Wednesday, June 10, 2020

प्रगतिशील लेखक संघ मकरोनिया की ऑनलाइन कवि गोष्ठी - डॉ. वर्षा सिंह

Dr. Varsha Singh
प्रिय मित्रों, रविवार दिनांक 31.05.2020 को प्रगतिशील लेखक संघ मकरोनिया की ऑनलाइन पाक्षिक गोष्ठी काव्य गोष्ठी में मैंने यानी आपकी इस मित्र डॉ. वर्षा सिंह ने- "यादें बाकी रह जाती हैं, वक्त गुजर जाता है। जिसे भूलना चाहो अक्सर, वही नजर आता है। जीवन की यह नदी डूब कर पार इसे करना है, मन में जिसके संशय हो वह नहीं उबर पाता है... " गजल सुनाकर वाहवाही पाई ।
साथ ही बहन डॉ. (सुश्री) शरद सिंह ने गजल- "कट रहे हैं दिन सुपारी की तरह, जिंदगी भारी उधारी की तरह। चैन के पल हो गए हैं भूमिगत, एक मुजरिम इश्तिहारी की तरह..." सुनाई, जिसे सभी ने बेहद पसंद किया।
हार्दिक धन्यवाद प्रगतिशील लेखक संघ मकरोनिया 🙏
हार्दिक धन्यवाद दैनिक भास्कर 🙏


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