Dr. Varsha Singh |
साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद, भोपाल की पाठक मंच, सागर इकाई की 75 वीं पुस्तक समीक्षा गोष्ठी, हीरक जयंती के रूप में दिनांक 31.03.2019 को एक भव्य आयोजन में सम्पन्न हुई।
यह आयोजन सागर नगर के सिविल लाइंस स्थित जे. जे. इंंस्टीटयूट में किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. सुरेश आचार्य ने की।
आयोजन में मैंने यानी इस ब्लॉग की लेखिका डॉ. वर्षा सिंह एवं लेखिका डॉ. (सुश्री) शरद सिंह ने हीरक जयंती के अवसर पर अपनी मौलिक कविताओं का पाठ किया।
इस अवसर पर इकाई के संयोजक भाई उमाकांत मिश्र जी का इस अवसर पर सम्मान किया गया। साथ ही उपस्थित साहित्यकारों को सम्मानित कर उन्हें पुस्तकें भेंट की गईं।
सागर नगर में पाठक मंच अनेक वर्षों से कार्यरत था। किन्तु वर्षों तक सुप्तप्राय, निष्क्रियप्राय अवस्था में रहने के उपरांत क्रियाशीलता अथवा यह कहें कि जागृत अवस्था में दिनांक 16.02.2014 से आया। मंच की पहली समीक्षा गोष्ठी भारतरत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी की पुस्तक " न दैन्यम् न पलायनम् " पर आयोजित हुई थी.... और यह मेरे लिए प्रसन्नता का विषय यह है कि उस प्रथम गोष्ठी में पुस्तक पर समीक्षा वाचन का अवसर मुझे यानी ब्लॉग लेखिका डॉ. वर्षा सिंह को मिला था।
उस समय की कुछ तस्वीरें यहां पोस्ट कर रही हूं.....
पाठक मंच, सागर ने सफलतापूर्वक पांच वर्षों का अपना लम्बा सफ़र तय किया है... और मैं, डॉ. (सुश्री) शरद सिंह,डॉ. सुरेश आचार्य आदि सहित चंद साहित्यप्रेमियों के साथ मंच संयोजक उमाकांत मिश्र जी द्वारा शुरू किया गया यह सफ़र हीरक जयंती का मुकाम हासिल कर चुका है। उल्लेखनीय है कि उमाकांत मिश्र जी नगर की अग्रणी साहित्य संस्था श्यामलम् के अध्यक्ष हैं।
एक मशहूर शेर का मिसरा है कि...
"लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया"
अब हालात यह हैं कि नये-नये समीक्षाकार, नये-नये कवि, कवयित्रियां, अनेक उत्साही जन आज पाठक मंच की गोष्ठियों में शामिल होने के लिये सामने आने लगे हैं।
श्यामलम् के अध्यक्ष उमाकांत मिश्र (Shyamlamkala) द्वारा मेरी फेसबुक वाल पोस्ट पर दी गई टिप्पणी यहां भी साझा कर रही हूं, जो अत्यंत महत्वपूर्ण है.....
"आपने, शरद जी ने पाठक मंच सागर की हीरक गोष्ठी के अवसर पर अपनी भावनाओं की जो काव्यात्मक अभिव्यक्ति प्रस्तुत की, उसके लिए मैं केवल आप लोगों के प्रति कृतज्ञता ही प्रगट कर सकता हूँ। मुझे गर्व होता है आप बहनों जैसी लेखन और कविता के क्षेत्र में देश की बड़ी रचनाकारों का स्नेह और आशीष सागर पाठक मंच को प्राप्त है। सागर नगर में मंच के शुरुआती दिनों से ही आप लोगों का जुड़ाव और नियमितता हमें और भी सम्बल प्रदान करती रही है। श्रोता-पाठक वर्ग की उपस्थिति के बगैर कोई भी आयोजन सफलता शब्द को सार्थकता नहीं दे सकता। इस दृष्टि से मंच की सक्रियता का बारीकी से विश्लेषण कर आप बहनों ने नई ऊर्जा प्रदत्त की है। आपके विचारों से अन्य पुस्तक प्रेमी पाठक गण भी प्रेरित होंगे, इस विश्वास के साथ।पुनः पुनः सादर आभार।"
फेसबुक स्क्रीनशॉट |
इस अवसर पर मेरे द्वारा पाठ किया गया छंद यहां प्रस्तुत है :-
ये जो पाठक मंच है, ये मंच है साहित्य का
सागर में इसकी निराली एक शान है ।
उमाकांत मिश्र जी के कुशल संयोजन में
लेखकों का कवियों का यहां बड़ा मान है।
पुस्तकों की होती है समीक्षा ऐसी देखिये
माता वीणावादिनी को मिलता सम्मान है।
"वर्षा " की सदा यही रही शुभकामना
अल्पबुद्धि को भी यहां मिले नया ज्ञान है।
- डॉ. वर्षा सिंह
डॉ.(सुश्री) शरद सिंह द्वारा अपनी कविता के माध्यम से दी गईंं शुभकामनाएं यहां प्रस्तुत हैं...
हीरक जयंती सागर पाठकमंच की
- डॉ शरद सिंह
हीरक जयंती
सिर्फ़ एक तिथि नहीं
समारोह नहीं
मात्र एक आयोजन नहीं
वस्तुत:
इतिहास दिवस है
उस लम्बे संघर्ष का
जिसमें निहित है
चौहत्तर सफल कार्यक्रमों के लिए
बहाए गए पसीने का स्मरण
जिसमें निहित है वह दृढ़ इच्छाशक्ति
जिसने पुनर्प्रज्ज्वलित किया सागर में
साहित्य की सुप्त अग्नि को
स्वयं को समिधा बनाकर।
इसीलिए
हैं अनन्त शुभकामनाएं
सागर पाठकमंच को
उसकी इस हीरक जयंती पर
और उसके
अथक श्रम को
आत्मिक नमन के साथ
हैं अनन्त शुभकामनाएं
शुभकामनाएं
शुभकामनाएं
अनन्त शुभकामनाएं !!!
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(31 मार्च 2019)
आशा है कि इससे भी अधिक भव्यतापूर्वक पाठक मंच की 100 वीं गोष्ठी यानी शताब्दी गोष्ठी आगामी समय में आयोजित की जायेगी।
अनेक शुभेच्छाएं, शुभकामनाएं !
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