Wednesday, January 9, 2019

पाठकमंच गोष्ठी : और सोच में तुम - डॉ. वर्षा सिंह

Dr. Varsha Singh

    कभी- कभी सामान्य सी चर्चा गोष्ठी कुछ अच्छे और सारगर्भित दमदार वक्तव्यों तथा सुधी श्रोताओं की उपस्थिति से एकदम ख़ास बन जाती है.... कुछ ऐसी समीक्षा बैठक रविवार दिनांक 06.01.2019 की जाड़ों की ठंडी दोपहरी को वैचारिक ऊष्मा से भरने वाली सिद्ध हुई। म.प्र.संस्कृति परिषद के अंतर्गत पाठकमंच की सागर ईकाई में वरिष्ठ कवि नरेन्द्र दीपक के गीतों के संग्रह - "और सोच में तुम" पर सम्पन्न हुई । इस समीक्षा गोष्ठी में मैं यानी आपकी यह मित्र डॉ. वर्षा सिंह मुख्य अतिथि के रूप शामिल हुई। विशिष्ट अतिथि डॉ. आशुतोष और अध्यक्ष कवि निर्मलचंद निर्मल थे। प्रश्नकाल में सागर नगर के प्रबुद्धजनों सहित डॉ. सुश्री शरद सिंह ने भी अपने विचार रखे। इस सफल आयोजन के संयोजक थे भाई उमाकांत मिश्र।







गीत वह विधा है जो मां की लोरी के रूप में हमारे जीवन से उस समय से जुड़ जाती है जब हमें शब्दों का भली-भांति बोध ही नहीं रहता है। लेकिन जीवन के अनुभवों के साथ संवेदनाएं घनीभूत होती हैं और भाव सघन हो जाते हैं, तब जो गीत शब्दों में ढलते हैं, वे सरस, भावपूर्ण और मर्मस्पर्शी होते हैं।





   ऐसे ही सुंदर मर्मस्पर्शी गीतों का गुलदस्ता है  ‘सोच में हो तुम’। यह गीतों की एक बेहतरीन कृति है जो गीत परम्परा के सतत जारी रहने के प्रति आश्वस्त करती है। चूंकि नरेन्द्र दीपक कवि नीरज की परम्परा के गीतकार हैं इसलिए उनके इस गीत संग्रह में वही लयात्मकता है जो नीरज के गीतों में मिलती है।



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