Sunday, August 25, 2019

"बुन्देली लोक संस्कृति तथा उसके संरक्षण में संग्रहालयों की भूमिका" विषय पर परिचर्चा आयोजित - डॉ. वर्षा सिंह

Dr. Varsha Singh

     दिनांक 23.08.2019 को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पावन पर्व पर सागर शहर के वृन्दावन वार्ड, गोपालगंज स्थित सत्यम कला एवं संस्कृति संग्रहालय में  "बुन्देली लोक संस्कृति तथा उसके संरक्षण में संग्रहालयों की भूमिका" विषय पर आयोजित परिचर्चा में मुझे यानी इस ब्लॉग की लेखिका डॉ वर्षा सिंह और बहन डॉ. (सुश्री) शरद सिंह को सम्मिलित होकर अपने विचार रखने का सुखद अवसर मिलाा। विशेष बात यह  है कि यह संग्रहालय, संग्रहालय के संस्थापक एवं अध्यक्ष श्री दामोदर अग्निहोत्री के निजी प्रयासों से स्थापित किया गया है, एवं इसके संरक्षक श्री उमाकांत मिश्र हैं।
           डॉ. (सुश्री) शरद सिंह ने कहा कि संग्रहालय भविष्य से अतीत को जोड़ने की महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आने वाली पीढ़ियों को अपने अतीत की विरासत से जोड़ने का महान कार्य यहां किया जा रहा है। ब्रिटिश-मुगल रियासतों के सिक्के, तेंदू और पलाश पर मुद्रण, 1899 के पोस्ट कार्ड व लिफाफे, आजादी पूर्व के समाचार पत्र और बुंदेलखण्ड संस्कृति से जुड़ी वस्तुओं को सहजने काम दामोदर अग्रिहोत्री ने किया है। दामोदर अग्रिहोत्री ने घर पर ही सत्यम बुंदेली संग्रहालय बनाया है। यहां वे  प्राचीन विरासत से जुड़ी वस्तुओं को सहेज कर रखे हैं। अपने संबोधन में दामोदर अग्रिहोत्री ने बताया कि उन्हें बचपन से ही ऐसी वस्तुएं जोड़ने का शौक था।
तस्वीरें उसी अवसर की।
















   

















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