Dr. Varsha Singh |
स्थानीय दैनिक समाचार पत्र "आचरण" में कल दिनांक 25.04.2020 को प्रकाशित मेरा विशेष आलेख - " कोरोना लॉकडाउन और सागर का काव्य जगत "।
विशेष लेख -
कोरोना लाॅकडाउन और सागर का काव्यजगत
- डॉ. वर्षा सिंह
सागर शहर अपनी अनूठी विशेषताओं का शहर है। यहां झील के रूप में प्राकृतिक छटा है तो काव्य के रूप में प्रतिभाएं मुखर हैं। कोरोना आपदा के विश्वव्यापी संकट के कारण सागर शहर में लाॅकडाउन का सन्नाटा पसरा हुआ है लेकिन सागर के साहित्यकारों की लेखनी थमी नहीं है। वे निरंतर सृजन कर रहे हैं। जहां एक ओर वे आमजनता को लाॅकडाउन के नियमों का पालन करने की समझाइश दे रहे हैं वहीं दूसरी ओर कोरोना वारियर्स का हौलसा बढ़ा रहे हैं। तो यहां प्रस्तुत है सागर शहर के कुछ कवियों की वे कविताएं जो कोरोना संकट पर केन्द्रित हैं।
प्रो. आनंद प्रकाश त्रिपाठी |
लाकडाउन काल
सड़कों पर डंसता सन्नाटा देखा है
हंसता जीवन
सहमा सहमा और डरावना देखा है
महामारी कोरोना
लोगों के दिल की धड़कन बढ़ते देखा है
जान है तो जहान है
इस सच को जीते देखा है
कोरोना का भयावह संक्रमण
लोगों को अति बेबस होते देखा है
Dr. Sharad Singh |
लॉकडाउन को पालन कर लेओ
सुन लेओ, भैया मोरे।
जेई सबई खों बचा सकत है
हाथ तुमाए जोरे।
पूरो लॉक करा दओ सागर
ऐसी करी घुमाई
बचो रहे अब सागर सगरो
कर लेओ जेई दुहाई
सबई के प्रानन पे बन जेहे
कोऊ किवरिया खोरे
हाथ तुमाए जोरे।।
कपिल बैसाखिया |
मन से हों मजबूत हम, रहे तन सावधान।
दूरी में ही निकटता, अपने पन का भान।।
कुछही दिन की बात है, लाना है बदलाव।
घर में हों गर कैद हम, होगा तभी बचाव।।
डॉ. वर्षा सिंह |
तीन पांच लों लॉकडाउन है, तीन पांच ने करियो।
तारा डारे हम घर बैठे, तुम अपने घर रहियो।।
पुलिस, कलक्टर संगे हमरे, संगे पीएम, सीएम,
सात बचन खों पालन करबै में तनकऊ ने डरियो।।
ढाल बने से खड़े वारियर, देत सुरक्छा हमखों,
उन ओरन की सच्चे मन से जयकारे सब करियो।।
डॉ नलिन जैन |
स्टे एट होम ही, हुआ जरूरी आज
क्षुद्र वायरस देखिये, संक्रमण है काज
करिये कसरत रोज ही, आधा घंटे रोज
कफ इससे पिघले स्वयं, ठहरे ना ये नोज
कुछ भी ना पकड़े अभी,सतह जो भी अंजान
सेनिटेशन कीजिये, बार - बार यह काम
अशोक मिज़ाज बद्र |
मौतों के आंकड़ों से खबरदार नहीं है।
क्या अपनी जिंदगी से तुझे प्यार नहीं है।
खुद अपनी देखरेख हमें करनी पड़ेगी,
हर शय की जिम्मेदार तो सरकार नहीं है।
सतीश पाण्डेय |
लक्ष्मण रेखा खीच कर , कोरोना से जंग ।
बात सभी ने मान ली , फिर होंगें रसरंग ।
करें सहन थोड़े दिवस , कठिनाई यदि देश।
संयम नियम विवेक से होगा शुभ परिवेश।।
जप तप पूजा पाठ भी , तभी करेंगे काम ।
लॉकडाउन के नियम का,पालन हो अभिराम।।
कोरोना आपदा और लाॅकडाउन ने सागर शहर के विविध विषयों पर कविता करने वाले कवियों को जिस प्रकार कोरोना आपदा रूपी एक विषय में सूत्रबद्ध कर दिया है, उसी प्रकार प्रत्येक नागरिक को एकसूत्रीय होते हुए आपदा के नियमों का पालन करते हुए धैर्य और संयम का परिचय देना चाहिए तभी हम कोरोना रूपी राक्षस का विनाश कर सकेंगे।
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( दैनिक, आचरण दि. 25.04.2020)
#आचरण
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