बायें से :- सुश्री नीतू लारिया, डॉ. (सुश्री) शरद सिंह एवं डॉ. वर्षा सिंह |
मैंने यानी इस ब्लॉग की लेखिका डॉ. वर्षा सिंह ने भी मतदान किया.... यहां का तापमान 44℃ होने के बावजूद हम सभी उत्साहित थे सागर लोकसभा क्षेत्र से अपना प्रतिनिधि चुनने और लोकतंत्र के इस महात्यौहार को मनाने के लिए 😊
Dr. (Miss) Sharad Singh # Sahitya Varsha |
Dr. Varsha Singh # Sahitya Varsha |
चुनाव का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य होता है कि देश का लोकतंत्र मजबूत हो और संसद में अच्छी स्वच्छ छवि वाले लोग पहुंचे। मताधिकार का प्रयोग हमारा अधिकार ही नहीं हमारा कर्तव्य है। देश में सबसे अहम मतदाताओं को मतदान के लिए जागरूक करना है। जागरूकता के अभाव बड़ी संख्या में लोग अपने मतों का प्रयोग नहीं करते हैं। विशेष रूप से ग्रामीण अंचलों में अभी भी मतदाताओं को जागरूक करने की अत्यंत आवश्यकता है। यदि हर व्यक्ति अपने आसपास के कुछ लोगों को मतदान का महत्व समझाकर उन्हें मत देने के लिए प्रेरित करें तो इससे बड़ी जागरूकता कोई नहीं हो सकती।
साहित्यकार संवेदनशील होता है। चुनाव और मतदान का प्रभाव उसके मानस पर सामान्यजन से कहीं ज़्यादा गहराई से पड़ता है। मुझे याद आ रहा है कवि केदारनाथ सिंह का आखिरी काव्य-संग्रह - "मतदान केन्द्र पर झपकी’'
कवि केदारनाथ सिंह का काव्यसंग्रह # साहित्य वर्षा |
आज मैं इस संग्रह की शीर्षक कविता ‘मतदान केन्द्र पर झपकी’ का एक अंश यहां प्रस्तुत कर रही हूं....
अबकी वोट देने पहुंचा
तो अचानक पता चला
मतदाता सूची में
मेरा नाम ही नहीं है
किसी से पूछूं कि मेरे भीतर से
आवाज़ आई -
उज़बक की तरह ताकते क्या हो
न सही मतदाता सूची में
उस विशाल सूची में तो हो ही
जिसमें वे सारे नाम हैं
जो छूट जाते हैं बाहर
बाहर निकला
तो निगाह पड़ी सामने खड़े पेड़ पर
सोचा -
वह भी तो नागरिक है इसी मिट्टी का
और देखो न मरजीवे को
खड़ा है कैसा मस्त मलंग!
मैं पेड़ के पास गया
और उसकी छांह में बैठे-बैठे
आ गई झपकी
देखा - पेड़ के नेतृत्व में चले जा रहे हैं बहुत पेड़ और लोग...
मसान काली का दमकता सिन्दूर
चला जा रहा था आगे-आगे
कि सहसा एक पत्ती के गिरने का
धमाका हुआ
और टूट गई नींद
मैंने देखा
अब मेरी जेब में मेरा अनदिया वोट है
एक नागरिक का अन्तिम हथियार
जी हां, वोट यानी मत लोकतंत्र में एक नागरिक का हथियार है। इसे व्यर्थ नहीं जाने दें और मतदान अवश्य करें।
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