Dr. Varsha Singh |
राष्ट्रीय स्तर पर ख्यातिलब्ध सागर नगर की प्रतिष्ठित साहित्यकार, कथालेखिका एवं उपन्यासकार डॉ (सुश्री) शरद सिंह की स्त्री विमर्श पर केन्द्रित पुस्तक “ औरत : तीन तस्वीरें “ पर विदुषी समीक्षक दीपिका शर्मा द्वारा लिखी गई समीक्षा (सौजन्य आज तक) यहां प्रस्तुत कर रही हूं। यह उन सबके लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगी जो स्त्री विमर्श को नारी की दुर्दशा का विवरण मात्र समझते हैं, जबकि स्त्रियों के उत्थान का पक्ष, स्त्रियों की उपलब्धियों का आख्यान भी स्त्री विमर्श में ही निहित है।
Book review: ये हैं औरत की तीन तस्वीरें…दीपिका शर्मा नई दिल्ली, 12 September 2014
( साभार “ आज तक “ )
आंधी - तूफान के बाद खिलने वाली सुनहरी धूप जैसा चित्रण करती हैं शरद सिंह अपनी पुस्तकों में महिलाओं का. 'औरत तीन तस्वीरें' पुस्तक विश्व भर में स्त्रियों की स्थिति या सिर्फ उनके संघर्ष पर ही आधारित नहीं है. यह पुस्तक शरद सिंह की सोच को सार्थक करती है कि लड़की ऋग्वेद की पहली ऋचा है.किताब: औरत: तीन तस्वीरें लेखिका: शरद सिंह प्रकाशक: सामयिक प्रकाशन मूल्य: 460 रुपये आंधी-तूफान के बाद खिलने वाली सुनहरी धूप जैसा चित्रण करती हैं शरद सिंह अपनी पुस्तकों में महिलाओं का. 'औरत : तीन तस्वीरें' पुस्तक विश्व भर में स्त्रियों की स्थिति या सिर्फ उनके संघर्ष पर ही आधारित नहीं है. यह पुस्तक शरद सिंह की सोच को सार्थक करती है कि लड़की ऋग्वेद की पहली ऋचा है.
Aurat : Teen Tasveeren Author Dr. Sharad Singh
'इस पुरुष प्रधान समाज में औरत की सुबह केतली में उबलती है, ओवन में पकती है, टोस्टर में सिंकती है. पल दो पल के लिए हांफती, फिर रोटियों की तरह तपती और सब्जी के साथ भुनती है. दाल के साथ भाप बनने और लंच बॉक्स में पैक हो जाने पर टाटा बाय बाय के बाद टंगी रह जाती है बाथरूम में छूटे गीले तौलिये की तरह.' - ऐसी तमाम अवधारणाओं का प्रतिकार करती है यह पुस्तक.
Dr. (Miss) Sharad Singh, Author
इस पुस्तक में कई कहानियों के संग्रह से शरद सिंह ने औरतों की ऐतिहासिक और समकालीन छवियां प्रस्तुत की हैं. तीन तस्वीरों का अर्थ है 3 तरह से औरतों के संघर्ष को समझने की कोशिश. पहले खंड में औरतों ने अपने साहस और योग्यता के दम पर पुरुषों से बराबरी की है. दूसरे खंड में उन औरतों की कहानियां हैं जिनका समर्थ स्वरुप साहित्य और विचारों में गढ़ा गया है और तीसरे खंड में उन औरतों की कहानियां हैं जो प्रताड़ित हैं और अभी भी संघर्ष कर रही हैं.लेखिका ने जोर दिया है महिलाओं के आत्म-मूल्यांकन पर. समकालीन स्त्री प्रश्नों को समझने में शरद सिंह की यह पुस्तक समर्थ है.
क्यों पढ़ें?
-इरोम शर्मीला, गुलसीरीन ओनांक, नवककुल कारमान, फातिमा मुर्तज़ा भुट्टो, जेसिका फोनी, सारा, दारा और सरकोजी जैसी हस्तियों के संघर्ष की कहानियों का अनूठा संग्रह.
- देश, भाषा, जाति, नस्ल आदि का कोई विभाजन नहीं.
- राजनीति में ब्यूटी विद ब्रेन का भी उत्तम उदाहरण.
- 'टैगोर, स्त्री और प्रेम', 'पंडित मदन मोहन मालवीय का स्त्री विमर्श', 'बाबा नागार्जुन की नायिकाएं' आदि संवदेनशील विषय.
- प्रवासी महिला कथाकारों की भी कहानियां
- स्त्री के उत्पीड़न और तमाम कारणों पर विचार
- देवी से लेकर डर्टी पिक्चर तक का सफर
- भरपूर तथ्यात्मकता
क्यों न पढ़ें?
- यदि आप नारी सशक्तिकरण के विरोध में हों.
- यदि आपको लगता हो कि औरतों के बारे में बहुत पढ़ चुके हैं और आपको इसमें रुचि नहीं.
- यदि आपको शक हो कि व्यापक सामाजिक परिवर्तन में औरतों की क्या भूमिका हो सकती है.
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