अपनों का साथ हमेशा ख़ुशी देता है, नई ऊर्जा देता है... कल दिनांक 03 मार्च को एक ऐसा ही अवसर था...क्षत्रिय समाज सागर के अंतर्गत क्षत्रिय नव चेतना मंच, सागर द्वारा डॉ. हरीसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय के भौतिक विज्ञान विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ.जय सिंह के गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय, बिलासपुर में एसोसिएट प्रोफेसर का पदभार ग्रहण करने के अवसर पर उन्हें दी गई विदाई पर आयोजित रात्रिभोज का।
शुक्रिया भाई वीनू राणा जी, शुक्रिया भाई डॉ. शशि कुमार सिंह जी और शुक्रिया भाई Lakhan Thakur जी
इस अवसर पर मैंने अपना यह गीत प्रस्तुत किया....
माटी मेरे सागर की
- डॉ. वर्षा सिंह
मां के आंचल जैसी प्यारी , माटी मेरे सागर की ।।
सारे जग से अद्भुत न्यारी, माटी मेरे सागर की ।।
🔹भूमि यही वो जहां ‘’गौर’’ ने, दान दिया था शिक्षा का
पाठ पढ़ाया था हम सबको, संस्कार की कक्षा का
विद्या की यह है फुलवारी , माटी मेरे सागर की ।।
मां के आंचल जैसी प्यारी..................
- डॉ. वर्षा सिंह
मां के आंचल जैसी प्यारी , माटी मेरे सागर की ।।
सारे जग से अद्भुत न्यारी, माटी मेरे सागर की ।।
🔹भूमि यही वो जहां ‘’गौर’’ ने, दान दिया था शिक्षा का
पाठ पढ़ाया था हम सबको, संस्कार की कक्षा का
विद्या की यह है फुलवारी , माटी मेरे सागर की ।।
मां के आंचल जैसी प्यारी..................
🔹नौरादेही में संरक्षित वन जीवों का डेरा है
मैया हरसिद्धी का मंदिर, रानगिरी का फेरा है
आबचंद की गुफा दुलारी, माटी मेरे सागर की ।।
मां के आंचल जैसी प्यारी...........
🔹राहतगढ़ की छटा अनूठी ,झर-झर झरती जलधारा
गढ़पहरा, धामौनी बिखरा , बुंदेली वैभव सारा
राजघाट, रमना चितहारी, माटी मेरे सागर की ।।
मां के आंचल जैसी प्यारी................
🔹एरण पुराधाम विष्णु का , सूर्यदेव हैं रहली में
देव बिहारी जी के हाथों सारा जग है मुरली में
पीली कोठी अजब सवारी , माटी मेरे सागर की ।।
मां के आंचल जैसी प्यारी....................
मैया हरसिद्धी का मंदिर, रानगिरी का फेरा है
आबचंद की गुफा दुलारी, माटी मेरे सागर की ।।
मां के आंचल जैसी प्यारी...........
🔹राहतगढ़ की छटा अनूठी ,झर-झर झरती जलधारा
गढ़पहरा, धामौनी बिखरा , बुंदेली वैभव सारा
राजघाट, रमना चितहारी, माटी मेरे सागर की ।।
मां के आंचल जैसी प्यारी................
🔹एरण पुराधाम विष्णु का , सूर्यदेव हैं रहली में
देव बिहारी जी के हाथों सारा जग है मुरली में
पीली कोठी अजब सवारी , माटी मेरे सागर की ।।
मां के आंचल जैसी प्यारी....................
🔹विद्यासागर जैसे ऋषि-मुनि की पावनता पाती है
धर्म, ज्ञान की, स्वाभिमान की अनुपम उज्जवल थाती है
श्रद्धा, क्षमा, त्याग की क्यारी, माटी मेरे सागर की ।।
मां के आंचल जैसी प्यारी.............
🔹‘वर्णी जी’ की तपो भूमि यह, यही भूमि ‘पद्माकर’ की
‘कालीचरण’ शहीद यशस्वी, महिमा अद्भुत सागर की
सारा जग इस पर बलिहारी, माटी मेरे सागर की ।।
मां के आंचल जैसी प्यारी.................
🔹मेरा सागर मुझको प्यारा, यहीं हुए लाखा बंजारा
श्रम से अपने झील बना कर, संचित कर दी जल की धारा
‘वर्षा’-बूंदों की किलकारी , माटी मेरे सागर की ।।
मां के आंचल जैसी प्यारी...........
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