Saturday, February 29, 2020

एक शाम दुष्यंत की ग़ज़लों के नाम - डॉ. वर्षा सिंह


        02 फरवरी की शाम संगीतमय रही... ग़ज़लसम्राट दुष्यंत कुमार और सुरसम्राट जगजीत सिंह की स्मृति में 02 फरवरी की शाम संगीतमय रही... ग़ज़लसम्राट दुष्यंत कुमार और सुरसम्राट जगजीत सिंह की स्मृति में ग़ज़लों का गुलदस्ता सजाया था स्थानीय स्वर संगम संस्था ने जिसके संयोजक थे युवा समाजसेवी भाई डॉ. विनोद तिवारी। संस्था के अध्यक्ष हैं भाई हरिसिंह ठाकुर जी जो पूर्ण समर्पणभावना से विगत अनेक वर्षों से यह आयोजन करते आ रहे हैं।
02.02.2020










Wednesday, February 12, 2020

विचार विमर्श और काव्यपाठ : प्रगतिशील लेखक संघ मकरोनिया इकाई की पाक्षिक गोष्ठी में - डॉ. वर्षा सिंह


       विचार विमर्श और काव्यपाठ ने रविवार 09 फरवरी की दोपहर को कुछ ख़ास बना दिया। दरअसल बहन डॉ. (सुश्री) शरद सिंह की अध्यक्षता में प्रगतिशील लेखक संघ मकरोनिया इकाई की पाक्षिक गोष्ठी में शामिल मैंने यानी आपकी इस मित्र डॉ. वर्षा सिंह ने भी अपने विचार रखे और ग़ज़लपाठ किया।
इस अवसर पर डॉ. उदय जैन सहित कवि निर्मलचंद निर्मल, वीरेंद्र प्रधान, टी.आर.त्रिपाठी 'रुद्र', नलिन जैन, सतीश पाण्डेय, दीपा भट्ट, महेश दर्पण आदि की विमर्श और काव्यपाठ में हिस्सेदारी महत्वपूर्ण रही।

















Tuesday, February 11, 2020

एक मुलाकात शायर डॉ. मधुर नज़्मी से - डॉ. वर्षा सिंह


शे'र जब उभरते हैं सन्दली ख़यालों से
शाइरी महकती है तब नये सवालों से

अब अदब के गुलशन में फूल कम ही खिलते हैं
ज़ह्र फैलते हैं अब बे-अदब रिसालों में

छा रहा है सूरज पर अब्र का नया टुकड़ा
दूर कर न दे हमको तीरगी उजालों से

बेपरों की परवाज़ें बे-असर ही ठहरेंगी
पस्तियाँ ही आएँगी आपकी उछालों से

नफ़रतों का क़द शायद छोटा होने वाला है
लोग हो गए वाक़िफ़ रहबरों की चालों से

क्यों चला नहीं जाता, पाँव रुक गये हैं क्यों
हर जवाब मिल जाता पूछते जो छालों से

ऐ 'मधुर' अब उम्मीदें ख़ाक हो गयीं सारी
वक़्त का मछेरा ही घिर गया है जालों से

- मधुर नज़्मी

 विगत जनवरी 2020 में देश के प्रख्यात शायर मधुर नज़्मी जी का मोहम्मदाबाद गोहना, मऊ (उ.प्र.) से मेरे शहर सागर आए।  इस दौरान मैंने उन्हें अपने  पांचवें ग़ज़ल संग्रह "दिल बंजारा" की प्रति भेंट की तथा मैंने और मेरी बहन डॉ शरद सिंह ने उनसे साहित्यिक चर्चाएं कीं। उसी तारतम्य में मैंने उनका एक अनौपचारिक साक्षात्कार लिया जिसका मुख्य अंश यहां प्रस्तुत है -
*डॉ. वर्षा सिंह -* आप इतने बड़े ग़ज़लगो हैं, आप ग़ज़ल के वर्तमान परिदृश्य को कैसा पाते हैं?
*डॉ. मधुर नज़्मी-* ग़ज़ल का वर्तमान परिदृश्य चिन्ताजनक है क्योंकि सोशल मीडिया पर कथित शायरों की बाढ़ आ जाने से ग़ज़ल की गम्भीरता नष्ट हो रही है। आप लोगों जैसे शायरों की ग़ज़ल के प्रति प्रतिबद्धता यह भरोसा दिलाती है कि इस विधा को गम्भीरता से लेने वाले लोग अभी शेष हैं और ग़ज़ल की श्रेष्ठता बनाए रखने के लिए कृतसंकल्प हैं।

*डॉ. वर्षा सिंह -* अक्सर यह सुनने में आता है कि साहित्य के प्रति अब लोगों मैं पहले जैसी रुचि नहीं रही। खुले मंच चुटकुलेबाजी का अड्डा बनते जा रहे हैं, आपका इस बारे में क्या कहना है?
*डॉ. मधुर नज़्मी-* आपका कहना सच है कि मंचों का स्तर अब पहले जैसा नहीं रहा। लेकिन मैं निराश नहीं हूं। साहित्य में बहुत ताकत होती है यदि  ईमानदारी से अपनाया जाए तो साहित्य सारी दुनिया से जोड़ने की ताकत रखता है। मैं मुफ़लिसी में पैदा हुआ लेकिन मेरी शायरी ने दस देशों में जा कर मुशायरे पढ़ने का मौका दिया।
*डॉ. वर्षा सिंह -* उर्दू ग़ज़ल और हिन्दी ग़ज़ल, इन दो भाषाई नामों पर भी अक्सर बहसें होती रहती हैं। क्या आप इस बंटवारे को उचित मानते हैं?
*डॉ. मधुर नज़्मी-* मैं ग़ज़ल विधा के संदर्भ में भाषाई विवाद को तरज़ीह नहीं देता हूं। ग़ज़ल तो वह है जो दिल से कही जाए और सुनने वाले के दिल को छू जाए।
*डॉ. वर्षा सिंह -* सागर आ कर आपको कैसा महसूस हो रहा है?
*डॉ. मधुर नज़्मी-* जी, सागर आ कर मुझे बहुत अच्छा लगा। सागर को मैं त्रिलोचन शास्त्री जी के सागर प्रवास के कारण जानता था, फिर आपके नाम से इसे जाना। यहां के लोग बहुत मिलनसार हैं।
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तीनबत्ती न्यूज़.कॉम
साहित्य सारी दुनिया से जोड़ने की ताकत रखता है- डॉ #मधुर #नज़्मी
#साक्षात्कार/डॉ #वर्षासिंह
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🎨 चित्रकला कार्यशाला : विज्ञान की मदद से गांव में हुए विकास की कहानियों को चित्रकारों ने हरे, नीले, पीले और भूरे रंग से बखूबी बयां किया -डॉ. वर्षा सिंह




   रंग के साथी ग्रुप सागर द्वारा इंडियन साइंस कांग्रेस के सहयोग से ग्रामीण विकास में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के योगदान पर केन्द्रित चित्रकला वर्कशॉप का सागर शहर में पहली बार तीन दिवसीय आयोजन रवीन्द्र भवन, सागर में किया गया। इसके लिए रंग के साथी ग्रुप सागर के ख्यातिलब्ध चित्रकार असरार अहमद बधाई के पात्र हैं। 💐

 🎨   चित्रकला कार्यशाला पर मेरी रिपोर्ट को विगत दिनांक 09 फरवरी 2020 को "दैनिक भास्कर" के सागर संस्करण में स्थान मिला है।
हार्दिक आभार "दैनिक भास्कर" 🙏🌹🙏



ब्लॉग पाठकों के लिए मेरा यह लेख जस का तस निम्नलिखित है....

विज्ञान की मदद से गांव में हुए विकास की कहानियों को चित्रकारों ने हरे, नीले, पीले और भूरे रंग से बखूबी बयां किया
         -डॉ. वर्षा सिंह

ये पेंटिंग्स बखूबी बताती हैं कि अब गांव पहले जैसे नहीं रहे जहां रात के अंधेरा से नन्हें दिए के सहारे जूझना पड़ता था। वहीं आज के गांव विद्युत से जगमगाते हैं। आज गांवों में खेतों को सींचने के लिए विद्युत मोटर है, जोतने के लिए ट्रेक्टर हैं। आज परस्पर संवाद और खेती किसानी की आवश्यक सूचनाएं पाने के लिए ग्रामीणों के हाथों में भी मोबाइल फोन हैं। वर्कशॉप में तैयार की जा रही अधिकांश पेंटिंग प्राकृतिक सौंदर्य के बीच बसे गांवों पर आधारित है। अतः इनमें हरे, नीले, पीले और भूरे रंग का प्रयोग कर विकास को बताया गया। खेतों को दर्शाने वाले दृश्यों में हरे रंग के विभिन्न शेड्स का संविलियन अपने आप में चाक्षुष प्रभाव छोड़ता है। कुछ पेंटिंग्स में लाल, नारंगी और गहरे पीले रंग के साथ चटख नीले रंग का प्रयोग कर के आंतरिक उल्लास को ख़ूबसूरती से उकेरा गया है। गृहणियों को लकड़ी के धुंए में अपनी आंखें दुखानी नहीं पड़ती हैं। बल्कि उनके पास आज उन्नत किस्म के चूल्हे हैं। विज्ञान के सौजन्य से ग्रामीण जीवन में आए इन सारे बदलावों को कैनवास पर देखा जा सकता है। इंडियन साइंस कांग्रेस द्वारा रंग के साथी ग्रुप के सहयोग से सागर शहर में पहली बार चित्रकला कार्यशाला का आयोजन किया गया है। स्थानीय रवींद्र भवन में आयोजित इस तीन दिवसीय कार्यशाला में नगर के 25 से अधिक चित्रकार अपने अनुभव एवं अपनी कल्पना शक्ति में अपनी चित्रकला के हुनर को शामिल कर जो चित्र बना रहे हैं। उन्हें देखकर कलाप्रेमी दर्शक अभिभूत हो उठते हैं।

रंग के साथी ग्रुप के माध्यम से सागर नगर में चित्रकारी की अलख जगाए रखने वाले नगर के प्रसिद्ध चित्रकार असरार अहमद बताते हैं कि जब इंडियन साइंस कांग्रेस चैप्टर सागर के प्रो. सुबोध जैन से मेरी चर्चा हुई तो हम दोनों ने मिल कर यह तय किया कि ग्रामीण विकास में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को चित्रकला वर्कशॉप का विषय बनाया जाए। वे आगे कहते हैं कि मुझे यह देख कर खुशी हुई कि वर्कशॉप में भाग लेने के लिए कई चित्रकार उत्साहित हो कर आगे आए। वर्कशॉप में चित्र बनाने वाले कलाकारों में स्वयं असरार अहमद द्वारा बनाया गया चित्र गांव में बिजली के आने से छाई खुशहाली को बखूबी दर्शाता है। अंशिता बजाज वर्मा ने बाइक चलाती ग्रामीण महिला के रूप में महिला सशक्तिकरण को कैनवास पर उतारा है। इसी प्रकार रेशू जैन ने इलेक्ट्रिक आयरन का उपयोग, मधुर सैनी ने थ्रेसर, मनोजिता राय ने स्मार्टफोन का उपयोग करती ग्रामीण स्त्री, काजोल गुप्ता ने खेत में कीटनाशक रसायन का छिड़काव करते हुए स्मार्टफोन पर बात करता ग्रामीण, उमाकांत मालेवर ने गांव में लगी हाइटेंशन इलेक्ट्रिक पावर लाईन आदि चित्रित किया है। इन चित्रों की विशेषता है रंगों के संतुलित प्रयोग एवं सधे हुए स्ट्रोक्स से उमड़ने वाली जीवंतता, जो इन चित्रकारों के महारथ को सिद्ध करती है।

चित्रकला वह प्राचीनतम कला है। जिसके द्वारा गुफाओं में रहने वाले आदि मानवों ने भी अपने जीवन की गतिविधियों को दीवारों पर उकेरा। यही चित्रकला एकबार फिर मानव जीवन के विकास के रंगों को प्रदर्शित कर रही है। 2 गुणा 2.5 फीट आकार के कैनवास पर एक्रेलिक रंगों से गांवों और विज्ञान के अंतसंबर्धाें को बखूबी उकेरते चित्रकार वे सारे दृश्य जीवंत कर रहे हैं जो विज्ञान की मदद से ग्रामीण विकास की बहुरंगी कहानियां कहते हैं।