Dr. Varsha Singh |
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में महावीर जी का संदेश "अहिंसा परमो धरम" और भी प्रासंगिक हो गया है। भगवान महावीर स्वामी का जन्म ऐसे युग में हुआ, जब पशुबलि, हिंसा और जाति-पाति के भेदभाव का अंधविश्वास था। अहिंसा के संदेशवाहक, भगवान महावीर जी के उपदेश एवं जीवन दर्शन हम सभी के लिए प्रेरणादायक है। भगवान महावीर ने सत्य, अहिंसा, शांति, दया और सहिष्णुता के माध्यम से समाज को आगे बढ़ने का सन्देश दिया। भगवान महावीर के जीवन दर्शन एवं आदर्श आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं।
जैन धर्म के 24 वे तीर्थंकर भगवान महावीर का जीवन- दर्शन सत्य, अहिंसा,और सद्भाव हम सभी के लिए प्रेरणादायी हैं। जैन धर्म के प्रवर्तक भगवान महावीर का जीवन त्याग, संयम, प्रेम और करुणा, शील और सदाचार की प्रतिमूर्ति रहा है। भगवान महावीर ने अपने प्रवचनों में अहिंसा, सत्य, अस्तेय और अपरिग्रह पर सबसे अधिक जोर दिया।
भगवान महावीर के सिद्धांत और उपदेशों को समाज एवं जनहित में आगे बढ़ाने की महती आवश्यकता है। जिससे हम सामाजिक समरसता, भाईचारा और आपसी प्रेम की हमारी गंगा-जमनी संस्कृति को और अधिक व्यापकता प्रदान कर सके।
इस पावन अवसर पर हम भगवान महावीर के आदर्शों को आत्मसात कर देश-प्रदेश की प्रगति में अपना योगदान दें।
महावीर जयन्ती : # साहित्य वर्षा - डॉ. वर्षा सिंह |
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