Monday, April 26, 2021

अल्विदा मेरी मां डॉ. विद्यावती "मालविका" | डॉ.वर्षा सिंह

डॉ. विद्यावती "मालविका"
13.03.1928- 20.04.2021



      प्रिय ब्लॉग पाठकों, मेरी स्वर्गीय माता जी डॉ. विद्यावती "मालविका" की जन्मभूमि मध्यप्रदेश के मालवा की उज्जैयिनी है और उनका कर्मक्षेत्र रहा है बुंदेलखंड का पन्ना और सागर। मालवा और बुंदेलखंड दोनों क्षेत्रों के प्रति स्नेहांजलि स्वरूप लिखा उनका यह गीत आज उन्हीं को श्रद्धांजलि स्वरूप यहां प्रस्तुत है-

प्रिय है धरा बुंदेली

          - डॉ. विद्यावती "मालविका"

मैं मालव कन्या हूं मुझको, प्रिय है धरा बुंदेली।
शिप्रा मेरी बहिन सरीखी, सागर झील सहेली।।

उज्जैयिनी ने सदा मुझे स्नेह दिया
विक्रम की धरती ने मेरा मान किय,
बुंदेली वसुधा ने मुझे दुलार दिया
गौर भूमि ने मुझे सदा सम्मान दिया,

सदा लुभाती मुझको सुंदर ऋतुओं की अठखेली।
मैं मालव कन्या हूं मुझको, प्रिय है धरा बुंदेली।।

महाकाल के चरणों में बचपन बीता 
रहा न मेरा अंतस साहस से रीता,
यहां बुंदेली संस्कृति को अपनाने पर
हुई समाहित मेरे मन में ज्यों गीता,

ऋणी रहूंगी मैं नतमस्तक, बांधे युगल हथेली।
मैं मालव कन्या हूं मुझको, प्रिय है धरा बुंदेली।।
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#सागर #मध्यप्रदेश #उज्जैन #मालवा #बुंदेलखंड #डॉ_विद्यावती_मालविका #DrVidyawatiMalvika

7 comments:

  1. हार्दिक श्रद्धांजलि एवं शत-शत नमन उन्हें। उनके द्वारा रचित गीत जो आपने आज साझा किया है, वह भी अद्वितीय है तथा बुंदेली धरा के प्रति उनके प्रेम से सराबोर है। आपका सौभाग्य है कि आप उनकी पुत्री बनकर इस संसार में आईं, उनका भी सौभाग्य रहा कि उन्हें आप जैसी पुत्री मिली।

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  2. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (27-4-21) को "भगवान महावीर जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं"'(चर्चा अंक-4049) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    --

    स्वर्गीय माता डॉ. विद्यावती "मालविका"जी को
    विनम्र श्रद्धांजलि,परमात्मा उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें

    कामिनी सिन्हा

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  3. आदरणीय माताजी को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं,उनका गीत पढ़ने का अवसर देने के लिए आपका बहुत आभार वर्षा जी,बहुत सुंदर गीत है,उनको सादर नमन एवम वंदन ।

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  4. आदरणीय माताजी को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करती। हूं। भगवान इन पुण्यात्मा को शांति प्रदान करे।नमन

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  5. माँ को शत शत नमन और श्रद्धांजलि !

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  6. लम्बे पारिवारिक संघर्षमय जीवन के साथ ही साहित्य साधना में उल्लेखनीय उपलब्धि विरले ही अर्जित करते हैं, दुनिया उसी को याद रखती है जो दुनिया को कुछ अविस्मरणीय देकर जाते हैं, जो कईयों के लिए प्रेरक बनता है जीवन में

    माँ जी हार्दिक श्रद्धा सुमन , ईश्वर उन्हें अपने शरण में स्थान दें, यही मनोकामना है

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