Dr. Varsha Singh |
यम चतुर्दशी की हार्दिक शुभकामनाएं !
.... और यह है यम चौदस पर परम्परा अनुसार आटे के चौदह दीपकों का यम देव को हमारे द्वारा किया गया दीपदान ... जी हां, दीपावली से एक दिन पूर्व कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी तिथि को नरक चतुर्दशी मनाई जाती है। इस दिन को छोटी दिवाली, रूप चतुर्दशी और यम दीपावली के नाम से भी पहचाना जाता है। इस दिन सायंकाल धर्मराज यमराज के नाम से भी दक्षिण दिशा की ओर मुख करके प्रज्वलित दीपक समर्पित करने की परंपरा है।
मृत्युना पाशदण्डाभ्यां कालेन च मया सह ।
चतुर्दश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतामिति ।।
अर्थ - चतुर्दशी को दीपदान करने से मृत्यु, पाश, दण्ड, काल और लक्ष्मी के साथ सूर्यनन्दन यम प्रसन्न हों ।
यही है हिन्दू धर्म की विशेषता... जिसमें जगतजननी माता दुर्गा के नौ रूपों की आराधना से ले कर मृत्यु के देवता यम की भी अर्चना की जाती है।
एक पौराणिक कथा के अनुसार
ऋषि वाज्रस्रवा ने यज्ञ में आहुतियां देने के बाद यजमानों को दी जाने वाली दक्षिणा देते समय अपना संकल्प स्मरण नहीं रखा और यथोचित दान नहीं देते हुए बूढ़ी और जर्जर गौओं का दान दे दिया तब उनके पुत्र नचिकेता ने उन्हें टोकना शुरू कर दिया कि, पिताजी ! आपने यह कहा था कि मैं अपनी प्रिय से प्रिय वस्तु भी दान दे दूंगा, तब यह बूढ़ी गायें क्यों दान कर रहे हैं।
यह सुनकर वाज्रस्रवा क्रोधित हो उठे। तब नचिकेता ने कहा कि मुझे ही दे दीजिये तब ऋषि ने गुस्से में आकर उसे श्राप दे दिया कि जा, तुझे यमराज को देता हूं।
पिता की आज्ञा का पालन कर नचिकेता यमराज के पास जा पहुंचे। नचिकेता ने संसार की किसी भी वस्तु से मोह न रखते हुए यमराज से यमलोक व ब्रह्मलोक का ज्ञान पूछना चाहा तो यमराज ने इस गूढ़ रहस्य को उजागर नहीं किया और नचिकेता से कहा, ज्ञानी मनुष्य अपनी बुद्धि और मन के द्वारा इन्द्रियों को वश में रखता है, वही व्यक्ति आत्मज्ञान प्राप्त कर सकता है, तो पुत्र नचिकेता उठो, जागो और श्रेष्ठ व्यक्तियों के पास जाकर उनसे ज्ञान प्राप्त करो।
नचिकेता यमराज के उपदेश मानकर व बताया गया आचरण कर जब पृथ्वीलोक पर ऋषि बनकर लौटा तो उसके आगमन की खुशी में कार्तिक चतुर्दशी को मृत्युलोक में सर्वत्र दीप जलाये गये, तब से ही प्रकाशोत्सव का शुभारम्भ हुआ।
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