Sunday, June 28, 2020

डॉ. विद्यावती "मालविका" का गीत | देव दया तुम करना | कोरोना के विरुद्ध | डॉ. वर्षा सिंह

Dr. Varsha Singh
प्रिय ब्लॉग पाठकों, यह है मेरी माता जी डॉ. विद्यावती "मालविका" द्वारा लिखा गया एक ताज़ा गीत ... जिसे wab magazine युवाप्रवर्तक ने दि. 16.06.2020 के अंक में प्रकाशित किया है।
हार्दिक आभार "युवाप्रवर्तक" 🙏
http://yuvapravartak.com/?p=35019
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कोरोना संक्रमण के विरुद्ध एक गीत :

देव दया तुम करना
             - डॉ. विद्यावती 'मालविका'

सहनशक्ति की कठिन परीक्षा, देव दया तुम करना।
कष्ट निवारण करना सारे, दया दृष्टि तुम रखना।

हम भारत की संतानों का अहित न होने पाए,
करें सामना साहस से हम यदि जो विपदा आए,
हम गंगा की पावन धारा, हमें निरंतर बहना।
सहनशक्ति की कठिन परीक्षा, देव दया तुम करना।

सूर्य मुदित हो उदित सर्वदा, हर्ष नित्य बिखराए,
निशा चंद्रमा औ तारों की अनुपम ज्योति सजाए,
सुप्त-जागृत आंखों देखा, हो पूरा हर सपना।
सहनशक्ति की कठिन परीक्षा, देव दया तुम करना।
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Saturday, June 27, 2020

आधुनिक हिन्दी कवयित्रियों के प्रेमगीत | डॉ. विद्यावती 'मालविका' | परिचय | गीत | डॉ. वर्षा सिंह

Dr. Varsha Singh
प्रिय मित्रों, आज पढ़िए "आधुनिक हिन्दी कवयित्रियों के प्रेमगीत"  पुस्तक में संकलित मेरी माताजी डॉ. विद्यावती "मालविका" जी का गीत जो इस पुस्तक में उनके छायाचित्र एवं परिचय सहित प्रकाशित है। देश के प्रख्यात साहित्यकार एवं यशस्वी संपादक क्षेमचन्द्र "सुमन" जी द्वारा संपादित यह ग्रंथ वर्ष 1962 में राजपाल एण्ड संस, दिल्ली से प्रकाशित हुआ था। इस पुस्तक में महादेवी वर्मा से ले कर प्रकाशन वर्ष तक की अवधि की देश की जानीमानी कवयित्रियों का परिचय एवं उनके गीत संकलित हैं।








  इस पुस्तक की सामग्री को अनेक शोधग्रंथों एवं शोधात्मक लेखन में विशेष संदर्भ के रूप में सम्मिलित किया जाता है।
साथ ही मित्रों, मैं निवेदन करना चाहूंगी कि मेरी माता जी डॉ. विद्यावती 'मालविका' ने शतकाधिक गीत लिखे हैं, जो हिंदी साहित्य की धरोहर हैं। अनेक शोध ग्रंथों में उनके गीतों को सम्मिलित किया गया है एवं अनेक समवेत संकलनों में भी उनकी रचनाएं विद्यमान हैं। वह वर्तमान में भी यदा-कदा छंदबद्ध  कविताएं, गीत इत्यादि लिखती रहती हैं।

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मध्यप्रदेश के आधुनिक साहित्यकार | डॉ. विद्यावती 'मालविका' | परिचय | डॉ. वर्षा सिंह

Dr. Varsha Singh
प्रिय ब्लॉग पाठकों , आज मैं आपसे साझा कर रही हूं "मध्यप्रदेश के आधुनिक साहित्यकार"  ग्रंथ में संकलित मेरी माताजी डॉ. विद्यावती "मालविका"  का परिचयात्मक विवरण। मध्यप्रदेश के प्रखर पत्रकार, विद्वान साहित्यकार, मनीषी संपादक एवं मध्य प्रदेश शासन के जनसंपर्क विभाग में तत्कालीन अधिकारी डॉ. बृजभूषण सिंह 'आदर्श' जी द्वारा संपादित यह ग्रंथ वर्ष 1971 में प्रकाशित हुआ था। इस ग्रंथ में भारतेंदु युग से आधुनिक युग तक के मध्य प्रदेश के साहित्यकारों का परिचयात्मक विवरण संकलित किया गया है।
युवावस्था में डॉ. विद्यावती "मालविका" # साहित्य वर्षा 

डॉ. विद्यावती "मालविका" का परिचय

"मध्यप्रदेश के आधुनिक साहित्यकार" पुस्तक का कव्हर

"मध्यप्रदेश के आधुनिक साहित्यकार" पुस्तक के लेखक का परिचय

"मध्यप्रदेश के आधुनिक साहित्यकार" पुस्तक का प्रकाशन विवरण 



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Friday, June 26, 2020

'मध्य भारत का इतिहास' | चतुर्थ खण्ड | डॉ. विद्यावती 'मालविका' | गीत | विक्रम | डॉ. वर्षा सिंह

Dr. Varsha Singh
प्रिय मित्रों, आज मैं आप सबसे साझा कर रही हूं मेरी माताजी डॉ. विद्यावती "मालविका" का जुलाई 1951 में उज्जैन से प्रकाशित होने वाले पत्र "विक्रम" में प्रकाशित गीत ...और साथ में "मध्य भारत का इतिहास" ग्रंथ के चौथे खंड के कवर की फोटो सहित वह पृष्ठ जिसमें माताजी के नाम का उल्लेख है। इस ग्रंथ के लेखक हैं  हरिहर निवास द्विवेदी जी जोकि अपने समय के मध्य भारत के विख्यात इतिहासवेत्ता और मूर्धन्य साहित्यकार रहे हैं... एवं 26 जनवरी 1959 में प्रकाशित चार खण्डों वाले इस महाग्रंथ के प्रकाशक थे श्री ईश्वर सिंह परिहार संचालक सूचना एवं प्रकाशन, मध्यप्रदेश शासन।






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डॉ. विद्यावती "मालविका" का गीत | मालव जननी | विक्रम | डॉ. वर्षा. सिंह

Dr. Varsha Singh
प्रिय मित्रों, ये दो तस्वीरें हैं... एक है वर्ष 1953 में मेरी माता जी विद्यावती ‘मालविका’ जी की और दूसरी "विक्रम" पत्र के दिसम्बर 1953 के अंक में प्रकाशित उनके गीत "मालव जननी" के पत्र-कतरन की।
एक प्रसिद्ध संस्कृत श्लोक का अंश है... "जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी", मध्यप्रदेश के मालवा क्षेत्र में स्थित विक्रमादित्य का नगर उज्जैन मेरी माता जी डॉ. विद्यावती ‘मालविका’ की जन्मभूमि है। लेखन में उनकी रुचि बाल्यकाल से रही है। माताजी ने अपने पिता यानी मेरे नाना जी संत ठाकुर श्यामचरण सिंह जी के विचारों से प्रभावित हो कर 12-13 वर्ष की आयु से ही साहित्य सृजन आरम्भ कर दिया था। उनकी गहरी साहित्यिक अभिरुचि को पहचान कर उज्जैन के प्रकाण्ड विद्वान, स्वनामधन्य कवि एवं "विक्रम" पत्र के यशस्वी सम्पादक पण्डित सूर्यनारायण व्यास जी ने उन्हें "मालविका" अर्थात् मालव कन्या के उपनाम से विभूषित किया था। "विक्रम" के दिसम्बर 1953 के अंक में प्रकाशित माता जी का यह गीत उन दिनों बहुत लोकप्रिय हुआ था।
         अपने विवाह पश्चात माताजी ने मालवा से विदा लेने के उपरांत रीवा और तत्पश्चात  अपने जीवन के लगभग 6 दशक बुन्देलखण्ड में व्यतीत किए हैं, जिसमें से लगभग 30 वर्ष पन्ना में और 30 वर्ष से अधिक समय सागर में... वर्तमान में वे मकरोनिया, सागर में निवासरत हैं।
डॉ. विद्यावती "मालविका" युवावस्था में... @ साहित्य वर्षा

दिसम्बर 1953 में "विक्रम" (उज्जैन) में प्रकाशित डॉ. विद्यावती "मालविका" का गीत "मालव जननी"



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Saturday, June 20, 2020

डॉ. विद्यावती "मालविका" का गीत | चातकी | दीदी | डॉ. वर्षा. सिंह

प्रिय मित्रों, इलाहाबाद उत्तर प्रदेश से प्रकाशित होने वाली जिस मासिक पत्रिका "दीदी" में मेरी माता जी विद्यावती जी (तब वे अविवाहित थीं और हिन्दी साहित्य में विशारद की उपाधि प्राप्त कर चुकी थीं) की यह रचना वर्ष 1950 में प्रकाशित हुई है , वह पत्रिका पूरी हिंदी पट्टी यानी उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार आदि अनेक राज्यों के कन्या शालाओं के लिए मान्यता प्राप्त स्वीकृत पत्रिका थी जिसमें नारी उत्थान और नारी शिक्षा से संबंधित सामग्री लगातार प्रकाशित की जाती थी। देश की आजादी के 3 वर्ष बाद अगस्त 1950 में मेरी माता जी की प्रकाशित या रचना इस बात का प्रमाण है कि विषम परिस्थितियों के बावजूद कुछ जागरूक साहित्यकार, समाजसेवी महिला शिक्षा के प्रति उस समय भी जागरूक थे। किंतु विशेषकर उन परिवारों में जहां परिवार के मुखिया स्वयं शिक्षित थे। मेरे नाना जी संत श्यामचरण सिंह जी स्वयं विद्वान लेखक साहित्यकार एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, समाजसेवी थे इसलिए उन्होंने मेरी माता जी की शिक्षा- दीक्षा में कभी अवरोध उत्पन्न नहीं किया, बल्कि लेखन, पठन-पाठन के लिए हमेशा उन्हें प्रोत्साहित भी किया।  मेरी माता जी इस पत्रिका में गीत, कहानी, कविताएं आदि नियमित रूप से लिखती थीं। उनकी अनेक रचनाएं इस पत्रिका में प्रकाशित हुई उनकी कुछ और प्रकाशित कृतियां मैं आप सबसे भविष्य में साझा करती रहूंगी इसी प्रकार आत्मीयता एवं स्नेह बनाए रखें, सादर प्रस्तुत है माता जी की फाइल से उनकी यह रचना🙏
दीदी पत्रिका 1950 @ साहित्य वर्षा


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डॉ. विद्यावती "मालविका" का गीत | ज्योत्सना | दीदी | डॉ. वर्षा. सिंह

.... और यह है मेरी माता जी डॉ. विद्यावती 'मालविका' जी का "दीदी" पत्रिका में जनवरी 1949 में प्रकाशित एक गीत...

दीदी पत्रिका, जनवरी 1949, @ साहित्य वर्षा


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Thursday, June 11, 2020

डॉ. विद्यावती "मालविका" का गीत | नववर्ष | दीदी | डॉ. वर्षा सिंह


प्रिय मित्रों, आज पढ़िए मेरी माताजी डॉ. विद्यावती 'मालविका' का वर्ष 1948 में इलाहाबाद से प्रकाशित होने वाली प्रतिष्ठित मासिक पत्रिका "दीदी" के जनवरी अंक में प्रकाशित एक गीत....

डॉ. विद्यावती "मालविका" का गीत - @ साहित्य वर्षा

     मित्रों, दरअसल मेरी माताजी डॉ. विद्यावती मालविका, जिन्होंने अनेक महत्वपूर्ण पुस्तकें लिखी हैं, वे नियमित रूप से समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं जर्नल्स में कविता, कहानी, लेख, विचार दर्शन आदि लिखा करती रही हैं। यूं तो वे अभी भी लेखन, पठन-पाठन से जुड़ी हुई हैं किन्तु आज उनकी एक पुरानी फाइल पलटते हुए मुझे यह विचार आया कि आप सबसे भी उनकी कुछ प्रकाशित रचनाएं साझा करूं।

Wednesday, June 10, 2020

बुंदेलखंड हिंदी साहित्य-संस्कृति विकास मंच सागर की ऑन लाईन काव्य गोष्ठी - डॉ. वर्षा सिंह

Dr. Varsha Singh
प्रिय मित्रों, बुंदेलखंड हिंदी साहित्य-संस्कृति विकास मंच सागर की ऑन लाईन काव्य गोष्ठी का आयोजन दिनांक 06 जून दोपहर तीन बजे से किया गया जिसमें मैंने यानी आपकी इस मित्र डॉ वर्षा सिंह एवं बहन सुश्री डॉ शरद सिंह ने भी काव्यपाठ किया। इस  ऑन लाईन आयोजन में सागर नगर सहित सागर संभाग के अन्य ज़िलों के प्रतिष्ठित कवियों, साहित्यकारों ने सहभागिता की।
हार्दिक आभार बुंदेलखंड हिंदी साहित्य-संस्कृति विकास मंच सागर 🙏
हार्दिक आभार दैनिक नवदुनिया 🙏
हार्दिक आभार दैनिक भास्कर 🙏



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म.प्र.लेखक संघ सागर का ऑनलाईन कवि सम्मेलन - डॉ. वर्षा सिंह

Dr. Varsha Singh
प्रिय मित्रों, विगत दिनांक 02.06.2020 को म.प्र.लेखक संघ सागर के Online विराट कवि सम्मेलन में मैंने यानी डॉ वर्षा सिंह और मेरी बहन डॉ शरद सिंह सहित देश के विभिन्न अंचलों के ख्यातिलब्द्ध कवियों ने काव्यपाठ किया। जिसे आज स्थानीय समाचारपत्रों ने प्रमुखता से प्रकाशित किया है।
हार्दिक आभार म.प्र.लेखक संघ सागर 🙏
हार्दिक आभार दैनिक भास्कर 🙏
हार्दिक आभार दैनिक देशबन्धु 🙏
हार्दिक आभार दैनिक आचरण 🙏





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बुंदेलखंड हिंदी साहित्य-संस्कृति विकास मंच सागर की ऑन लाईन काव्य गोष्ठी - डॉ. वर्षा सिंह

Dr. Varsha Singh
प्रिय मित्रों, बुंदेलखंड हिंदी साहित्य-संस्कृति विकास मंच सागर की ऑन लाईन काव्य गोष्ठी का आयोजन दिनांक 30 मई दोपहर तीन बजे से किया गया जिसमें मैंने यानी आपकी इस मित्र डॉ वर्षा सिंह एवं बहन सुश्री डॉ शरद सिंह ने भी काव्यपाठ किया। इस  ऑन लाईन आयोजन में नगर के वरिष्ठ साहित्यकार श्री लक्ष्मी नारायण चौरसिया जी की धर्मपत्नी स्व. श्रीमती उषा चौरसिया को हम सभी उपस्थित कवियों, साहित्यकारों द्वारा श्रद्धांजलि भी दी गई।
हार्दिक आभार बुंदेलखंड हिंदी साहित्य-संस्कृति विकास मंच सागर 🙏
हार्दिक आभार दैनिक देशबन्धु 🙏
हार्दिक आभार दैनिक भास्कर🙏




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प्रगतिशील लेखक संघ मकरोनिया की ऑनलाइन कवि गोष्ठी - डॉ. वर्षा सिंह

Dr. Varsha Singh
प्रिय मित्रों, रविवार दिनांक 31.05.2020 को प्रगतिशील लेखक संघ मकरोनिया की ऑनलाइन पाक्षिक गोष्ठी काव्य गोष्ठी में मैंने यानी आपकी इस मित्र डॉ. वर्षा सिंह ने- "यादें बाकी रह जाती हैं, वक्त गुजर जाता है। जिसे भूलना चाहो अक्सर, वही नजर आता है। जीवन की यह नदी डूब कर पार इसे करना है, मन में जिसके संशय हो वह नहीं उबर पाता है... " गजल सुनाकर वाहवाही पाई ।
साथ ही बहन डॉ. (सुश्री) शरद सिंह ने गजल- "कट रहे हैं दिन सुपारी की तरह, जिंदगी भारी उधारी की तरह। चैन के पल हो गए हैं भूमिगत, एक मुजरिम इश्तिहारी की तरह..." सुनाई, जिसे सभी ने बेहद पसंद किया।
हार्दिक धन्यवाद प्रगतिशील लेखक संघ मकरोनिया 🙏
हार्दिक धन्यवाद दैनिक भास्कर 🙏


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बुंदेलखंड हिन्दी साहित्य-संस्कृति विकास मंच, सागर की ऑनलाइन कवि गोष्ठी - डॉ. वर्षा सिंह

Dr. Varsha Singh
प्रिय मित्रों, मानना पड़ेगा कि इस कोरोना काल में काव्यगोष्ठी ने ऑनलाईन हो कर सोशल मीडिया पर अपना रंग जमा लिया है। Whatsapp Group हो या Facebook Live .... Zoom App हो या WebEx Meet ... काव्यगोष्ठी ज़ारी है... तो लीजिए पढ़िये दैनिक "देशबंधु" में प्रकाशित यह समाचार... जी हां, कल शनिवार 23.05.2020 को सम्पन्न On Line गोष्ठी में मैंने सरस्वती वंदना की और अपनी ग़ज़ल का पाठ किया ....

धन्यवाद बुंदेलखंड हिन्दी साहित्य-संस्कृति विकास मंच, सागर 🙏



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यूट्यूब पर साक्षात्कार... डॉ. वर्षा सिंह

प्रिय मित्रों,
         कृपया देखें और सुनें...मेरी कविताएं और मेरा साक्षात्कार 😊 जिसे 'प्रधाननामा' यूट्यूब चैनल के संचालक एवं सागर नगर के उत्साहित युवा यूट्यूबर वरुण प्रधान ने तैयार किया है। सागर के साहित्यकारों पर उनके द्वारा इन दिनों  प्रस्तुत "साहित्य सागर" श्रृंखला में देखिए  #PradhanNama के  #SahityaSagar में मेरा #Interview और सुनिए मेरी रचनाएं....
कृपया इस link पर जाएं....
Sahitya Sagar Ep 15 | Dr. Varsha Singh reciting her works | डॉ वर्षा सिंह..।। https://youtu.be/Wese01BF-NI via @YouTube


हार्दिक धन्यवाद प्रधाननामा 💐 #MyInterview #MyPoetry #MyGhazal #MyLife #MyWriteup #Sagar #Panna #DrVarshaSingh  #बुंदेलखंड #Bundelkhand #जयबुंदेली #जयबुंदेलखण्ड

Thursday, June 4, 2020

प्रगतिशील लेखक संघ की ऑनलाइन पाक्षिक गोष्ठी में काव्यपाठ - डॉ. वर्षा सिंह


Dr. Varsha Singh
 प्रगतिशील लेखक संघ की रविवार 18.05.2020 को ऑनलाइन सम्पन्न हुई पाक्षिक गोष्ठी में मैंने प्रवासी मज़दूरों की व्यथा संदर्भित अपनी ग़ज़ल का पाठ किया... "कांधे पर है बोझ गृहस्थी का पांवों में छाले हैं। दर -दर की ठोकर लिक्खी है, खोटी क़िस्मत वाले हैं। गांव, गली, घर छोड़ा था सब, पैसे चार कमाने को, अब जाना ये महानगर भी दिल के कितने काले हैं।"
साहित्यिक आयोजनों के समाचारों को सदैव प्रमुखता से प्रकाशित करने में अग्रणी "दैनिक भास्कर" को बहुत बहुत धन्यवाद 🙏💐


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