Tuesday, March 16, 2021

समृद्ध सोच की गवाही देती हैं ऐतिहासिक धरोहर - डॉ. (सुश्री) शरद सिंह | पुस्तक लोकार्पण समारोह | डॉ. वर्षा सिंह

Dr. Varsha Singh

प्रिय ब्लॉग पाठकों,  दिनांक 14.03.2021 को मुझे यानी इस ब्लॉग की लेखिका डॉ. वर्षा सिंह को विशिष्ट अतिथि के रूप में एक पुस्तक का  लोकार्पण करते हुए इस बात की प्रसन्नता हुई कि यह पुस्तक जिसका नाम है "ब्रह्मवादिनी", भारतीय संस्कृति और उसके मूल्य पर आधारित विचारों से युक्त उन स्त्रियों के बारे में है जिन्होंने भारतीय संस्कृति को आकार देने में अपनी महती भूमिका निभाई है। इस पुस्तक की विदुषी लेखिका हैं डॉ सरोज गुप्ता।
इस लोकार्पण कार्यक्रम की अध्यक्षता की मेरी छोटी बहन डॉ (सुश्री) शरद सिंह ने, मुख्य अतिथि थीं 'आचरण' समाचार पत्र की प्रबंध संपादक श्रीमती निधि जैन, तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में मेरे साथ थीं नगर की प्रतिष्ठित गायनोलॉजिस्ट डॉ (श्रीमती) ज्योति चौहान। कांची रेस्टोरेंट में आयोजित इस आयोजन में भारतीय शिक्षण मंडल सागर की सभी बहनें उपस्थित थीं।
     वैदिक काल स्त्रियों का मान-सम्मान पुरुषों से कम नहीं था। अनसूया, अहल्या, अरुन्धती, मदालसा आदि अगणित स्त्रियाँ वेदशास्त्रों में पारंगत थीं। अनसूया, अहल्या, अरुन्धती, मदालसा आदि अगणित स्त्रियाँ वेदशास्त्रों में पारंगत थीं। स्त्रियां भी पुरुषों की तरह वेदाध्ययन व यज्ञ करती और कराती थीं। वे यज्ञ- विद्या और ब्रह्म- विद्या में पारंगत थीं।
"तैत्तिरीय ब्राह्मण’’ में सोम द्वारा ‘सीता- सावित्री’ ऋषिका को तीन वेद देने का वर्णन विस्तारपूर्वक आता है—

तं त्रयो वेदा अन्वसृज्यन्त। 
अथ ह सीता सावित्री। 
सोमँ राजानं चकमे। 
तस्या उ ह त्रीन् वेदान् प्रददौ। 
इस मन्त्र में बताया गया है कि किस प्रकार सोम ने सीता- सावित्री को तीन वेद दिये।
ऋग्वेद 10/ 85 में सम्पूर्ण मन्त्रों की ऋषिका ‘सूर्या- सावित्री’ है। ऋषि का अर्थ निरुक्त में इस प्रकार किया है—

ऋषिर्दर्शनात्। स्तोमान् ददर्शेति। ऋषयो मन्त्रद्रष्टर:।
अर्थात् मन्त्रों का द्रष्टा उनके रहस्यों को समझकर प्रचार करने वाला ऋषि होता है। 
ऋषियों के समतुल्य ऋषिकाओं को भी विद्याअध्ययन, वेदों पर शास्त्रार्थ आदि का अधिकार था। इनमें ऋषिका लोपामुद्रा, ऋषिका विश्ववारा, ऋषिका अपाला, ऋषिका शाश्वती, ऋषिका रोमशा, ऋषिका श्री, ऋषिका लाक्षा, ऋषिका सार्पराज्ञी प्रमुख हैं। वागाम्भृणी, यमी वैवश्वती, सरमा, सूर्यासावित्री, श्रृद्धा, मेधा, दक्षिणा आदि ने आरण्यक कुटियों में गृहस्थ जीवन जीते हुए ब्रह्म से साक्षात्कार किया। हमारा अतीत बहुत समृद्ध है और आज वह हमारा ज्ञान पश्चिम में पुष्पित- पल्लवित हो रहा है जबकि हम पश्चिम का अंधानुकरण कर रहे हैं।    


    इस समारोह में मैंने यानी इस ब्लॉग की लेखिका डॉ वर्षा सिंह ने महिलाओं की सहृदयता एवं सशक्तिकरण को अपना सृजनात्मक स्वर दे कर ग़ज़ल प्रस्तुत की - 

इसमें दुर्गा, इसी में मीरा भी
आधी दुनिया का आब है औरत

इसको पढ़ना ज़रा आहिस्ता से
प्यार की इक किताब है औरत

डॉ (सुश्री) शरद सिंह ने अध्यक्षीय उद्बोधन में अनेक उदाहरणों के साथ कहा कि प्राचीन भारत में भारतीय जनमानस की सोच संकुचित नहीं थी। प्रागैतिहासिक काल के भित्तिचित्र इस बात के साक्ष्य हैं कि उस समय भी स्त्रियां पुरुषों की तरह आखेट में, आयुध संचालन में बढ़चढ़कर हिस्सा लेती थीं। डॉ (सुश्री) शरद सिंह ने ऋषि याज्ञवल्क्य और गार्गी के मध्य हुए शास्त्रार्थ की कथा सुनाई। साथ ही कहा कि वैदिक काल में धर्म, ज्योतिष, ज्यामिति, पाककला, नृत्य, संगीत आदि चौंसठ कलाओं में वे निपुण हुआ करती थीं। वेदों की ऋचाओं को गढ़ने में भारत की बहुत-सी स्त्रियों का योगदान रहा है। वैदिक काल से लेकर मुगलकाल के पहले तक वैचारिक रूप से महिलाओं को पूर्ण स्वतंत्रता थी। ग्यारहवीं-बारहवीं शताब्दी के समय के देश की समृद्धि, उत्कृष्ट सोच व खुले विचारों की गवाही देश की ऐतिहासिक धरोहरें, मूर्तिकला, चित्रकला, स्थापत्य कला के केन्द्र खजुराहो, कोणार्क जैसे मंदिर देते हैं। जहां जिस मंदिर के गर्भगृह में शिव, विष्णु, सूर्य आदि देवप्रतिमाएं प्रतिष्ठित हैं, वहीं उसी मंदिर की भित्तियों पर मिथुन मूर्तियों से ले कर जीवन के प्रत्येक सोपान को, रोजाना के कार्यकलाप को, उस समय के देशकाल को प्रदर्शित करती सुंदर मूर्तियां स्थापित हैं। यह तत्कालीन भारतीय जनमानस की उदात्तता अर्थात् ब्रॉडमाइंड का साक्ष्य है। आक्रांताओं के कारण आई पर्दा प्रथा , सती प्रथा, बालविवाह जैसी कुरीतियों का
का अनेक समाज उद्धारकों ने विरोध कर स्त्री को इनसे मुक्त कराया। वर्तमान समय की नारी हर क्षेत्र में आपनी उल्लेखनीय उपस्थिति दर्ज़ करा  रही है। वह ब्रह्मवादिनी की ही तरह सम्मान पा रही है। ब्रह्मवादिनी काव्यसंग्रह का उद्देश्य वैदिक संस्कृति के ज्ञान का प्रसारण करना है। 
यहां प्रस्तुत तस्वीरें और समाचार उसी लोकार्पण समारोह की हैं -

 

12 comments:

  1. वर्षा जी, आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं ।

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    1. हार्दिक धन्यवाद प्रिय जिज्ञासा जी 🙏

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    1. यह सब आपके शुभाशीष का सुपरिणाम है आदरणीय 🙏
      हार्दिक आभार आपकी उदात्तता के प्रति 🙏

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  3. बहुत बहुत शुभकामनाएं, वर्षा दी।

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    1. हृदयतल की गहराइयों से बहुत धन्यवाद प्रिय ज्योति जी 🙏

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  4. अत्यंत सुखद पल । आपको व शरद जी को बहुत बहुत बधाई।🙏🌹🙏

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    1. शुक्रिया तहेदिल से प्रिय मीना भारद्वाज जी 🙏

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  5. आपको और शरद जी को बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनायें

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    1. हार्दिक धन्यवाद प्रिय कामिनी सिन्हा जी 🙏

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  6. शुभकामनाएं सरोज जी को, अभिनंदन शरद जी का तथा आभार आपका हमें अवगत कराने के लिए ।

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय माथुर जी 🙏

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