Wednesday, August 12, 2020

बुंदेली लोकगीतों में कृष्ण जन्मोत्सव | शुभ जन्माष्टमी | डॉ. वर्षा सिंह

 

प्रिय ब्लॉग पाठकों, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं

   आज दिनांक 12 अगस्त 2020 को हम सभी कृष्ण जन्माष्टमी पर्व मना रहे हैं। जी हां, हमसभी जानते हैं कि श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव भादों यानी भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को पूरे विश्व में उल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। बुंदेलखंड इससे अछूता नहीं है। यहां के आयोजन मथुरा-वृंदावन की याद दिलाते हैं। मध्यप्रदेश के सागर, दमोह, पन्ना, छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी सहित उत्तरप्रदेश के बुंदेलखंड वाले ज़िलों में परम्परागत ढ़ंग से जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है।

     संयोग देखिए कि इस वर्ष भी भाद्रपद कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि को दिन बुधवार ही है। बी.आर. चोपड़ा कृत दूरदर्शन पर  "महाभारत" टीवी सीरियल का यह दृश्य प्रासंगिक है ।यह महाभारत नामक एक भारतीय पौराणिक काव्य पर आधारित धारावाहिक था और विश्व के सर्वाधिक देखे जाने वाले धारावाहिकों में से एक था। 94-कड़ियों के इस धारावाहिक का प्रथम प्रसारण 1988 से 1990 तक दूरदर्शन के राष्ट्रीय चैनल पर किया गया था।

     पन्ना मुख्यालय स्थित जुगल किशोर मंदिर, सागर स्थित देव बिहारी जी का मंदिर एवं वृंदावन बाग़ क्षेत्र श्रीकृष्ण भक्ति के प्राचीन स्थानों में प्रमुख हैं।

  बुंदेली लोकगीतों में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का सुंदर वर्णन देखने को मिलता है। 

यह लोकगीत देखें-


मथुरा में जन्मे नंद के कुमार...

खुल गई बेड़ी खुल गये किवाड़

जागत पहरुआ सो गयें द्वार। मथुरा...

गरजे ओ बरसे घटा घनघोर

ले के वासुदेव चले गोकुल के द्वार। मथुरा...

बाढ़ी वे जमुना आई चरणन लाग

छू के चरणाबिंद हो गई पार। मथुरा...

देवकी के मन में आनंद अपार

गोकुल में हो रहो मंगलचार। मथुरा...


इसी क्रम में यह बुंदेली लोकगीत भी बहुत गाया जाता है -


बधाये नन्द के घर आज, सुहाये नन्द के घर आज।

टैरो टैरो सुगर नहनिया, घर-घर बुलावा देय

बधाये...

अपने-अपने महलिन भीतर, सब सखि करती सिंगार

पटियां पारे, मांग संवारे, वेंदी दिपत लिलार।

बधाये...

आवत देखी सबरी सखियां, झपट के खोले किवाड़

बूढ़न-बड़ेन की पइयां पड़त हूं, छोटेन को परणाम।

बधाये...

बाबा नन्द बजारे जइयो, साड़ी सरहज खों ले आओ

पहिनो ओढो सबरी सखियां, जो जी के अंगे भाये।

बधाये...

पहिन ओढ़ ठांड़ी भई सखियां, मुख भर देतीं आशीष

जुग-जुग जिये माई तेरो कन्हैया, राखे सभी को मान।

बधाये...


बधाई के रूप में गाए जाने वाले इन गीतों में भक्ति के साथ ही वात्सल्य का सुंदर चित्रण है -

बधइयां बाजै माधौ जी के

गोकुल बाजें बृंदावन बाजें

और बाजे मथुरैया।

बारा जोड़ी नगाड़े बाजें

और बाजे शहनैया। बधइयां...

गोपी गावें ग्वाला बजावें

नाचें यशोदा मैया। बधइयां...

बहिन सुभद्रा बधाव ले आई

नित उठ अइये जेई अंगना।

बधइयां... नंद बाबा अंगनइयां।


यह बुंदेली लोकगीत अति लोकप्रिय है -


नंद घर बजत बधाए लाल हम सुनकें आए।

मथुरा हरि ने जनम लिया है,

गोकुल बजत बधाए। लाल हम...

कौना ने जाए जशोदा खिलाए,

बाबा नंद के लाल कहाए। लाल हम...

सोरा गऊ के गोबर मंगाए,

कंचन कलश धराये। लाल हम...

चंदन पटली धरायी जशोदा,

चौमुख दियल जलाये। लाल हम...

हीरालाल लुटाए यशोदा,

मनमोहन को कंठ लगाये। लाल हम...

नन्द घर बजत बधाए, लाल हम सुनकें आए।



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8 comments:

  1. अत्यंत ही अलौकिक कृति समक्ष आई हैं।
    आप जैसी प्रतिभासम्पन्न रचनाकारों का सानिध्य पाना मेरे लिए गौरव व हर्ष का विषय है।
    साधुवाद।

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    1. पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा जी, अत्यंत आभार 🙏

      आप मेरे ब्लॉग पर पधारे और टिप्पणी की, यह मेरे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है ।
      सादर,
      डॉ. वर्षा सिंह

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  2. सुन्दर संकलन वर्षा जी शुभकामनाए
    साधुवाद

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    1. बहुत बहुत आभार आपके प्रति 🙏

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  3. बुन्देलखण्ड की संस्कृति की झलक और भगवान कृष्ण की चित्रात्मक लीला के साथ अत्यंत सुन्दर लोकगीतों का संग्रह . सुन्दर संग्रहणीय संकलन के लिए आप बधाई की पात्र हैं ।

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    1. मीना भारद्वाज जी,
      आप मेरे ब्लॉग पर आईं, यह मेरे लिए अत्यंत प्रसन्नता का विषय है।
      बहुत-बहुत आभार एवं धन्यवाद 🙏💐

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  4. वाह! संग्रहणीय लेख। बधाई और आभार।

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    1. हार्दिक धन्यवाद विश्वमोहन जी 🙏

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