Wednesday, January 29, 2020

वसंत पंचमी पर देवी सरस्वती की आराधना - डॉ. वर्षा सिंह

देवी सरस्वती

श्वेत वस्त्र धारिणी, मातु वीणावादिनी
वंदना मैं आपकी, छंद- बंध से करूं ।
आप हंसवाहिनी, आप मोक्षदायिनी
अर्चना में आपकी, शीश नित्य मैं धरूं ।
प्रेमपुंज स्वामिनी, बैरभाव तारिणी
भूल बैर भावना, प्रेम से हृदय भरूं।
ज्ञान - ज्योति आपसे, कर्मशक्ति आपसे
रोशनी से ज्ञान की, अंधकार को हरूं।
- डॉ. वर्षा सिंह

       सागर शहर के इतवारा बाजार में सरस्वती माता का पुराना मंदिर है। वसंत पंचमी के अवसर पर बुंदेलखंड अंचल के इस एक मात्र मां सरस्वती की एकल प्रतिमा वाले उत्तरमुखी मंदिर में दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है।  जहां करीब 50 साल पहले मां सरस्वती की संगमरमर की मूर्ति की स्थापित की गई थी। बसंत पंचमी महोत्सव पर दिनभर अनेक आयोजन किए जाते हैं। इसके लिए मंदिर की आकर्षक सजावट की जाती है।

      मंदिर के पुजारी पं. यशोवर्धन चौबे बताते हैं कि सन 1962 में बरिया का पेड़ और चोरेश्वर महादेव की स्थापना हुई थी। फिर सन 1971 में बसंत पंचमी पर सांसद मनिभाई पटेल के सहयोग से संगमरमर की प्रतिमा स्थापित की गई। मां सरस्वती ज्ञान की देवी हैं और उत्तर दिशा की अधिष्ठात्री है। इस कारण यहां मूर्ति की उत्तरमुखी स्थापना की गई। एकल उत्तरमुखी की प्रतिमा का यह एकमात्र मंदिर है। इस मंदिर में नवरात्रि पर मां दुर्गा भी विराजमान होती हैं। उन्होंने बताया की बसंत पंचमी पर मां सरस्वती के जन्मोत्सव के साथ 14 संस्कार संपन्न कराए जाते हैं। इसी दिन श्रद्धालु बहीखातों के साथ पुस्तकों और कलम दवात की भी पूजा कराई जाती है। हिन्दू परम्पराओं में वसंत पंचमी का बड़ा महत्व है। इस मौके पर अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं ।  इस दौरान विद्यार्थियों के लिए निशुल्क स्लेट पेंसिल अक्षर आरंभ के लिए दी जाती है और वर्ण विन्यास के लिए शहद के द्वारा जीभ की अग्रभाग पर ओम बनाया जाता है । जिन्होंने सरस्वती की आराधना में, लेखनी के कार्य में आने वाली पीढ़ी और वर्तमान पीढ़ी के लिए कुछ किया है उनको सरस्वती के आशीर्वाद स्वरूप सम्मान किया जाता है।





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