🙏 नवरात्रि पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएं 🙏
प्रिय ब्लॉग पाठकों,
कोरोना संक्रमण के कहर के चलते एक बार फिर पूरे मध्यप्रदेश में लॉकडाउन के हालात बन रहे हैं। सागर ज़िले में भी अभी पिछले शुक्रवार 09 अप्रैल की शाम से सोमवार 12 अप्रैल की सुबह तक क लिए दो दिन का लॉकडाउन लागू हो चुका है। स्थिति की गम्भीरता को देखते हुए जिला प्रशासन द्वारा चैत्र नवरात्र के अवसर पर सागर ज़िले की रहली तहसील के ग्राम रानगिर में स्थित हरसिद्धि देवी मंदिर परिसर के आसपास लगने वाला रानगिर मेला स्थगित कर दिया है।
कोविड गाइडलाइन के लगातार दूसरे साल भी मेला स्थगित होने से जहां मां हरसिद्धि के श्रद्धालुओं में निराशा है, तो वहीं इस मेले के जरिए व्यवसाय करने वाले व्यापारी भी निराश हैं। रानगिर मेला न केवल लोगों की आस्था का केन्द्र है, बल्कि हजारों परिवारों की आजीविका का साधन भी है। गरीब और छोटे-छोटे फुटपाथी दुकानदार मेले में अपनी-अपनी दुकानें लगाते हैं। मेले में व्यापार कर मुनाफा कमाकर अपनी पारिवारिक जरूरतों को पूरा करते हैं।
ग्राम रानगिर में देवी हरसिद्धि अथवा हरसिद्धी का ऐतिहासिक और प्राचीन मंदिर स्थित है। रहली तहसील मुख्यालय से लगभग 16 कि.मी और सागर से लगभग 34 कि.मी. की दूरी पर देहार नदी के तट पर स्थित है। यह क्षेत्र शक्ति साधना के लिए जाना जाता है।
मंदिर का निर्माण कब और कैसे हुआ इसका कोई प्रमाण नहीं है परन्तु यह मंदिर अतिप्राचीन और ऐतिहासिक है। इतिहासकारों के अनुसार कुछ लोग इसे महाराज छत्रसाल द्वारा बनवाए जाने की संभावना व्यक्त करते हैं क्योंकि सन् 1726 में सागर ज़िले में महाराज छत्रसाल द्वारा आगमन का उल्लेख इतिहास में वर्णित है। सिंधिया राज घराने का संबंध भी रानगिर से होना बताया जाता है। यह भी कहा जाता है कि रानगिर में हरसिद्धि माता मंदिर का निर्माण मराठा शासन काल में हुआ था। ऐतिहासिक दृष्टि से 1732 में सागर क्षेत्र पर मराठों की सत्ता थी। पंडित गोविंद राव का शासन था। उनके समय में नदी के किनारे हरसिद्धि माता का मंदिर निर्माण किया गया। मान्यता है कि तभी से मेला की परंपरा रही है।
देवी की अनगढ़ प्रतिमा के बारे में प्राचीन काल से ऐसी मान्यता है कि माता से जो भी मन्नत मांगी जाती है वह पूर्ण होती है। इसी कारण माता को हरसिद्धि माता के नाम से जाना जाता है। सिद्धिदात्री माता दिन में तीन रूप धारण करने को भी प्रसिद्ध हैं। मान्यता है कि प्रातः काल में माता बाल कन्या के रूप में दर्शन देती हैं। दोपहर बाद माता नवयुवती-नवशक्ति का रूप धारण कर लेती हैं। शाम ढलने के बाद वह वृद्ध माता के रूप में भक्तों को आशीर्वाद देती हैं।
हरसिद्धि माता के बारे में कई किवदन्तियां प्रचलित हैं। एक किवदन्ती के अनुसार रानगिर में एक चरवाहा हुआ करता था। चरवाहे की एक छोटी बेटी थी। बेटी के साथ एक वन कन्या रोज आकर खेलती थी एवं अपने साथ भोजन कराती थी तथा रोज एक चांदी का सिक्का देती थी। चरवाहे को जब इस बात की जानकारी लगी तो एक दिन छुपकर दोनों कन्या को खेलते देख लिया चरवाहे की नजर जैसे ही वन कन्या पर पड़ी तो उसी समय वन कन्या ने पाषाण रूप धारण कर लिया। बाद में चरवाहे ने कन्या का चबूतरा बना कर उस पर छाया आदि की और यहीं से मां हरसिद्धि की स्थापना हुई।
दूसरी किवदन्ती के अनुसार आदि देव शिव ने एक बार देवी सती के शव को हाथों में लेकर क्रोध में तांडव नृत्य किया था। नृत्य के दौरान देवी सती के अंग पृथ्वी पर गिरे थे। देवी सती के अंग जिन जिन स्थानों पर गिरे वह सभी शक्ति पीठों के रूप में प्रसिद्ध हैं। ऐसी मान्यता है कि रानगिर में देवी सती की रानें अर्थात् जंघा गिरी थीं इसीलिए इस क्षेत्र का नाम रानगिर पड़ा। रानगिर के पास ही गौरीदांत नामक क्षेत्र है यहां देवी सती के दांत गिरना माना जाता है।
एक अन्य किंवदन्ती के अनुसार त्रेतायुग में राम ने वनवास के दौरान रानगिर के पर्वतों पर विश्राम किया था और इस कारण इस क्षेत्र का नाम रामगिरी था जो बाद में रानगिर हो गया।
सिद्धक्षेत्र रानगिर में विराजित हरसिद्धि माता बुंदेलखण्ड के लाखों कुल कुटंब की कुलदेवी के रूप में पूजी जाती है। माता के दरबार में चैत्र नवरात्रि में रोजाना हजारों श्रद्धालु जन जल, सुहागिन चोला समेत आस्था अनुरूप भेंट करने के लिए आते हैं। अंबे मां के दरबार में संतान, विवाह, गृह, नौकरी, व्यापार समेत सुख शांति समृद्धि की कामना करते हैं। मन्नतें पूरी होने की खुशी में भी श्रद्धालु जन दरबार में माथा टेकते हैं।
हरसिद्धि देवी की एक झलक पाने के लिए लंबी कतारें लगती हैं। जवारे और बाने लेकर श्रद्धालु पहुंचते हैं। राई नृत्य होता है और देवीगीत गाए जाते हैं....
पत रखियो रानगिर वाली
पत रखियो सब जन की मोरी मैया।
मैया के मड़पे चम्पा धनेरो।
महक भरी फुलवन की।
मोरी मैया...
मैया के मड़ पे गौयें धनेरी
बाढ़ भई बछड़न की।
मोरी मैया...
मैया के मड़ में भक्त बहुत हैं
भीड़ भई लड़कन की।
मोरी मैया...
मैया के मड़ में जज्ञ रचो है
हवन होय गुड़ घी को।
मोरी मैया...
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माय भवानी मोरी पाहुनी हो मां।
चन्दन पटली बैठक डारों,
दूधा पखारों दोऊ पांव। भवानी...
दार दरों मैं मूंग की माता,
राधौं मुठी भर भात। भवानी...
खाके जूंठ मैया अचवन लागीं,
मुख भर देतीं असीस। भवानी...
दूध पूत मैया तोरे दये हैं,
बरुआ अमर हो जायें। भवानी...
सुमिर-सुमिर मैया तोरे जस गाऊं,
चरण छोड़ कहां जाऊं। भवानी...
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बिनती सुनो मैया रानगिर वाली
बिनती सुनो महरानी भवानी।
बिनती सुनो...
कष्ट निवारो संकट काटो,
दुख टारो महरानी भवानी।
बिनती सुनो...
कितने भक्त हैं तारे तुमने,
मोह तारो महरानी भवानी।
बिनती सुनो...
ना हम जाने आरती पूजा,
ना भक्ति महरानी भवानी।
बिनती सुनो...
कैसे तुम्हारे दरशन पाऊं,
कैसे चरण दबाऊं महरानी।
बिनती सुनो...
अपनी शक्ति दिखाओ मैया,
शरण तुम्हारे आऊँ भवानी।
बिनती सुनो...
यहां प्रतिवर्ष चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि पर विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। पूरे बुंदेलखंड में रानगिर में आयोजित होने वाले चैत्र नवरात्रि के मेले का अपना महत्व है।
हर साल इस मेले में लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं, लेकिन कोरोना के बढ़ते कहर के कारण जिला प्रशासन के निर्देश पर इस मेला को निरस्त कर दिया गया। रानगिर मंदिर ट्रस्ट द्वारा कोविड-19 गाइडलाइन का पालन करते हुए लिए गए फैसले के अनुसार मंदिर का गर्भगृह बंद रहेगा। मंदिर के तीन अलग-अलग चैनल गेट हैं। वह भी पूरी तरह से बंद रहेंगे।श्रद्धालुओं को चैनल गेट के अंदर जाने की अनुमति नहीं होगी।
आपकी यह सदाशयता है कि आपने मेरी पोस्ट को चर्चा मंच हेतु चयनित किया है।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय 🙏
सादर,
डॉ. वर्षा सिंह
एक अजीब दहशत होती जा रही ,क्या होगा
ReplyDeleteमाता सबकी रक्षा करें
जी हां, अनीता जी... आज नवरात्रि का दूसरा दिन देवी ब्रह्मचारिणी का दिन....और हृदयाघात के कारण मेरी माता जी डॉ. विद्यावती "मालविका" का ICU यानी गहन चिकित्सा ईकाई में सातवां दिन...
ReplyDeleteइतने दिनों से कोरोना से बचा-बचा कर रखा है... लेकिन हृदयाघात के शिकंजे से निकलने की प्रार्थना फ़िलहाल फलीभूत नहीं हो पा रही है।
माता की रक्षा हेतु माता यानी देवी आदि शक्ति से याचना है।
🙏
देवी हरसिद्धि का दर्शन कराने के लिए हार्दिक धन्यवाद वर्षा जी,मातारानी हम पर अपनी कृपादृष्टि बनाये रखे यही कामना करती हूँ।
Deleteमातारानी आपकी माँ की रक्षा करे और वो शीघ्र स्वस्थ लाभ पाए।
बहुत सुंदर.माता सबकी रक्षा करें
ReplyDeleteमाता रानी सब पर कृपा बनाए रखें.. बहुत सुंदर प्रस्तुति।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर !
ReplyDeleteमाता सबकी रक्षा करे !
आपके लेख तो सूचनाओं के बहुमूल्य कोष होते हैं आदरणीया वर्षा जी। इस लेख को पढ़कर मेरे मन एवं मस्तिष्क, दोनों ही प्रकाशित हो गए। आपके जीवन में सब कुशल हो, लेख के लिए अभिनंदन के साथ-साथ आपके लिए मेरी यही मंगल-कामना है।
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