Monday, September 2, 2019

सागर शहर में गणेशोत्सव - डॉ. वर्षा सिंह



        गणेशोत्सव लगभग पूरे भारत में बड़ी श्रद्धा एवं उत्साह से मनाया जाता है। बुंदेलखंड के सागर शहर में भी इस अवसर पर लोग गणेश जी की मिट्टी की मूर्ति लाकर अपने घरों में स्थापित करते हैं। भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी से चतुर्दशी तक चलने वाले इस श्री गणेशोत्सव समारोह में श्रद्धालु लोग कम से कम तीन दिन या अधिकतम दस दिन तक गणेश जी की पूजन, सेवा, भोग, आरती, कीर्तन आदि से अनुष्ठान पूर्ण करके गणेश प्रतिमा को जल में सम्मानपूर्वक विसर्जित कर देते हैं। कहा जाता है कि गणेश जी के घर मे पधारने से धन-धान्य, ऋद्धि-सिद्धि आती है।

भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को चन्द्र दर्शन करना निषेध है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन रात्रि को चांद देखने से एक वर्ष के अन्दर कोई न कोई कलंक अवश्य लगता है। पुराणों में वर्णित है कि भगवान श्रीकृष्ण को भी इस दिन चन्द्र दर्शन करने से कलंक का सामना करना पड़ा था। इसलिए इस चतुर्थी को कलंक चतुर्थी या पत्थर चतुर्थी भी कहते हैं। यदि जाने अनजाने में चंद्र दर्शन हो जाए तो वही खडे होकर एक पत्थर उठाकर चांद की ओर फेंक देना चाहिए। गणेश अथर्व शीर्ष का पाठ करना चाहिए।



इस वर्ष गणेश उत्सव के दौरान एक अमृत सिद्धि, दो सर्वार्थ सिद्धि और छह रवि योग रहेंगे। श्रीगणेश की स्थापना शिव-पार्वती योग में होगी। सोमवार भगवान शिव का प्रिय दिन है और शुक्ल योग माता पार्वती को प्रिय है। इस दिन कन्या राशि का चंद्रमा भी है। ये सभी शुभ योग आज सोमवार को है। आज ही महिलाएं जहां शिवपार्वती कार्तिकेय, नंदी, शृंगी आदि गणों को पूजेंगी वहीं घरों में और नगर में जगह- जगह गणेश स्थापना होगी। गणेश चतुर्थी पर लंबे समय बाद कई शुभ संयोग बनेंगे। एक ओर जहां ग्रह-नक्षत्रों की शुभ स्थिति से शुक्ल और रवियोग बनेगा, वहीं सिंह राशि में चतुग्रही योग भी बन रहा है। अर्थात सिंह राशि में सूर्य, मंगल, बुध और शुक्र एक साथ विद्यमान रहेंगे।


सागर शहर में 100 से अधिक स्थानों पर गणेशजी की झांकी लगाई जाती है, जिसकी तैयारियां पूर्ण हो गई है। गजानन को विराजित करने के लिए स्वर्ण मंदिर बनाया गया है। झांकी लगाने के लिए पंडाल सजना शुरू हो गए है। गणेश भगवान की स्थापना करने के लिए शहर की विभिन्न कमेटियां जुटी हुई हैं। विघ्नहर्ता, मंगलकर्ता, प्रथम पूज्य गणपति बाप्पा बुद्धि एवं समृद्धि के आराध्य देव भगवान श्री गणेश की प्रतिमा को विराजित करने के लिए वाटरप्रूभ पंडाल बनाए जा रहे हैं। बारिश का मौसम रहने के कारण पंडाल को बनने में विशेष ध्यान कमेटियों ने दिया है। गणेश भगवान के प्रतिमाओं की बुकिंग पहले ही हो गई है। पर्यावरण का ध्यान रखते हुए कमेटियों ने मिट्टी की गणेश प्रतिमाओं को ही प्राथमिकता दी है।



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