Tuesday, December 1, 2020

जन्मदिवसस्य अभिनन्दनानि | डॉ. वर्षा सिंह

प्रिय ब्लॉग पाठकों,
    विगत 29 नवम्बर को मेरी अनुजा डॉ. (सुश्री) शरद सिंह का जन्मदिन था।
    उन्हें जन्मदिवसस्य अभिनन्दनानि अर्थात् जन्मदिन की बधाईयां ❤️🌹❤️

       29 नवम्बर 1963 को पन्ना, मध्यप्रदेश में जन्मीं "खजुराहो की मूर्तिकला" विषय में पीएचडी , राष्ट्रीय स्तर की प्रतिष्ठित साहित्यकार, कथालेखिका, उपन्यासकार, स्तम्भकार एवं  कवयित्री और मेरी अनुजा डॉ शरद सिंह वर्तमान में मध्यप्रदेश के सागर नगर में निवास करते हुए स्वतंत्र लेखन के कार्य के साथ नई दिल्ली से प्रकाशित साहित्यिक पत्रिका "सामयिक सरस्वती" में कार्यकारी सम्पादक का दायित्व निभा रहीं हैं एवं पत्र-पत्रिकाओं सहित सोशल मीडिया पर वे लगातार अपनी सक्रियता बनाए हुए हैं। वे मानती हैं कि अधिकारों का ज्ञान और साहस ही स्त्रियों को शोषण-मुक्त जीवन दे सकता है।
भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के पंडित गोविंद वल्लभ पंत पुरस्कार, मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी के पं. बालकृष्ण शर्मा "नवीन" पुरस्कार सहित राज्य स्तरीय रामेश्वर गुरू पत्रकारिता सम्मान पुरस्कार,  प्रादेशिक वागीश्वरी सम्मान, नई धारा कथा सम्मान, कस्तूरी देवी चतुर्वेदी लोकभाषा सम्मान, रामानंद तिवारी स्मृति प्रतिष्ठा सम्मान, विजय वर्मा कथा सम्मान आदि अनेक सम्मानों से सम्मानित वरिष्ठ लेखिका डाॅ. (सुश्री) शरद सिंह द्वारा  लिखित विभिन्न विषयों पर लगभग पचास से अधिक पुस्तकें अब तक प्रकाशित हो चुकी हैं। उन्होंने शोषित, पीड़ित स्त्रियों के पक्ष में अपने लेखन के द्वारा हमेशा आवाज़ उठाई है।  बुन्देलखण्ड की महिला बीड़ी श्रमिकों पर केन्द्रित ‘पत्तों में कैद औरतें’ तथा स्त्री विमर्श पुस्तक ‘औरत तीन तस्वीरें’ मनोरमा ईयर बुक में शामिल की जा चुकी हैं। बेड़िया स्त्रियों पर केन्द्रित ‘पिछले पन्ने की औरतें’ तथा लिव इन रिलेशन पर 'कस्बाई सिमोन' नामक उनके उपन्यासों को राष्ट्रीय एवं प्रादेशिक स्तर के अनेक सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। उनका एक और उपन्यास "पचकौड़ी" राजनैतिक और पत्रकारिता जगत की पर्तों का बारीकी से विश्लेषण करने वाला पठनीय एवं लोकप्रिय उपन्यास है। हाल ही में डॉ. शरद सिंह का नया उपन्यास "शिखण्डी… स्त्री देह से परे" प्रकाशित हुआ है जो महाभारत के एक प्रमुख पात्र शिखण्डी के जीवन को नए नज़रिए से व्याख्यायित करता है। 
इसके साथ ही "डॉ. अम्बेडकर का स्त्री विमर्श", "ग़दर की चिंगारियां" एवं "आधी दुनिया, पूरी धूप" उनकी महत्वपूर्ण पुस्तकें हैं। उनका बहुचर्चित बुंदेली कथासंग्रह "राख तरे के अंगरा" अनेक प्रतिष्ठित संस्थाओं द्वारा पुरस्कृत हो चुका है। शरद के 8 कहानी संग्रह, आदिवासी जीवन पर 10 पुस्तकें, साक्षरता विषयक 10 पुस्तकें, 2 नाटक संग्रह, विज्ञान पर 2 पुस्तकें, धर्म दर्शन पर 3 पुस्तकें, जीवनी श्रृंखला की 6 पुस्तकें, 3 काव्य संग्रह, 4 संपादित पुस्तकें जिनमें "थर्ड जेंडर विमर्श" बहुचर्चित है, प्रकाशित हो चुकी हैं। उनकी कहानियों का पंजाबी, उर्दू, उड़िया, मराठी एवं मलयालम में अनुवाद हो चुका है। साथ ही शरद सिंह के कथासाहित्य पर देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में शोध हो चुके हैं।
सुश्री शरद ने मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के सागर ज़िले में रह कर स्वतंत्र महिला लेखक, समीक्षक, संपादक, स्तम्भकार, समाजसेवी, एक्टिविस्ट, व्हिसिल ब्लोवर, ब्लागर, शार्ट फिल्मनिर्माता, फोटोग्राफर, आर्टिस्ट के रूप में अपनी पहचान बनाई है। पिछले 10 वर्षों से वे नियमित रूप से ब्लॉग लेखन कर रही हैं। उनके ब्लॉग हैं -

1-    शरदाक्षरा                          http://sharadakshara.blogspot.com
2-    समकालीन कथायात्रा             http://samkalinkathayatra.blogspot.com
3-    ए मिरर ऑफ इंडियन हिस्ट्री  http://amirrorofindianhistory.blogspot.com
4-    शरद सिंह                         http://misssharadsingh.blogspot.com
5-    शरद सिंह पेंटिंग ब्लॉग   http://sharadsinghpaintingsblog.blogspot.in/
6-    बुक्स ऑफ डॉ मिस शरद सिंह http://drsharadsingh.blogspot.com/
7-    सागर प्लस        https://sagarplus.blogspot.com/
8-     क्लिक ज़िक   https://clickzick.blogspot.com/

  इसके साथ ही सोशलमीडिया के अन्य माध्यम फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम आदि पर भी वे सक्रिय हैं।
उनके फेसबुक की लिंक निम्नलिखित है - 

इंस्टाग्राम की लिंक इस प्रकार है -

शरद सागर से प्रकाशित होने वाले दैनिक समाचार पत्र "सागर दिनकर" में अपने नियमित कॉलम "चर्चा प्लस" में अनेक समसामयिक मुद्दों पर विश्लेषणात्मक लेखन - प्रकाशन के माध्यम से प्रबुद्ध पाठकों के बीच अपनी विशिष्ट पहचान बनाए हुए हैं। इससे पूर्व डॉ. शरद सिंह सागर से ही प्रकाशित होने वाले दैनिक समाचार पत्र "आचरण" में अनेक वर्षों तक "बतकाव" शीर्षक का नियमित कॉलम तथा छतरपुर, म.प्र. से प्रकाशित होने वाले दैनिक समाचार पत्र "दैनिक बुंदेली मंच" में "शून्यकाल" शीर्षक स्तम्भ का लेखन कर चुकी हैं। 
डॉ. (सुश्री) शरद सिंह को उनके जन्मदिन के अवसर पर सागर नगर के समस्त प्रतिष्ठित नागरिकों सहित देश - विदेश के अनेक साहित्यकारों, प्रबुद्धजन एवं शुभचिंतकों ने उनके उज्जवल भविष्य हेतु अपनी शुभकामनाएं दीं। उन सभी के प्रति कृतज्ञतापूर्वक मैं आभार ज्ञापित करती हूं।

प्रिय बहन शरद को मेरी भी अनंत हार्दिक शुभकामनाएं एवं आशीर्वाद 🌹🙏🌹
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4 comments:

  1. शरद जी व्यक्तित्व और कृतित्व के बारे में जान कर बेहद अच्छा लगा । उनको एवं आपको हार्दिक शुभकामनाएं ।

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    1. बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद प्रिय मीना जी 🙏❤️🙏

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  2. आदरणीया शरद जी को जन्मदिन की शुभकामनाएं

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    1. हार्दिक आभार आदरणीय Hindiguru जी 🙏

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