Friday, March 27, 2020

बारह दोहे और एक ग़ज़ल कोरोना से जंग पर - "लॉकडाउन" - डॉ. वर्षा सिंह

   
डॉ. वर्षा सिंह
 
       सावधानी में ही सुरक्षा है। कोरोना वायरस के संक्रमण जन्य महामारी को रोकने के लिए माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने देश में 21 दिनों का लॉकडाउन दिनांक 24 मार्च 2020 से 14 अप्रैल2020 तक के लिए घोषित किया है।

आइए जानते हैं कि लॉक़डाउन में होता क्या है।

1. घर में रहना पड़ेगा
इस दौरान सबको घर में ही रहने होता है। जनता को घर से बाहर निकलने पर रोक है। हालांकि आप अपने जरूरी काम के लिए बाहर निकल सकते हैं। लेकिन दूसरे लोगों से मिलना जुलना, सामाजिक व्यवहार, सैर सपाटा, खाना पीना, दफ्तर इत्यादि सब पर रोक है।

2. क्या क्या बंद रहेगा
इस दौरान सभी प्राइवेट और कॉन्ट्रेक्ट वाले दफ्तर बंद रहते हैं। सरकारी दफ्तर जो जरूरी श्रेणी में नहीं आते, वो भी बंद रहते हैं।

3. क्या नहीं कर सकते
इस दौरान सड़क पर नहीं निकल सकते। पांच या पांच से ज्यादा लोगों के एक साथ एकत्र होने पर रोक है। यदि आप घर से बाहर निकलते हैं तो आपको सड़क पर गश्त कर रहे पुलिस कर्मचारी को बताना होगा कि आप किस काम से जा रहे है।

4.दफ्तर वाले क्या करेंगे
हालांकि लॉकडाउन के दौरान दफ्तर बंद कर दिए गए हैं लेकिन आप दफ्तर का काम घर से कर सकते हैं। सभी दफ्तरों को चाहें वो निजी हों या ठेके पर,  उन्हें घर से ही अपने दफ्तर के काम सुचारू करने होंगे। इसके लिए कंपनी व्यक्ति को सैलरी देने के लिए बाध्य है।


5. क्या क्या बंद होगा
स्कूल, कॉलेज, दफ्तर, मॉल, दुकानें, सिनेमाहाल, धार्मिक स्थल, स्विमिंल पूल व अन्य संस्थान बंद रहते हैं। यहां जाना मना है। अगर ये खुलते हैं तो कार्रवाई होगा।

6. क्या क्या खुला रहेगा
लॉक डाउन के दौरान सबसे अच्छी बात ये है कि इस दौरान राशन, दूध, फल-सब्जी, दवाई की दुकानें खुली रहेंगी। पेट्रोल पंप, सीएनजी पंप, गैस सिलेंडर की आपूर्ति, बिजली पानी की सेवा, डॉक्टर, अस्पताल. फायर सर्विस, म्यूनिसिपल दफ्त, प्रिंट और इलेक्ट्रानिक माडिया के दफ्तर, बैंक के एटीएम, टेलीकॉम सेवाएं पूरी तरह खुली रहेंगी। यानी कि आपको सामान्य जीवन जीने के लिए तमाम तरह की जरूरी चीजों की आपूर्ति होती रहेगी। बस आप घर से बाहर नहीं निकल सकते।

    यहां प्रस्तुत हैं मेरे द्वारा लिखे बारह दोहे कोरोना से जंग पर ....

"लॉकडाउन" में है निहित...
                    - डॉ. वर्षा सिंह

कोरोना समझे नहीं, रंग, धरम ना जात।
मिल कर लें संकल्प हम, देनी होगी मात।।1।।

कोरोना की आपदा, मनुज रहा है झेल ।
रहें एकजुट हम अगर, यह भी होगा फेल।।2।।

सार्स, इबोला से नहीं ,घबराया इंसान।
कोरोना के घात का, हमको है संज्ञान।।3।।

शहर, देश, दुनिया सभी पर संकट की छांव।
बच कर स्वयं, बचाइए, अपनी बस्ती-गांव।।4।।

बहुत बुरा यह संक्रमण, इतना लीजे जान।
टीका इसका है नहीं, जा सकती है जान ।।5।।

मानव हैं हम, ये सदा हमें रहेगा भान।
करना हमें सदैव है नए-नए संधान।।6।।

कोरोना का भी कभी निकलेगा कुछ तोड़।
वर्तमान में दीजिए सभी बुराई छोड़।।7।।

"लॉकडाउन" में है निहित, सबके हित की बात।
इसी तरह दे पायेंगे, कोरोना को मात ।।8।।

वहां सुरक्षित हैं सभी, जहां सतर्क इंसान।
दूर भ्रमों से रह करें सच्चाई का भान ।।9।।

दूरी रखिए आपसी, नहीं घूमने जाएं ।
पालन वह सब कीजिए, जो पी.एम. समझाएं।।10।।

भय मन में मत पालिए, किन्तु न निर्भय होंए ।
सैनेटाइजर से सदा हाथों को मल धोंए ।।11।।

"वर्षा" भारत भूमि पर यह अप्रैल औ मार्च।
जग को पथ दिखला रहा, बन कर जलती टार्च ।।12।।
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       कोरोनावायरस को फैलने से रोकने के लिए माननीय प्रधानमंत्री जी के द्वारा खींची गई एक अदृश्य लक्ष्मण रेखा को महसूस करते हुए मैं, आप, हम सभी भारतवासी 21 दिन के लॉकडाउन का पालन करते हुए अपने घर से बाहर नहीं निकल रहे हैं ... तो पढ़िए मेरी यह ग़ज़ल ....

ग़ज़ल
दौर है ये आज़माइश का
         - डॉ. वर्षा सिंह

दौर है ये आज़माइश का, ज़रा धीरज धरो
कुछ दिनों की बात है फिर ख़ूब मनचाहा करो

स्याह पन्ने फाड़ कर उजली कथाएं कुछ लिखो
पृष्ठ जो हैं रिक्त, उनमें रंग जीवन का भरो

ख़ुद के दुख की दास्तानों का न कोई अंत है
भूल अपने ग़म सभी तुम पीर ग़ैरों की हरो

वक़्त है एकांत का, रहना स्वयं की क़ैद में
अब मनुजता को स्वयं के धैर्य से तारो- तरो

याद रखना वक़्त रुकता है न अच्छा ना बुरा
खेल सारा कुछ पलों का है तो आखिर क्यों डरो

मृत्यु की तय है घड़ी और ज़िन्दगी के दिन भी तय
सोच कर अंतिम क्षणों को किसलिए प्रतिपल मरो

शुष्कता ने बोरियत से भर दिया वातावरण
बन के "वर्षा"- बूंद, सूखी इस धरा पर तुम झरो
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#ग़ज़लवर्षा
#StayHome
#कोरोनावायरस


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