Thursday, December 27, 2018

दिवंगत साहित्यकार रमेशदत्त दुबे का स्मरण

Dr. Varsha Singh

       सागर के दिवंगत साहित्यकार रमेशदत्त दुबे की पांचवीं पुण्यतिथि दिनांक 23.12.2018 पर श्यामलम् संस्था द्वारा जे.जे. इंस्टीट्यूट, सिविल लाइन्स, सागर में आयोजित कार्यक्रम में सागर नगर के हम सभी साहित्यकारों ने स्व. दुबे जी का पुण्य स्मरण किया।


  बुंदेली धरती में जन्मे कवि रमेशदत्त दुबे की रचनाओं में गहरी संवेदनशीलता और मानवीय मूल्यों की स्पष्ट झलक देखी जा सकती है। उन्होंने बुंदेली साहित्य और किस्सागोई की नई व्याख्या की है।


   रमेशदत्त दुबे का जन्म 31 मार्च, 1940, सागर, मध्यप्रदेश में हुआ था। बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ. दुबे ने सागर विश्वविद्यालय से मनोविज्ञान में एमए किया था। सन् 1966 में अपनी कविता ‘असगुनिया’ से साहित्य जगत में चर्चा में आए। कवि एवं आलोचक डॉ. अशोक वाजपेयी से उनकी घनिष्ठ मित्रता थी। वे जीवन भर सागर में निवासरत रहे।  73 वर्ष की उम्र में सीढ़ियों से गिरने के कारण  दिनांक 23 दिसम्बर 2013 में उनका निधन हो गया था।

डॉ. (सुश्री) शरद सिंह

डॉ. (सुश्री) शरद सिंह


 उनकी प्रकाशित कृतियां हैं - पृथ्वी का टुकड़ा और गाँव का कोई इतिहास नहीं होता (कविता संग्रह)। पावन मोरे घर आयो (कहानी संग्रह)। पिरथवी भारी है (बुन्देली लोककथाओं का पुनर्लेखन), कहनात (बुन्देली कहावतों का कोश)। कर लो प्रीत खुलासा गोरी (लोककवि ईसुरी की फागों का हिन्दी रूपान्तरण)। अब्बक-दब्बक और रेलगाड़ी छुक-छुक (बाल-गीत संग्रह)। साम्प्रदायिकता (विचार पुस्तक)।




     रमेशदत्त दुबे के सम्पादन में प्रकाशित पुस्तकें हैं -  मेरा शहर (सर्वश्री शिवकुमार श्रीवास्तव, अशोक वाजपेयी, रमेशदत्त दुबे और ध्रुव शुक्ल की शहर पर केन्द्रित कविताओं का संकलन)। विहग (बीसवीं सदी में पक्षियों पर लिखी गयी सौ हिन्दी कवियों की कविताओं का संकलन)।
स्व. रमेशदत्त दुबे
        उन्होंने अपने जीवनकाल में साप्ताहिक-हन्टर, अनियतकालिक समवेत और कविता मासिक विन्यास का सहयोगी सम्पादन किया और साप्ताहिक प्रतिपक्ष, दैनिक भास्कर, पहले-पहल और सार्थक संवाद आदि में कालम लेखन किया।

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