Dr Varsha Singh, Poetess and Author, Sagar M.P. |
प्रिय ब्लॉग पाठकों,
बौद्ध धर्म के प्रकांड विद्वान भिक्षु धर्मरक्षित जी द्वारा मेरे नाना जी संत श्यामचरण सिंह के जीवन एवं कृतित्व पर लिखी गई पुस्तक "संत श्यामचरण : जीवन तथा कृतित्व" के अंश यहां साझा कर रही हूं। दुर्भाग्यवश इस पुस्तक के कई पृष्ठ दीमकों द्वारा नष्ट किए जा चुके हैं।
प्रकाशक - ममता प्रकाशन, कबीर चौरा, वाराणसी (उत्तर प्रदेश)
प्रथम संस्करण का प्रकाशन वर्ष 1964
फ्रंट कव्हर एवं बैक कव्हर
वस्तु कथा (भूमिका)
प्रथम अध्याय पृष्ठ 10 से 20 तक
Sant Shyamcharan - Book of Bhikshu Dharmarakshit |
Sant Shyamcharan - Book of Bhikshu Dharma Rakshit |
Sant Shyamcharan - Book of Bhikshu Dharmarakshit |
Sant Shyamcharan - Book of Bhikshu Dharmarakshit |
Sant Shyamcharan - Book of Bhikshu Dharmarakshit |
Sant Shyamcharan - Book of Bhikshu Dharmarakshit |
Sant Shyamcharan - Book of Bhikshu Dharmarakshit |
Sant Shyamcharan - Book of Bhikshu Dharmarakshit |
Sant Shyamcharan - Book of Bhikshu Dharmarakshit |
Sant Shyamcharan - Book of Bhikshu Dharmarakshit |
Sant Shyamcharan - Book of Bhikshu Dharmarakshit |
Sant Shyamcharan - Book of Bhikshu Dharmarakshit |
Sant Shyamcharan - Book of Bhikshu Dharmarakshit |
Sant Shyamcharan - Book of Bhikshu Dharmarakshit |
Sant Shyamcharan - Book of Bhikshu Dharmarakshit |
Sant Shyamcharan - Book of Bhikshu Dharmarakshit |
Sant Shyamcharan - Book of Bhikshu Dharmarakshit |
Sant Shyamcharan - Book of Bhikshu Dharmarakshit |
Sant Shyamcharan - Book of Bhikshu Dharmarakshit |
Sant Shyamcharan - Book of Bhikshu Dharmarakshit |
Sant Shyamcharan - Book of Bhikshu Dharmarakshit |
संत श्यामाचरण सिंह उर्फ पीलालाल चिनौरिया जी मेरे पिता जी कोदूराम दलित के गुरु थे। पिताजी उनके बारे में बताते थे। पिताजी के निधन के समय मेरी उम्र मात्र 11 वर्ष थी। कुछ वर्ष पूर्व जब आपने ब्लॉग में लिखा था कि कोदूराम दलित जी का नाम मैंने अपने नाना जी से सुना था, उस वक्त भी मैंने आपसे संत श्यामाचरण सिंह जी के बारे में कुछ जानने के लिए अनुरोध किया था किंतु मुझे कोई उत्तर नहीं मिला था।आप फेसबुक में आपने अपने नानाजी की किताब के कुछ पन्ने स्कैन करके पोस्ट किए हैं, यह मुझ पर आपका उपकार रहेगा। मेरे पिताजी भी हिंदी व छत्तीसगढ़ी में छन्दों में लिखा करते थे। उन्हें छत्तीसगढ़ में जनकवि कहा जाता है। आपके नाना जी की किताब में उनकी छंदबद्ध कुछ रचनाओं की झलकियाँ देख, पढ़ कर मन प्रसन्न हो गया। वर्तमान में मैं भी छन्दों पर ही काम कर रहा हूँ। आपका आभार। सारनाथ के धर्मरक्षित जी बहुत पहले हमारे दुर्ग स्थित निवास में पधारे थे। मैं तब बहुत ही छोटा था। उनका लिखा एक पत्र मेरे पास अभी भी सुरक्षित है। डॉ. भीमराव अंबेडकर को जिन 7 भिक्षुओं ने बौद्ध धर्म की दीक्षा दी थी उनमें से एक भिक्षु धर्म रक्षित जी भी थे।
ReplyDeleteकिताब में जिन चोवाराम महिस्वर का जिक्र हुआ ही वे मेरे पिताजी के चाचा थे। एडव्होकेट छगनलाल महिस्वर मेरे चाचा थे।
अरुण कुमार निगम
9907174334
हार्दिक धन्यवाद 🙏
Deleteआपका परिचय विस्तार से जान कर प्रसन्नता हुई।