Tuesday, April 23, 2019

विश्व पुस्तक दिवस .....


Dr. Varsha Singh

विश्व पुस्तक दिवस (23 अप्रैल 2019) पर विशेष ग़ज़ल
किताबें
                     - डॉ. वर्षा सिंह

दुख- सुख की हैं सखी किताबें।
लगती कितनी  सगी  किताबें।   

जब-जब उभरे घाव हृदय के,
मरहम जैसी लगी किताबें।

असमंजस की स्थितियों में
सदा रहनुमा बनी किताबें।

जीवन की दुर्गम राहों में,
फूलों वाली गली किताबें।

मैं, तुम, सारी दुनिया सोये,
हरदम रहती जगी किताबें।

फ़ुरसत हो तो तुम पढ़ लेना
मैंने भी कुछ लिखी किताबें ।

"वर्षा" की हमसफ़र हमेशा
ख़्वाबों में भी बसी किताबें।

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