Dr. Varsha Singh |
अक्षय तृतीया की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏
हिंदू कैलेन्डर के वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया के रूप में एक पर्व मनाया जाता है।
अक्षय तृतीया को बुंदेलखंड में अक्ती भी कहते हैं। साथ ही इस दिन बुंदेलखंड में अक्षय तृतीया पर ग्रामीण क्षेत्रों में गुड्डा और गुड्डी की शादी रचाने का सिलसिला देर रात तक चलता रहता है। गुड्डा और गुड्डी को यहां बुंदेली बोली में पुतरा और पुतरिया कहा जाता है। घर - घर मंडप सजाकर बुंदेलखंड की परंपरा निभाई जाती है।
# साहित्य वर्षा |
बच्चों में अक्षय तृतीया यानी अक्ती का उत्साह सप्ताह भर पहले से ही देखा जाने लगता है। बच्चे बाजार से मिट्टी के गुड्डा गुड्डी , यानी पुतरा - पुतरिया खरीदकर उनके ब्याह की पूरी तैयारी करते हैं। विधि विधान से विवाह की रस्में सम्पन्न कराई जाती हैं। बड़े- बुजुर्ग भी उनका भरपूर सहयोग करते हैं।
माना जाता है कि इस दिन कोई भी शुभ कार्य करने के लिए पंचागं देखने की जरूरत नहीं है। अक्षय तृतीया पर किए गए कार्यों का कई गुना फल प्राप्त होता है। इस साल अक्षय तृतीया पर शनि की चाल बदलना भी एक विशेष घटना है जिसका प्रभाव सभी राशियों पर अगले छ: महीने तक देखने को मिलेगा। इसे अखतीज के नाम से भी जाना जाता है।
# साहित्य वर्षा |
जिस तिथि का कभी क्षय नहीं होता उसे अक्षय कहा जाता है चूंकि कभी क्षय न होने वाली तिथि बैसाख शुक्ल तृतीया को मानी जाती है। इसलिए यह तिथि अक्षय तृतीया के नाम से जाना जाता है।
पुराणों में बताया गया है कि यह बहुत ही पुण्यदायी तिथि है इसदिन किए गए दान पुण्य के बारे में मान्यता है कि जो कुछ भी पुण्यकार्य इस दिन किए जाते हैं उनका फल अक्षय होता है यानी कई जन्मों तक इसका लाभ मिलता है।
# साहित्य वर्षा |
भगवान विष्णु के छठें अवतार माने जाने वाले भगवान परशुराम का जन्म हुआ था। परशुराम ने महर्षि जमदाग्नि और माता रेनुकादेवी के घर जन्म लिया था। यही कारण है कि अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु की उपासना की जाती है। इसदिन परशुरामजी की पूजा करने का भी विधान है।
अक्षय तृतीया के दिन ही पांडव पुत्र युधिष्ठर को अक्षय पात्र की प्राप्ति भी हुई थी। इसकी विशेषता यह थी कि इसमें कभी भी भोजन समाप्त नहीं होता था।
अक्षय तृतीया के अवसर पर ही महर्षि वेदव्यास जी ने महाभारत लिखना शुरू किया था। महाभारत को पांचवें वेद के रूप में माना जाता है। इसी में श्रीमद्भागवत गीता भी समाहित है।
भगवान परशुराम # साहित्य वर्षा |
इस दिन मां गंगा स्वर्ग से धरती पर अवतरीत हुई थीं। राजा भागीरथ ने गंगा को धरती पर अवतरित कराने के लिए हजारों वर्ष तक तप कर उन्हें धरती पर लाए थे। कहा जाता है कि इस दिन पवित्र गंगा में डूबकी लगाने से मनुष्य के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं।
कहते हैं कि इस दिन जिनका परिणय-संस्कार होता है उनका सौभाग्य अखंड रहता है। इस दिन महालक्ष्मी की प्रसन्नता के लिए भी विशेष अनुष्ठान होता है जिससे अक्षय पुण्य मिलता है।
# साहित्य वर्षा |
अक्षय तृतीया को अबूझ मुहूर्त माना जाता है। 'मुहूर्त' अर्थात् किसी भी कार्य को करने का श्रेष्ठतम समय। शास्त्रानुसार मास श्रेष्ठ होने पर वर्ष का, दिन श्रेष्ठ होने पर मास का, लग्न श्रेष्ठ होने पर दिन का एवं मुहूर्त श्रेष्ठ होने पर लग्न सहित समस्त दोष दूर हो जाते हैं। हमारे शास्त्रों में शुभ मुहूर्त्त का विशेष महत्त्व बताया गया है। इसीलिए अक्षय तृतीया के अबूझ मुहूर्त में अनेक विवाह सम्पन्न कराये जाते हैं। अनेक स्थानों पर, ख़ास तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में जहां अभी भी अशिक्षा और अंधविश्वास के कारण अनेक कुरीतियां व्याप्त हैं, बाल विवाह कराये जाते हैं।
आज अक्षय तृतीया के अवसर पर बाल विवाह के विरुद्ध जागरूकता केन्द्रित मेरे बुंदेली गीत को web magazine युवा प्रवर्तक के अंक दिनांक 07 मई 2019 में स्थान मिला है।
युवा प्रवर्तक के प्रति हार्दिक आभार 🙏
http://yuvapravartak.com/?p=14485
मित्रों, यदि आप चाहें तो पत्रिका में इसे इस Link पर भी पढ़ सकते हैं ...
बचपन न छीनो- छिनाओ
- डॉ. वर्षा सिंह
बचपन न छीनो- छिनाओ मोरी बिन्ना !
अक्षय तीजा खूबई मनइयो
पुतरा-पुतरियन को ब्याओ रचइयो
नबालिग को ब्याओ न कराओ मोरी बिन्ना!
बचपन न छीनो- छिनाओ मोरी बिन्ना !
खेलत- पढ़त की जोई उमरिया
मूड़े न धरियो भारी गगरिया
अबई से दुलैया न बनाओ मोरी बिन्ना!
बचपन न छीनो - छिनाओ मोरी बिन्ना !
अठरा बरस की मोड़ी हो जैहे
इक्किस को मोड़ा जब मिल जैहे
माथे पे सेहरा बंधाओ मोरी बिन्ना
बचपन न छीनो- छिनाओ मोरी बिन्ना !
बच्चन की शिक्छा-दिक्छा कराओ
जिम्मेदारी को पाठ पढ़ाओ
मड़वा तबई गड़ाओ मोरी बिन्ना !
बचपन न छीनो - छिनाओ मोरी बिन्ना !
छोटी उमर को ब्याव बुरो है
जिनगी भर को कष्ट बनो है
समझो जा बात समझाओ मोरी बिन्ना!
बचपन न छीनो- छिनाओ मोरी बिन्ना !
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#बुंदेली वर्षा
बुंदेली गीत - डॉ. वर्षा सिंह # साहित्य वर्षा |
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