मेरे शहर के साहित्यिक परिवेश को जानिए ....

सागर : साहित्य एवं चिंतन

देश भक्ति के ओजस्वी कवि ललित मोहन
- डॉ. वर्षा सिंह

देश के चतुर्मुखी विकास ने हमें ग्लोबलाईजेशन तक पहुंचा दिया है। ग्लोबलाईजेशन के इस दौर में अनुभव किया जाने लगा कि युवा पीढ़ी इस कदर अपना कैरियर बनाने में व्यस्त होती जा रही है कि वह अपने देशभक्तों की कुर्बानी की ओजपूर्ण कहानियां और भारतीय सैनिकों की बलिदान की ओर से विरत होती जा रही है। दूसरी ओर साहित्य अपनी भूमिका पूर्ववत् निभाता रहा। साहित्य में देशप्रेम को यथावत स्थान मिलता रहा। ऐसे अनेकों गीत हैं जो देश प्रेम की भावना से ओतप्रोत हैं। देश के बच्चों एवं युवाओं में इस भावना के अलख को जगाए रखने में देश भक्ति से भरे गीत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं इस तथ्य को नकारा नहीं जा सकता। देशभक्ति का रागात्मक स्वरुप, देश के प्रति प्रेम, भक्ति-भावना, स्वर्णिम अतीत का गौरव गान यह सब गीतों में मुखर होता रहा है। लेकिन देश भक्ति गीतों का वह आवेग कम ही देखने को मिलता है जो देशभक्ति गीत संग्रह ‘विजय पथ’ में निबद्ध है।
22 दिसम्बर 1958 को सागर, मध्यप्रदेश में जन्मे ललित मोहन बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। उन्होंने हिन्दी में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त करने के साथ ही संचार एवं पत्रकारिता में विशिष्ट अध्ययन किया। उन्होंने संगीत प्रभाकर भी किया। जहां तक आजीविका का प्रश्न है तो वे राज्य शासन सेवा के प्रौढ़ शिक्षा विभाग में पर्यवेक्षक पद पर रहे। इसके बाद आकाशवाणी में बुंदेली कम्पीयर एवं उद्घोषक का कार्य किया। इसके बाद सन् 1986 में डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर में ललित कला एवं प्रदशर्नकारी कला विभाग में व्याख्याता के पद पर पदस्थ हुए। यू.पी.एस.सी. द्वारा चयनित होने पर सन् 1992 से 1994 तक आकाशवाणी में कार्यक्रम अधिकारी का दायित्व सम्हाला। तदोपरांत पुनः डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर में ललित कला एवं प्रदशर्नकारी कला विभाग में अपनी सेवाएं देने लगे।
डॉ. ललित मोहन ने साहित्य सेवा के साथ ही अनेक महत्वपूर्ण अभियानों में सहभागिता की तथा सम्मान भी प्राप्त किये। जैसे सन् 1979 में भोपाल से मुंबई साइकिल अभियान, सन् 1980 में पहलगाम से अमरनाथ पदयात्रा, सन् 1981 में माऊंट आबू में ट्रेकिंग, सन् 1988 में सागर से कन्याकुमारी स्कूटर अभियान, सन् 1991 में सागर से इम्फाल कार यात्रा आदि महत्वपूर्ण हैं। सन् 1998 में उनका प्रथम काव्य संग्रह ‘अनंत पथ’ प्रकाशित हुआ। इससे पूर्व स्थानीय समाचार पत्र साप्ताहिक जनप्रयोग में ललित मोहन का लिखा बुंदेली धारावाहिक ‘कक्का मठोले’ काफी चर्चित रहा।
Sagar  Sahitya Chintan -9  Desh Bhakti Ke Ojaswi Kavi Lalit Mohan - Dr Varsha Singh

वर्तमान में डॉ. हरीसिंह गौर केन्द्रीय विश्वविद्यालय, सागर के ललित कला एवं प्रदर्शनकारी कला तथा पत्रकारिता विभाग के विभागाध्यक्ष ललित मोहन का दूसरे गीत संग्रह ‘विजय पथ’ का प्रथम संस्करण सन् 1999 में प्रकाशित हुआ। वीर जवानों को समर्पित स्वदेश गीतों के इस संग्रह के प्रकाशक थे तत्कालीन संसद सदस्य, सागर लोकसभा वीरेन्द्र कुमार, जो वर्तमान में भारत सरकार के केन्द्रीय मंत्री हैं। ‘विजय पथ’ में देश भक्ति की भावना के साथ ही उन सैनिकों के देश प्रेम को स्वर दिया गया है जो कठिन परिस्थितियों में सीमाओं पर डटे रह कर देश की रक्षा करते हैं। यह उदाहरण देखें-
ताकत वतन की सेनानी
तप कर लोहा बनते हैं
युद्ध शांति विपदाओं में
देश कर रक्षा करते हैं
सियाचिन और कारगिल की बर्फीली पहाड़ियों में जहां तापमान शून्य से 30 डिग्री से भी नीचे चला जाता है वहां भी जिस जज़्बे के साथ भारतीय सैनिक अपना कर्तव्य निर्वहन करते रहते हैं, उसे ललित मोहन ने इन पंक्तियों में बड़ी सुन्दरता के साथ पिरोया है-
गोली चलती धांय धांय
हवा मचलती सांय सांय
ठंडी ठंडी हिम घाटी
ताकत है अपनी माटी
डॉ. ललित मोहन

कवि ने अपनी कविता के माध्यम से उन विदेशी शक्तियों को ललकारा है जो सीमाओं का अतिक्रमण करते रहते हैं तथा देश की शांति भंग करने का प्रयास करते रहते हैं-
मत देखो कश्मीर कारगिल
सरहद पार के रहने वालो
बंद करो ये ताका झांकी
अपना ही घर देखो भाला
भौगोलिक रूप से भी विविधता में एकता वाले भारत की भूमि प्राकृतिक सौंदर्य की भी धनी है। इस तथ्य को ललित मोहन ने अपनी कविता ‘पावस धरा’ में बड़े सुन्दर ढंग से व्याख्यायित किया है -
निर्मल कलकल सरिता जल
झरनों की लय में मधुर छंद
श्यामल बादल का भीगा तन
माटी से आती सोंधी गंध
उल्लेखनीय है कि ललित मोहन द्वारा रचित देश भक्ति गीत संग्रह ‘विजय पथ’ के लगभग डेढ़ दर्जन से अधिक संस्करणों का निःशुल्क वितरण किया जा चुका है। इसी तारतम्य में भारतीय सेना के सम्मान में देश भक्ति गीतों के प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से ‘विजय पथ’ की सत्रह हजार प्रतियों का निःशुल्क वितरण अपने आप में एक कीर्तिमान है। इस संग्रह के गीत आकाशवाणी और दूरदर्शन से भी प्रसारित होते रहते हैं। सैनिकों के शौर्य के जयगान से परिपूर्ण ‘विजय पथ’ देशभक्ति रचनाओं के क्रम में एक मील का पत्थर है।
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( दैनिक, आचरण दि. 18.05.2018)
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