- डाॅ. वर्षा सिंह
कला समीक्षक एवं साहित्यकार
स्वच्छता से हो कर ही पर्यटन के विकास के रास्ते खुलते हैं। इसी मूल संदेश के साथ स्थानीय चंद्रा पार्क में तीन दिवसीय चित्रकला कार्यशाला का आयोजन किया गया। यूं तो 18 से 20 अक्टूबर तक तीन दिन का ही आयोजन तय किया गया था किन्तु कोरोना आपदा के कारण आठ माह बाद खुले, नगर के सिविल लाइंस् स्थित चंद्रा पार्क और चित्रकला कार्यशाला ने लोगों को इस तरह लुभाया कि यह कार्यशाला एक दिन के लिए और बढ़ा दी गई। जब रंग और विचार एकाकार हो कर कैनवास पर उतरते हैं तो उसकी छटा देखते ही बनती है, क्योंकि उसमें कला-सौंदर्य और संदेश दोनों निहित होते हैं। सागर में पुरासम्पदाओं एवं पर्यटन स्थलों की कमी नहीं है, यह शहर भी अपने आप में एक ऐतिहासिक शहर है। बस कमी महसूस की जा रही थी तो स्वच्छता के प्रति जागरूकता की। शहर के ख्यात चित्रकार असरार अहमद ने अपने ग्रुप 'रंग के साथी' के चित्रकारों के साथ स्वच्छता संदेश देने का बीड़ा उठाया और चित्रकारों ने कैनवास पर सागर के महत्वपूर्ण स्थलों को साकार कर दिया।
दृश्य चित्रण का अर्थ है हमारी आँखें जो भी जीवित-अजीवित रूपों को देखती हैं उसका कलात्मक चित्रण, जो भूमि और असीमित आकाश के मध्य विद्यमान है। इसी बात को चरितार्थ करते हुए कार्यशाला में एक्रेलिक रंगों से 3×2 के कैनवास पर बनाए गए चित्र मन-मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव डालने में सक्षम रहे। चित्रकार असरार अहमद ने तीन मढ़िया, अंशिता बजाज वर्मा ने गढ़पहरा का शीशमहल, शालू सोनी ने कटरा मस्जिद, सृष्टि जैन ने मकरोनिया के बड़े शंकरजी, अनुषा जैन ने वृंदावनबाग मंदिर, सेजल जैन ने चकराघाट, रश्मि पवार ने एरण, मोनिका जैन ने सर्किट हाउस, प्रिया साहू ने कैंट चौराहा, लक्ष्मी पटेल ने शनीचरी, रेशू जैन ने तीन मढ़िया, साधना रैकवार ने राहतगढ़ वाटरफॅाल, अंजू मिश्रा ने भट्टों घाट एवं चकराघाट तथा काजोल गुप्ता ने आई.जी. बंगला चौराहा को अपनी तूलिका से कैनवास पर जीवंत कर दिया। भवन, घाट एवं चौराहे के चित्रों में ज्यामितिक रेखाओं को बड़े ही संतुलित ढ़ंग से चित्रित किया गया। गहरे और धूसर रंगों के सुंदर संयोजन से निखरी आकृतियों की सुघड़ता इन चित्रों में सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती रही। भारतीय चित्रकला में देवता, मनुष्य एवं पशु के चित्रण में शारीरिक अनुपात एवं शेड्स का विशेष ध्यान रखा जाता है। एरण के वाराह तथा मकरोनिया के बड़े शंकरजी के चित्रों में आनुपातिक सौष्ठव बड़े सुंदर ढ़ंग से प्रदर्शित हुआ। कार्यशाला में असरार अहमद ने तीन मड़िया मंदिर, सागर झील का किनारा और उनके बीच से गुजरती सड़क को नीले, पीले, लाल, हरे एवं स्लेटी रंग से इस प्रकार चित्रित किया कि वह स्थल कैनवास पर जीवंत हो उठा। वहीं कैंट चौराहा की पेंटिंग में हरे, नीले, भूरे ओर स्लेटी रंगों से प्रकृति, कृत्रिम मानव आकृतियों और सड़क के संगम का नयनाभिराम दृश्य प्रस्तुत करने में चित्रकार प्रिया सफल रहीं। पुरातन भवनों को उनकी दशा एवं गरिमा के अनुरूप चित्रित करना हमेशा चुनौती भरा होता है। चित्रकार अंशिता ने गढ़पहरा के शीशमहल और उसके सामने मौजूद अवशेषों के बीच भूरे रंगों के विभिन्न शेड्स से जिस प्रकार गहराई को उकेरा वह चाक्षुष आकर्षण के साथ देखने वालों को सहज ही अपनी ओर आकर्षित कर रहा था। कार्यशाला में बनाई गई सुंदर पेंटिंग्स बिक्री के लिए भी उपलब्ध थीं। कुछ पेंटिंग्स कला प्रेमियों द्वारा इस अवसर पर खरीदी भी गईं।
पूरी तरह सफल रहे इस आयोजन में रंग के साथी ग्रुप के माध्यम से सागर नगर में चित्रकारी की अलख जगाए रखने वाले नगर के सुप्रसिद्ध चित्रकार असरार अहमद ने बताया कि ‘‘इस कार्यशाला के द्वारा हमने यह संदेश देने का प्रयास किया है कि हमारे सागर के वृंदावनबाग मंदिर, जामा मस्जिद, चकराघाट, एरण, राहतगढ़ वाटरफाॅल आदि स्थल जैसे सुंदर कैनवास पर दिखाई दे रहे हैं, स्वच्छता बनाए रखने पर वास्तविक रूप में ऐसे ही सुंदर दिखाई देंगे। जिससे पर्यटन के नक्शे पर सागर भी चमकेगा। हमें जब भी इस प्रकार के वर्कशाप करने के अवसर मिलेंगे तो हम आगे बढ़ कर अपना कलात्मक योगदान देंगे।’’ नेचर वेलफेयर के आलोक चौबे ने बताया कि ‘‘प्रकृति और धरोहरों को बचाने की दिशा में स्वच्छता एक जरूरी मुद्दा है और चित्रकला के द्वारा इसे बेहतर ढ़ंग से सामने रखा जा सकता था।’’
उल्लेखनीय है कि इस कार्यशाला द्वारा स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 के अंतर्गत ‘सागर के रंग स्वच्छता के संग’ के रूप में स्वच्छता के लिए नागरिक सहभागिता का आह्वान किया गया। इसके आयोजक नगरपालिक निगम सागर तथा सह आयोजक स्मार्ट सिटी सागर थे। सहयोगी संस्थाओं के रूप में रंग के साथी और नेचर वेलफेयर ने शहर एवं पर्यटन स्थलों को स्वच्छ एवं सुंदर बनाए रखने की नगर निगम आयुक्त आरपी अहिरवार, स्मार्ट सिटी सीईओ राहुल सिंह की इस बहुआयामी संकल्पना को साकार करने में अपना भरपूर योगदान दिया।
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अत्यन्त सूचनाप्रद एवं मुझ जैसे कला-प्रेमियों के लिए उपयोगी लेख हेतु हार्दिक आभार आपका वर्षा जी । मैं आपके इस विचार से पूर्णतः सहमत हूँ कि रंग तथा विचार में सौंदर्य एवं संदेश दोनों होते हैं । कार्यशाला के छायाचित्र भी अच्छे हैं तथा विभिन्न चित्रकारों द्वारा सृजित चित्रों का तो कहना ही क्या ! नयनाभिराम ! हृदय-विजयी ! अतिशय प्रशंसा के योग्य !
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद जितेन्द्र माथुर जी 💐🍁💐
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