Dr. Varsha Singh |
अन्वेषण थिएटर ग्रुप की बेजोड़ प्रस्तुति: नाटक ‘‘तुम कितनी खूबसूरत हो’’
-डॉ. वर्षा सिंह, नाट्य समीक्षक
किसी भी नाटक की प्रस्तुति कई स्तरों पर समाज को आईना दिखाती है। सुन्दरता समाज में एक टैबू (जुनून) की तरह है। जब बात किसी स्त्री की हो तो उसके व्यक्तित्व की पहली शर्त होती है उसका सुन्दर होना। स्त्री की सुन्दरता के अजीबोगरीब मानक किसी भी स्त्री के लिए डिप्रेशन (अवसाद) का कारण बन जाते हैं। इस डिप्रेशन के चलते वह गम्भीर रूप से बीमार भी पड़ सकती है और उसकी जीने की इच्छा समाप्त भी हो सकती है। वहीं यह नाटक एक संदेश ले कर सामने आता है कि सुन्दरता को ले कर पैदा हुआ डिप्रेशन सुन्दर ढंग से खत्म भी किया जा सकता है। इस केन्द्रीय भावना को ले कर नाटक ‘‘तुम कितनी खूबसूरत हो’’ प्रस्तुत किया गया। रविवार, 21 फरवरी 2021 को दोपहर 3 बजे एवं पुनः शाम 7 बजे स्थानीय रवीन्द्र भवन, सागर में अन्वेषण थियेटर ग्रुप यानी अथग द्वारा यह नाटक कोरोना संकटकाल के दौरान जनसेवा के लिए जी जान से लगे रहे कोरोना वॉरियर्स के लिये समर्पित किया गया। इस नाटक में डाक्टर, नर्स तथा चिकित्सकीय व्यवस्था का वह मानवीय रूप बखूबी रेखांकित किया गया जो इस कोरोनाकाल में लगभग सभी ने अनुभव किया है।
दैनिक समाचार पत्र "आचरण", सागर दि. 22.02.2021 |
यह नाटक सुप्रसिद्ध कथाकार यशपाल की कहानी का अख्तर अली द्वारा किया गया नाट्य रूपांतरण है जिसका निर्देशन अथग के वरिष्ठ नाट्य निर्देशक जगदीश शर्मा ने किया। सधे हुए कुशल निर्देशन के साथ ही कथानक, अभिनय, मंचसज्जा, संगीत, नाटक में किये गये अभिनव प्रयोग और दर्शकों से लगातार संवाद बनाये रखना ही किसी नाटक की संपूर्ण सफलता का कारण बनते हैं। इस प्रस्तुति में मानसिक हलचल और अंतद्वंद्व को मंच पर बड़ी खूबसूरती से अभिनीत किया गया। मंचसज्जा, लाइट एंड साउंड, बैकग्राउंड साउंड इफेक्ट के खूबसूरत उपयोग से यह नाटक जीवंत हो उठा। नाटक के आरंभ में विषय के अनुकूल प्रस्तुत नृत्य ने एक सम्मोहक शुरुआत की। जिसके बाद नाटक प्रवाहपूर्ण ढंग से अपनी ऊंचाईयों को छूता चला गया।
बुंदेली मिश्रित देशज लहजे में बोले गए चुटीले संवादों ने गंभीर विषय को अत्यंत रोचक बना दिया। लगभग हर दूसरे दृश्य पर तालियों की गडगड़ाहट या हंसी की फुहार ने कलाकारों की हौसला अफजाई जारी रखी। सभी कलाकारों ने शानदार अभिनय किया। मामा के किरदार में वरिष्ठ रंगकर्मी रविंद्र दुबे कक्का ने अपनी दमदार उपस्थिति साबित कर दी। वहीं उमंग के नायकत्व चरित्र में कपिल नाहर ने दर्शकों को प्रभावित किया। नायिका सुगन्धा के चुनौती भरे रोल में करिश्मा गुप्ता ने सब का मन मोह लिया। इनके अतिरिक्त मंच पर विविध भूमिकाओं में दीपक राय, आयुषी चौरसिया, चंचल आठिया, समर पांडेय, प्रवीण कैम्या ने भी अपने अभिनय की छाप छोड़ी। नाटक का सह निर्देशन रिषभ सैनी, मंच प्रबंधन अतुल श्रीवास्तव, गीत-कविता आशीष चौबे, संगीत पार्थो घोष और यशगोपाल श्रीवास्तव, कंपोजर स्व. के.जी. श्रीवास्तव, गायन साक्षी पाण्डेय, कोरस अखिलेश अहिरवार और पार्थो घोष, दृश्य परिकल्पना राजीव जाट, प्रकाश परिकल्पना संतोष दांगी ‘सरस’ का था। वहीं वस्त्र विन्यास प्रवीण कैम्या, प्रॉपर्टी नितिन दुबे और आनंद शर्मा, रूप सज्जा कपिल नाहर और नितिन दुबे, ध्वनि प्रभाव सतीश साहू और ऋषभ सैनी की थी। आकर्षक ब्रोशर डिजाइन शहर के मशहूर चित्रकार असरार अहमद ने की थी।
नाटक की मजबूत पटकथा, संवाद एवं कलाकारों के बेजोड़ अभिनय ने नाटक के दौरान दर्शकों को बांधे रखा। कोरोना आपदा के चलते स्थगित रहे नाट्य प्रदर्शन को पुनः मंच प्रदान करते हुए अथग ने एक सफल शुरुआत की है। बड़ी संख्या में दर्शकों ने कोरोना गाइड लाइन का पालन करते हुए इस बेजोड़ नाटक का भरपूर आनंद उठाया।
नाटक के कुछ रोचक दृश्य जिन्हें नाटक के मंचन के दौरान डॉ. (सुश्री) शरद सिंह ने अपने कैमरे में क़ैद कर लिया।
डॉ (सुश्री) शरद सिंह |
डॉ. वर्षा सिंह |
डॉ. वर्षा सिंह |
डॉ. वर्षा सिंह |
डॉ. (सुश्री) शरद सिंह |
सटीक समीक्षा
ReplyDeleteहृदयतल की गहराइयों से आत्मीय आभार आदरणीया संगीता स्वरूप जी 🙏
Deleteबहुत सुंदर..
ReplyDeleteबहुत धन्यवाद आपको 🙏
Deleteबहुत सुन्दर।
ReplyDeleteबधाई हो आपको।
हार्दिक आभार आदरणीय शास्त्री जी 🙏
Deleteआपकी इस सदाशयता के लिए हार्दिक आभार आदरणीय डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' जी 🙏
ReplyDeleteपुनः विनम्रतापूर्वक मेरा हार्दिक आभार आदरणीय शास्त्री जी 🙏
ReplyDeleteइस आयोजन के विषय में जानकर अतीव प्रसन्नता हुई वर्षा जी । शरद के लिए हुए छायाचित्र भी आलेख की ही भांति सुंदर हैं ।
ReplyDeleteबहुत-बहुत आभार आदरणीय माथुर जी 🙏
Deleteनाट्य-कला ,जीवन को मंच पर प्रस्तुत करने का मनोग्राही माध्यम है.आपने उस प्रस्तुतीकरण को हमारे लिये सुलभ बनाया -मन प्रसन्न हो गया-धन्यवाद स्वीकारें.
ReplyDeleteआपकी टिप्पणी ने मेरी इस पोस्ट को सार्थक बना दिया है। हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा सक्सेना जी 🙏
Deleteसिनेमा और टेलीविजन की उपस्थिति में भी रंगमंच आपने वर्चस्व क़याम रखने में सफल रहा। आपका ये लेख इस बात का प्रमाण है। मेरी दोस्त का बेटा भी मुंबई में रंगमंच से जुड़ा है और मैं अक्सर उसका नाटक देखने जाती हूँ,मुझे भी बेहद पसंद है। इस बेहतरन नाटक की शानदार समीक्षा की है आपने,सादर नमन वर्षा जी
ReplyDeleteप्रिय कामिनी जी,
Deleteरंगमंच मुझे भी बहुत लुभाते हैं। कोरोना महामारी की आपदा के चलते लगभग वर्ष भर बाद थियेटर का आनंद मिला।
बहुत धन्यवाद आपका आपकी इस अनम टिप्पणी के लिए 🙏
सस्नेह,
डॉ. वर्षा सिंह