Wednesday, January 9, 2019

सागर : साहित्य एवं चिंतन 40 ... एम. शरीफ : जिनकी ग़ज़लगोई में सादगी है - डॉ. वर्षा सिंह

Dr. Varsha Singh

       स्थानीय दैनिक समाचार पत्र "आचरण" में प्रकाशित मेरा कॉलम "सागर साहित्य एवं चिंतन " । जिसमें इस बार मैंने लिखा है मेरे शहर सागर के शायर एम. शरीफ पर आलेख। पढ़िए और जानिए मेरे शहर के साहित्यिक परिवेश को ....

सागर : साहित्य एवं चिंतन

एम. शरीफ : जिनकी ग़ज़लगोई में सादगी है
                    - डॉ. वर्षा सिंह
-------------------------------                   
परिचय :
नाम  : एम. शरीफ
जन्म : 30.08.1954
जन्म स्थान : गौरझामर (सागर)
शिक्षाः हायर सेंकेन्ड्री
विधा : शायरी
पुस्तकें : एक ग़ज़ल संग्रह
-------------------------------

सागर नगर में हिन्दी, उर्दू और बुंदेली की त्रिवेणी एक साथ बहती रही है। विशेषता यह कि इस त्रिवेणी में एक भी भाषाई नदी लुप्त नहीं हैं, अपितु तीनों समभाव से सतत प्रवाहित हैं। सागर नगर में कई ऐसे ग़ज़लकार हुए जिन्होंने दुनिया में सागर का नाम रोशन किया। कुछ ग़ज़लकार ऐसे भी हैं जो दुनियावी तड़क-भड़क से दूर स्वातःसुखाय ग़ज़लकार एम. शरीफ का जन्म 30 अगस्त 1954 को सागर जिले के गौरझामर (खैराना) में हुआ था। पिता स्वर्गीय श्री शेखवली मोहम्मद जो शिक्षा विभाग में प्रधान अध्यापक के पद पर पदस्थ रहे और 1958 में रिटायर होकर सागर आ गए। सागर नगर में उन्होंने शनिचरी टोरी पर अपना निवास स्थान बनाया। एम.शरीफ की स्कूली शिक्षा सागर में हुई।  हायर सेकेंडरी उत्तीर्ण करने के बाद ही लोक निर्माण विभाग में स्थल सहायक पद पर नियुक्ति हो गई। अपने सेवाकाल के दौरान शायर एम.शरीफ को बुंदेलखंड के कई स्थानों में रहने का अवसर मिला। वे सागर के अतिरिक्त पन्ना जिले के अजयगढ़ तथा छतरपुर के बड़ा मलहरा में भी कार्यरत रहे। सन् 2014 में वे सेवानिवृत्त हुए।
 एम. शरीफ को आरंभ से ही साहित्य में रुचि रही। वे शालाओं में होने वाले साहित्यिक कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर भाग लेते थे। कविता पाठ तथा गीत लेखन में उन्हें कई विद्यालयीन पुरस्कार मिले। इनकी सबसे पहली रचना “ओ मां इतना वरदान दे“ स्थानीय समाचारपत्र “गौर दर्शन“ में सन् 1974 में आगे चलकर उनकी यह अभिरुचि और विस्तृत हुई तथा कविताओं के अतिरिक्त उन्होंने गजलें और कहानियां भी लिखीं। एम. शरीफ अनेक मंचों से अपनी ग़ज़लों का पाठ कर चुके हैं तथा आकाशवाणी सागर से भी उनकी ग़ज़लों का प्रसारण हो चुका है। उनके गीत और ग़ज़लें समाचार पत्रों में प्रकाशित होती रहती है उनका एक ग़ज़ल संग्रह भी प्रकाशित हो चुका है जिसका नाम है-“तस्कीन ए ग़ज़ल“ ।
सागर नगर के मशहूर शायर मास्टर मोहम्मद इस्हाक का एम. शरीफ के साहित्य सृजन के बारे में कहना है कि “एम. शरीफ ने अपने गीत ग़ज़ल के लेखन में कई विधाओं में शेर लिखे हैं। चाहे समाज में हो रही अरजकताएं हों, दहशतगर्दी हो या जो भी ज्वलंत समस्याएं हों, वहीं दूसरी ओर इंसानियत खुलूसो- मोहब्बत और गंगा जमुनी तहजीब पर भी अच्छे शेर लिखे हैं।“
इसी तरह सागर जिले की शाहगढ़ तहसील में निवासरत शायर मोहम्मद रईस अख़्तर “एम. शरीफ ने अपनी गजलों में बेहतरीन लहजे अल्फाजों से संवारा है चाहे वह मुल्क में हो रहे दंगे फसाद हो समाज में हो रहे अपराध की गतिविधियां हो तो वहीं दूसरी तरफ इश्क मोहब्बत और गंगा जमुनी तहजीब पर भी अच्छे शेर कहे हैं यह एम शरीफ की ग़ज़ल कोई की खूबी है की अन्य शायर भी उनकी शायरी को महत्व देते हैं एम. शरीफ की शायरी में राष्ट्र प्रेम और समाज से सरोकार रखने वाली गजलें उभर कर आती हैं । उदाहरण के लिए ये दो शेर देखें-
सदा अनाजों से भरा रहे, हर खेत खलिहान
इल्म मोहब्बत से बने एक अलग पहचान
सोने की चिड़िया को, अब या खुदा
बना कबूतर हीरे का, चमका दे हिंदुस्तान

Sagar Sahitya avam chintan- Dr. Varsha Singh

ग़ज़लगोई को ले कर कई बार यह बात आती है कि ग़ज़ल कहना आसान काम नहीं है। ग़ज़ल के नियम-क़ायदों को निभाए बिना ग़ज़ल कही नहीं जा सकती है। लेकिन कई बार नियम-कायदों से परे भी कुछ अच्छी कहन मिल जाती है। तब उसे कहने वाले की भावना महत्वपूर्ण हो उठती है। शायर एम. शरीफ की यह ग़ज़ल देखें -
बढ़ता ही जा रहा है सेवन शराब का
मतलब नहीं समझते जीवन खराब का
हर कोई नशा करता है उम्र में कभी
दिल को जलाता है ये सेवन शराब का
करके बहाना ग़म का पीता है आदमी
बनती है उसकी मौत कारण शराब का
पीना तो आदमी का, है खुद अख्तियार
खुशहाल जिंदगी को बने, दुश्मन शराब का

मौजूदा वातावरण इंसान को हर तरह से प्रभावित करता है। यदि वातावरण अच्छा हो तो मन भी प्रफुल्ल्ति रहता है लेकिन यदि वातावरण त्रासद हो तो मन उद्वेलित रहता है। इस तथ्य को एम. शरीफ के इन शेरों में देखा जा सकता है-
इंसान को मत तलाशिए, अब आसपास में
शैतानियत के छुप गया वह तो लिबास में
सूरज मेरी गरीबी का ढल जाएगा जरूर
ये उम्र मेरी कट रही  इतनी ही आस में
सच बोलने के मुझको  इनामात मिल गए
पैबंद कितने  लग  गए  मेरे  लिबास में

शायर एम. शरीफ ने रूमानी ग़ज़लें भी लिखी हैं जो कि उनके ग़ज़ल संग्रह ‘तस्कीन ए ग़ज़ल’ में संग्रहीत हैं।  उनकी रूमानी ग़ज़लों में प्रेम का दुनियावी और दार्शनिक दोनों रंग देखे जा सकते हैं-
तेरे चेहरे को ख्वाबों में सजाया फिर भी
करार दिल को हमारे ना आया फिर भी
तेरे जमाल के यूं तो और भी दीवाने हुए
प्यार हमने भी इस तरह जताया फिर भी
ख़त की तहरीरें तो पहुंच गई उन तक
पास हमारे न कोई जवाब आया फिर भी

शम्मा और परवाने का बिम्ब शायरी में बहुधा मिलता है। इसे हर एक शायर अपने-अपने ढंग से बयां करता है। एम. शरीफ शम्मा और परवाने के पारस्परिक संबंध को जिस दृष्टि से देखते हैं, वह इन शेरों में उभर कर आया है-
परवाने बिना मकसद शम्मा से नहीं जलते
अफसाने मोहब्बत के,  बेवज़हा नहीं बनते
कुछ फर्क ही होता है अमीरी ओ गरीबी में
दीवानों पे दुनिया के,खंजर भी नहीं चलते
नादानियां थी उनकी कुछ मेरी ख़ताएं भी
वरना यह फासले भी, दरम्यां नहीं निकलते

यांत्रिकता के प्रभाव से संवेदनाहीन हो चले समाज में प्रेम जैसी कोमल भावनाओं का हताहत होना आम बात हो चली है। ऐसा माहौल शायर के दिल को कचोटता है और वह कह उठता है-
सच्चाई चाहतों की बेकार हो गई है
आजकल मोहब्बत व्यापार हो गई है
इंसानियत की खुशबू गुम है जहां से यारो
गुलशन की सब बहारें मक्कार हो गई हैं
मशहूर जो थी दिल्ली दिलदारी के लिए
अब आबरू भी उसकी जार-जार हो गई है

शायर एम.शरीफ की ग़ज़लगोई में उर्दू के छंदशास्त्र को ले कर उर्दू ग़ज़ल के जानकारों की अलग-अलग राय हसे सकती है किन्तु उनकी ग़ज़लों में निहित भावनाओं पर विवाद की कोई गुंजाइश नहीं है। वे एक सादगी भरी ग़ज़लगोई के शायर हैं और उन्हें उसी तरह स्वीकार किया जा सकता है।
                     ----------------
( दैनिक, आचरण  दि. 09.01.2019)
#आचरण #सागर_साहित्य_एवं_चिंतन #वर्षासिंह #मेरा_कॉलम #MyColumn #Varsha_Singh #Sagar_Sahitya_Evam_Chintan #Sagar #Aacharan #Daily

No comments:

Post a Comment