Monday, April 6, 2020

डॉ. विद्यावती सिंह "मालविका" का साक्षात्कार..."लॉकडाउन मैंने अपने जीवन में पहली बार देखा" - डॉ. वर्षा सिंह


Dr. Varsha Singh

     मेरी माता जी डॉ. विद्यावती सिंह "मालविका" जो वरिष्ठ साहित्यकार हैं, वे चकित हैं लॉकडाउन पर, चिंतित हैं कोरोना संकट पर और ईश्वर से प्रार्थना किया करती हैं प्रत्येक व्यक्ति के स्वस्थ रहने के लिए।राजस्थान पत्रिका के सागर एडीशन "पत्रिका" द्वारा लिया गया उनका साक्षात्कार आज दि. 06.04.20 को "पत्रिका" में प्रकाशित हुआ है। जिसे आप भी पढ़ें...
हार्दिक आभार "पत्रिका" 🙏

मैं डॉ. वर्षा सिंह और मेरी माता जी डॉ. विद्यावती सिंह "मालविका"
 
       लॉकडाउन मैंने अपने जीवन में पहली बार देखा
                   - डॉ. विद्यावती सिंह "मालविका"
                      वरिष्ठ साहित्यकार, सागर

             मैंने अपने 90 वर्ष की आयु के दौरान अनेक बार कर्फ्यू की स्थिति देखी है।  ब्रिटिश काल में कई बार कर्फ्यू की स्थिति बन जाती थी और इसी प्रकार दंगे फसाद के समय भी कर्फ्यू लगाया जाता था  लेकिन लॉकडाउन मैंने अपने जीवन में पहली बार देखा है, जब मंदिर के पट भी बंद हैं और अस्पतालों में ओपीडी भी बंद कर दी गई है। पहले जब कर्फ्यू  लगाया जाता था तो उस कर्फ्यू के नियमों को तोड़ने वालों पर पुलिस के डंडे चलते थे या उन्हें जेल भेज दिया जाता था लेकिन आज अगर लॉकडाउन के नियमों का पालन नहीं करेंगे तो हम अपने ही स्वास्थ्य  ही नहीं अपने परिवार के अपने पड़ोसियों के स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचाएंगे। यह जीवन और मृत्यु का सवाल है अतः हमें इसे गंभीरता से लेना होगा। कोरोना वायरस को किसी भी हाल में और फैलने. नहीं देना है।
          देश में लॉकडाउन पहली बार किया गया है तो  ऐसा संकट भी तो पहली बार आया है। कोरोना वायरस का असर इतना भीषण है कि पूरा देश, पूरी मानव जाति संकट में आ गई है। इस संकट से उबरने के लिए हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने जनता कर्फ्यू भी लगाया लेकिन दुख है कि लोगों ने उसका ढंग से पालन नहीं किया। कोरोना वायरस संक्रमण को देखते हुए अत्यधिक सतर्कता बरतने की जरूरत है। कोरोना वायरस से सम्बन्धित लक्षण यदि किसी भी व्यक्ति में पाए जाते है तो उसे तुरंत नजदीकी हस्पताल में ले जाएं।
             प्रशासन की तरह मेरा भी सबसे अनुरोध है कि  नवरात्रि में घर में रह कर पूजा-पाठ करें। घर से बाहर बिलकुल नहीं निकलें। जो भी वस्तुएं घर में हों उन्हीं से नवरात्रि मनाएं। यह अच्छा है कि नवरात्रि में आयोजित होने वाले वार्षिक मेला, भजन संध्या, अखंड रामध्वनि आदि कार्यक्रमों को स्थगित कर दिया गया है। ईश्वर भक्ति से प्रसन्न होता है, जोकि घर में रह कर भी उतनी ही श्रद्धा से की जा सकती है। घर में रहें और प्रार्थना करें कि दुनिया में सभी मनुष्य स्वस्थ-प्रसन्न रहें। यह मानें कि  ईश्वर हमारी परीक्षा ले रहा है और हमें इस परीक्षा में उत्तीर्ण होना ही है।
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