Saturday, June 20, 2020

डॉ. विद्यावती "मालविका" का गीत | चातकी | दीदी | डॉ. वर्षा. सिंह

प्रिय मित्रों, इलाहाबाद उत्तर प्रदेश से प्रकाशित होने वाली जिस मासिक पत्रिका "दीदी" में मेरी माता जी विद्यावती जी (तब वे अविवाहित थीं और हिन्दी साहित्य में विशारद की उपाधि प्राप्त कर चुकी थीं) की यह रचना वर्ष 1950 में प्रकाशित हुई है , वह पत्रिका पूरी हिंदी पट्टी यानी उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार आदि अनेक राज्यों के कन्या शालाओं के लिए मान्यता प्राप्त स्वीकृत पत्रिका थी जिसमें नारी उत्थान और नारी शिक्षा से संबंधित सामग्री लगातार प्रकाशित की जाती थी। देश की आजादी के 3 वर्ष बाद अगस्त 1950 में मेरी माता जी की प्रकाशित या रचना इस बात का प्रमाण है कि विषम परिस्थितियों के बावजूद कुछ जागरूक साहित्यकार, समाजसेवी महिला शिक्षा के प्रति उस समय भी जागरूक थे। किंतु विशेषकर उन परिवारों में जहां परिवार के मुखिया स्वयं शिक्षित थे। मेरे नाना जी संत श्यामचरण सिंह जी स्वयं विद्वान लेखक साहित्यकार एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, समाजसेवी थे इसलिए उन्होंने मेरी माता जी की शिक्षा- दीक्षा में कभी अवरोध उत्पन्न नहीं किया, बल्कि लेखन, पठन-पाठन के लिए हमेशा उन्हें प्रोत्साहित भी किया।  मेरी माता जी इस पत्रिका में गीत, कहानी, कविताएं आदि नियमित रूप से लिखती थीं। उनकी अनेक रचनाएं इस पत्रिका में प्रकाशित हुई उनकी कुछ और प्रकाशित कृतियां मैं आप सबसे भविष्य में साझा करती रहूंगी इसी प्रकार आत्मीयता एवं स्नेह बनाए रखें, सादर प्रस्तुत है माता जी की फाइल से उनकी यह रचना🙏
दीदी पत्रिका 1950 @ साहित्य वर्षा


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