Thursday, May 7, 2020

विशेष लेख - कोरोना लाॅकडाउन और ऑनलाईन हास्य कविसम्मेलन - डॉ. वर्षा सिंह

Dr. Varsha Singh
कृपया पढ़ें स्थानीय दैनिक समाचार पत्र "आचरण" में आज प्रकाशित मेरा विशेष आलेख - " कोरोना लॉकडाउन और ऑनलाइन हास्य कवि सम्मेलन "। ( दैनिक, आचरण दि. 07.05.2020)
विशेष लेख -

        कोरोना लाॅकडाउन और ऑनलाईन हास्य कविसम्मेलन

          - डॉ. वर्षा सिंह
                                        
    कोरोना आपदा ने साहित्यकारों को भी घर के भीतर रहने को विवश कर दिया। कोरोना के कारण साहित्य के मंचीय कार्यक्रम, गोष्ठियां, कविसम्मेलन, सेमिनार आदि थम गए। लेकिन साहित्यकार किसी भी आपदा से कभी हार नहीं मानते। उन्होंने टेक्नालाॅजी का लाभ उठाते हुए आॅनलाइन साहित्यिक कार्यक्रम करने शुरू कर दिए। सागर नगर में जहां उमाकांत मिश्र जैसे साहित्यप्रेमी एवं नवाचारी आयोजक हों, वहां आॅनलाइन कविसम्मेलन की योजना बनते देर नहीं लगी। यूं भी प्रति वर्ष मई माह के पहले रविवार को सागर नगर की जागरूक साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था श्यामलम् एवं ऑरिकल इवेंट मैनेजमेंट ग्रुप के तत्वाधान में विश्व हास्य दिवस के अवसर पर हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया जाता है। इस वर्ष कोरोना लाॅकडाउन के कारण यह आयोजन नहीं हो पा रहा था, किन्तु हमेशा नवाचार में आगे रहने वाली श्यामलम् संस्था ने अपने  व्हाटसएप्प ग्रुप पर हास्य कवि सम्मेलन ‘‘हास्य- व्यंग्य के रंग कोरोना के संग’’ का आॅनलाइन आयोजन किया। जिसमें नगर के कई प्रमुख कवियों ने काव्यपाठ किया। यह आयोजन सागर नगर के फिल्मी हास्य कलाकार स्व. श्यामाकांत मिश्र, हास्य कवि स्व. दिनकर राव दिनकर, मिमिक्री आर्टिस्ट स्व. शकूर खान को श्रद्धांजलि स्वरूप था। जिसका आरम्भ डाॅ. वर्षा सिंह द्वारा सरस्वती वंदना के साथ हुआ। यह सरस्वती वंदना कोरोना के विरुद्ध शक्ति ओर सुरक्षा की प्रार्थना के रूप में थी-
कोरोना के जाल में, लॉकडाउन काल में
शक्ति दें मुझे कि मैं, कोरोना से ना डरूं।
रच के कवित्त नित्य, आस्था- विश्वास के
दूसरों के मन को भी, भय से मुक्त मैं करूं।

डाॅ. श्याम मनोहर सीरोठिया की अध्यक्षता में कवि कपिल बैसाखिया ने कवि सम्मेलन का संचालन करते हुए सरस्वती वंदना के उपरांत व्यंग्य के पुरोधा डाॅ सुरेश आचार्य को आमंत्रित किया जिन्होंने अपने विशेष अंदाज में हास्य व्यंग्य के छींटे मारते हुए कहा कि -
कोरोना काल में
खास प्रार्थना है कि
कृपया घर में भी सोशल डिस्टेन्स बनाये रखें
वरना जनसंख्या वृद्धि करके
सब किए कराए पर पानी फेर के मत रख देना ।  

डाॅ. अरविंद गोस्वामी ने कोरोना पर काव्य पाठ करते हुए कहा कि -
चीन से आया है जो कोरोना का वायरस
दुनिया में फैलने पर बड़ा सस्पेंस है

डाॅ नलिन जैन की अभिव्यक्ति देखें-
जनता कफर््यू लगो है भैया निकरो ने तुम बाहर
वरना सड़क पे जो भी हुईये कर ने पैहो जाहर


 कवि आर.के.तिवारी ने ‘‘कोरोना रंगदार ’’ रचना प़ढ़ते हुए हास्य की चटपटी छौंक लगाई-
  देखो तो संसार में आ गओं जो कैसो रंगदार
  कि कर दओ सबको हाल खराब

कवि प्रभात कटारे ने हास्य कविताएं पढ़ते हुए ये चुटीली पंक्तियां प्रस्तुत कीं-
सैलूनें हैं बंद पार्लर डरे हैं तारे
गोरे नारे करिया हो गए, करिया गोरे नारे

रंगकर्मी कवि अतुल श्रीवास्तव ने लाॅकडाउन के दौरान पुरुषों की दशा पर हास्य का तड़का लगाया-
बर्तनों के ढेर पे रसोई के सिंक में,
जाकर उनपे पानी ही घुमा दिया।
दिन में एक आध बार कमरों में
कभी पोंछा लगा दिया।।
इस  लाॅकडाउन ने हमें अब ऐंसा बना दिया।।

कवि अशोक तिवारी ‘अलख’ ने अपने ही अंदाज में लाॅकडाउन का उल्लंघन करने वालों पर कुछ इस तरह कटाक्ष किया -
कोरोना संकट में भी वे, चैराहे  खों लपके।
तबईं कहूँ सें, चार पुलिस वारे, सिर पे आ टपके।
फिर का है, पीछे सें जब डंडा फटकारे चार,
पेण्ट निबक गई,भगे उतै सें, जैसें तैसें सटके।

कवि मणीकांत चैबे ने लोगों की वर्तमान मानसिक स्थिति को हास्यमय गम्भीरता से प्रस्तुत किया-
कोरोना ने बिठा रखा घर में आदमी है बहुत विवश
चंद पलों की मुस्कुराहट को हम मना रहे हास्य दिवस

कवयित्री डॉ. वर्षा सिंह ने लाॅकडाउन 3.0 पर अपनी दो हास्य बुंदेली रचनाओं का सस्वर पाठ किया जिनमें से एक गीत की पंक्तियां इस प्रकार थी-
इकनी, दुकनी, तिरका तीन।
लॉकडाउन की बज रई बीन।
टीवी, पेपर, मोबाईल पे
कोरोना के मुदके सीन।

कवयित्री श्रीमती निरंजना जैन ने अपनी व्यंग्य कविता प्रस्तुत की-
इस कोरोना ने तो क्या-क्या करवा दिया है
मुझ जैसे नास्तिक को आस्तिक बनवा दिया है

कवयित्री एवं कथाकार डॉ. सुश्री शरद सिंह ने कोरेना पर अपने दो बुंदेली हास्य गीतों का पाठ किया जिनमें एक गीत ‘बाम्बुलिया’ की तर्ज पर था। जबकि दूसरा बुंदेली ‘गारी’ की तर्ज पर था-
बे ओरें चमगादड़ खाएं
इते  हमें उल्टो लटकाएं
जे तरकीब समझ ने आई
ऐसी कम तैसी, कोरोना तुमाई

लेखिका श्रीमती सुनीला सराफ ने अपनी व्यंग्य रचना पढ़ते हुए कहा-
दरवाजे खिड़की बंदई रखियो
बिन्ना बाहर नेई निकरियो

कवि बृन्दावन राय सरल ने आल्हा की तर्ज पर कोरोना गीत पढ़ा-
कोरेना को रोग निरालो, दुनिया सब ईंसे थर्राय
जाल में ईके जो फंस जाबे, अपनी जान बचा ने पाय

कवि आशीष ज्योतिषी ने कोरोना पर राजनीतिक कटाक्ष करते हुए कविता पढ़ी कि-
काय करोना भैया, तुमने गजब कर दओ ।
जों सरकारें ने कर पाई, तुमने कर दओ ।

कवि डॉ.अनिल जैन ने भूत भगाने के समान कोरेाना को भगाने की बात अपनी कविता में कही-
ऐसी कविता कहो, कि डरकर भूत-पिशाच भी भागे
सुनकर उस कविता को आए कोरोना को रोना।

कवि वीरेन्द्र प्रधान ने वर्तमान परिदृश्य पर ये पंक्तियां पढ़ीं-
काम ढूंडबे तुम निकरत  ते रोजई बाहर घर सें,
आज लुके छिपे बैठे हौ घर में कोरोना के डर सें।

इस हास्य कवि सम्मेलन के कुशल संचालक कवि कपिल बैसाखिया ने अपनी हास्य कविता के जरिए सभी को गुदगुदाया-
धमा चैकड़ी मची घर में, सड़क पे पसरो सन्नाटो
करी जा  गत कोरोना ने, कौनऊं  तो ऊंको डांटो
दिन थे बे भौतई अच्छे, जिते मन ने कही, जात ते
अब तो घर घुस्सा हो गये, बने जेसे जे दिन काटो
                                     
कार्यक्रम के अध्यक्ष एवं कवि डॉ.श्याम मनोहर सीरोठिया ने अपना अध्यक्षीय उद्बबोधन देने के साथ ही  कोरेाना पर कविता पाठ करते हुए कहा कि-
कोरोना लाॅकडाउन के दौरान बाॅस का फोन आया
मैंने विनम्रतापूर्वक बतलाया कि सर....
अभी हाथ में झाड़ू है पोंछा है,
पहले घर का काम करूं फिर आपसे बात करूं

इस कवि सम्मेलन में एडवोकेट अंकलेश्वर दुबे अन्नी ने आयोजन के संबंध में विस्तृत जानकारी दी तथा आयोजन के अंत में श्यामलम के अध्यक्ष उमाकांत मिश्र ने आभार प्रदर्शन किया। इस आॅनलाइन हास्य कविसम्मेलन का बड़ी संख्या में लोगों ने रसास्वादन किया। सभी ने इसे बहुत सराहा तथा इस नवाचार का भरपूर स्वागत किया।
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