Saturday, April 11, 2020

स्मृतिशेष साहित्यकार दादा नेमीचन्द्र विनम्र को श्रद्धांजलि - डॉ. वर्षा सिंह

Dr. Varsha Singh

         सागर नगर के वरिष्ठ साहित्यकार, कवि दादा नेमीचन्द्र विनम्र जी का निधन 08.04.2020 को 92 वर्ष की आयु में हो गया। सागर की जागरूक साहित्यिक संस्था श्यामलम् के अध्यक्ष उमाकांत मिश्र जी ने नवाचार करते हुये कोरोना महामारी के संक्रमण को फैलने से रोकने के मद्देनज़र प्रशासन द्वारा सागर ज़िले में घोषित लॉकडाउन के नियमों का कठोरता से पालन करते हुए  श्रद्धांजलि सभा को सोशल मीडिया में करने का निर्णय लिया और संस्था के सचिव कवि कपिल बैसाखिया के सहयोग से Whatsapp Group "पाठक एवं संस्कृति संवाद" को मंच निरूपित करते हुए Whatsapp के माध्यम से कल दिनांक 09.04.2020 को दोपहर 03 बजे से 07 बजे शाम तक की समयावधि में श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई।
      इसमें ऑनलाईन शामिल हो कर मैंने भी स्मृतिशेष दादा नेमीचन्द्र विनम्र जी के प्रति अपनी श्रद्धांजलि निम्नलिखित शब्दों में व्यक्त की...
       
 शोक श्रद्धांजलि 😥
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     वात्सल्य भाव के धनी सागर नगर के वरिष्ठ कवि नेमीचंद "विनम्"  हंसमुख और ऊर्जावान  व्यक्तित्व के धनी थे। वे 92 वर्ष की आयु में भी सतत सृजनशील रहे तथा उन्होंने अपनी उर्जास्विता बनाए रखा।

    दादा "विनम्र" जी की लिखी यह कविता मुझे याद आ रही है...

मेरे मित्रो, मेरे मन  में मेल नहीं है
अंतरंग में जलधारा है शैल नहीं है
सेवा के संकल्प दीप को अधिक जगाया
मुक्त हृदय पथ टेढ़ी-मेढ़ी गैल नहीं है

    दादा "विनम्र" जी का लेखन तथा साहित्य के प्रति समर्पण युवाओं के लिए हमेशा क्रियाशीलता का एक अनुपम उदाहरण बना रहेगा। उनके निधन का समाचार अत्यंत दुखद है।

     दादा "विनम्र" जी के प्रति मेरी अश्रुपूरित श्रद्धांजलि  🙏💐🙏

             - डॉ. वर्षा सिंह




  साहित्यकार एवं स्तम्भलेखिका डॉ. (सुश्री) शरद सिंह ने भी ऑनलाइन श्रद्धांजलि दी....
*शोक श्रद्धांजलि*
     *स्मृति शेष नेमीचंद "विनम्र" जी उपनाम से 'विनम्र' और स्वभाव से भी 'विनम्र' अर्थात यथा नाम तथा गुण।  दादा "विनम्र" जी जब भी मिलते थे तो सबसे पहले यही प्रश्न करते कि "इनदिनों क्या लिख रही हो?" वे मेरी रचनाएं ध्यान से पढ़ते थे और जब भी मुलाक़ात होती वे उन पर विस्तार से चर्चा करते थे। इस प्रकार मेरी रचनाधर्मिता को प्रोत्साहित करने में उनका जो योगदान रहा, उसके लिए मैं सदा दादा 'विनम्र' जी की कृतज्ञ रहूंगी। सागर साहित्य जगत में उनका नाम सदैव स्वर्णिम अक्षरों में अंकित रहेगा। दादा "विनम्र" जी का आशीर्वाद तथा स्नेह मुझे और मेरी दीदी डॉ. वर्षा सिंह को सदैव मिलता रहा है।*
     *दादा नेमीचंद "विनम्र" जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मैं अत्यंत शोकाकुल हूं। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे ।*
       *ऊं शांति, शांति, शांति ।*
    🙏- *डॉ. (सुश्री) शरद सिंह*




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