Dr. Varsha Singh |
इस पुस्तक की सामग्री को अनेक शोधग्रंथों एवं शोधात्मक लेखन में विशेष संदर्भ के रूप में सम्मिलित किया जाता है।
साथ ही मित्रों, मैं निवेदन करना चाहूंगी कि मेरी माता जी डॉ. विद्यावती 'मालविका' ने शतकाधिक गीत लिखे हैं, जो हिंदी साहित्य की धरोहर हैं। अनेक शोध ग्रंथों में उनके गीतों को सम्मिलित किया गया है एवं अनेक समवेत संकलनों में भी उनकी रचनाएं विद्यमान हैं। वह वर्तमान में भी यदा-कदा छंदबद्ध कविताएं, गीत इत्यादि लिखती रहती हैं।
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