Friday, January 17, 2020

12 दिन, 14 चित्रकार और रंगों में ढलते हुए कैनवास पर जीवंत होता बापू का जीवन चक्र - डॉ. वर्षा सिंह

       

              सागर शहर में दिनांक 07 जनवरी 2020 से 18 जनवरी 2020 तक चित्रांकन कार्यशाला का आयोजन किया गया है। मैंने विगत 14 जनवरी को इस कार्यशाला का अवलोकन किया और एक रिपोर्ताज़ तैयार किया जिसे "दैनिक भास्कर" के सागर संस्करण में स्थान मिला है।
      हार्दिक आभार  "दैनिक भास्कर"  🙏
  ब्लॉग पाठकों के लिए मेरा यह लेख जस का तस निम्नलिखित है....
12 दिन, 14 चित्रकार और रंगों में ढलते हुए कैनवास पर जीवंत होता बापू का जीवन चक्र - डॉ. वर्षा सिंह
        एक वैश्विक नेता के रूप में भारतीय राजनीति को यदि सबसे अधिक किसी ने प्रभावित किया है तो वह हैं महात्मा गांधी। इस वर्ष महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती मनाई जा रही है। इसी तारतम्य में इन दिनों सागर नगर के रवींद्र भवन वाचनालय में मध्यप्रदेश शासन संस्कृति विभाग के स्वराज संस्थान संचालनालय द्वारा आयोजित एवं रंग के साथी ग्रुप के सहयोग से चल रही 12 दिवसीय चित्रांकन कार्यशाला में 14 कलाकार हिस्सा ले रहे हैं। ये चित्रकार महात्मा गांधी के बचपन से ले कर वैश्विक व्यक्तित्व बनने तक के प्रसंगों पर पेंटिंग्स बना रहे हैं। जहां देश के प्रख्यात चित्रकारों जैसे नंदलाल बसु, अवनींद्रनाथ ठाकुर, रवि बाबू, यामिनी राय आदि ने गांधीजी के जीवन पर आधारित चित्र बनाए हैं वहीं इन 14 युवा एवं लगनशील चित्रकारों द्वारा महात्मा गांधी को कैनवास पर उतारना अपने आप में चुनौती भरा है। किंतु इन चित्रकारों का उत्साह, आत्मविश्वास और चित्रकला पर उनकी पकड़ को देख कर लगता है मानो राष्ट्रीय स्तर के स्थापित चित्रकार अपने चित्रों में महात्मा गांधी के जीवन का चलचित्र प्रस्तुत कर रहे हों।

         महात्मा गांधी के जीवन को रंगों में ढलते और कैनवास पर जीवंत होते देखने के बीच इस तथ्य का उल्लेख करना जरूरी हो जाता है कि स्वयं महात्मा गांधी चित्रकला के प्रशंसक थे। इस 12 दिवसीय चित्रांकन कार्यशाला में भाग लेने सृष्टि जैन उज्जैन से आई हैं। वे उज्जैन में फाइन आर्ट में पोस्ट ग्रेजुएट कर रहीं हैं। उन्होंने कैनवास पर गांधी जी के दो रूप उकेरे हैं जिनमें से एक में वे पश्चिमी वेशभूषा में है तो दूसरे में भारतीय धोती-कुर्ता में। सृष्टि की चित्रकला की सबसे बड़ी खूबी है शेड्स पर नियंत्रण रखना। वे अत्यंत संतुलित ढंग से शेड्स का प्रयोग करती हैं जिससे उनके बनाए चित्र जीवंत हो उठते हैं। इसी तरह चित्रकार अंकित विश्वकर्मा ने धूसर रंगों का प्रयोग करते हुए महात्मा गांधी और उनके फॉलोवर्स को इस प्रकार चित्रित किया है मानो गांधी जी किसी यात्रा पर चलायमान हों। रंगों से गति को फलक पर उतारने के चाक्षुष प्रयोग में अंकित की महारत देखते ही बनती है।

         रंग के साथी ग्रुप के प्रमुख चित्रकार असरार अहमद इन सभी चित्रकारों के प्रेरणास्रोत हैं। असरार अहमद तो गोया कैनवास पर रंग और ब्रश से खेलते हैं। उनके ब्रश का हर स्ट्रोक उनकी पेंटिंग के विषय को मुखर कर देता है। इस वर्कशॉप में शामिल चित्रकार डाॅ. निधि मिश्रा, प्रिया साहू, लक्ष्मी पटेल, शालू सोनी, ज्योति पांडेय, रागिनी साहू, अंशिता बजाज वर्मा, भारती पटेल, रश्मि पंवार, मीनाक्षी सिंघई एवं रवीन्द्र नायक की चित्रकारी भी दर्शकों एवं कला प्रेमियों को अपनी ओर आकर्षित करने में पूर्ण सक्षम है। उल्लेखनीय है कि रंग के साथी ग्रुप के रूप में चित्रकार असरार अहमद सागर नगर में चित्रकला को निरंतर नया आयाम दे रहे हैं। अभी नगर के इन सभी चित्रकारों को अपनी कला को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय आर्ट गैलरीज तक पहुंचाने के लिए पर्याप्त शासकीय एवं संस्थागत सहयोग की भी आवश्यकता है। इसमें तनिक भी संदेह नहीं है कि ये सभी चित्रकार कला-निपुणता के शिखर की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं।

नाेट : लेखक कला समीक्षक हैं। साथ ही चित्रकार भी रही हैं।
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