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| Dr. Varsha Singh |
रविवार, दि. 15.09.2019 को सागर में वनमाली सृजनपीठ, भोपाल की सागर इकाई के प्रथम आयोजन में मैं यानी इस ब्लॉग की लेखिका डॉ. वर्षा सिंह भी शामिल हुई थी बतौर श्रोता। इस कार्यक्रम में बहन डॉ. (सुश्री) शरद सिंह ने आ। आमंत्रित अतिथि कथाकार के रूप में अपनी कहानी - "प्रेमी जन की जात न पूछो " - का पाठ किया। इस कहानी में कथित 'ऑनर' के नाम पर युवाओं की भावनाओं का किस तरह दमन किया जाता है, इसको बखूबी उजागर करने के साथ ही खाप-पंचायत की भूमिका को कठघरे में खड़ा किया गया है। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ सुरेश आचार्य ने की। ईकाई के संयोजक उमाकांत मिश्र ने स्वागत भाषण दिया।
दिलचस्प बात यह रही कि इस आयोजन में उपस्थित श्रोताओं को भी पुस्तकें भेंट कर सम्मानित किया गया। ज़ाहिर है इसका उद्देश्य पठन- पाठन की परम्परा और पुस्तक संस्कृति को बढ़ावा देना है।




















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