Sunday, April 26, 2020

विशेष लेख - कोरोना लाॅकडाउन और सागर का काव्यजगत - डॉ. वर्षा सिंह

   
Dr. Varsha Singh
   
      स्थानीय दैनिक समाचार पत्र "आचरण" में कल दिनांक 25.04.2020 को प्रकाशित मेरा विशेष आलेख - " कोरोना लॉकडाउन और सागर का काव्य जगत "। 

विशेष लेख -

कोरोना लाॅकडाउन और सागर का काव्यजगत

             - डॉ. वर्षा सिंह

         सागर शहर अपनी अनूठी विशेषताओं का शहर है। यहां झील के रूप में प्राकृतिक छटा है तो काव्य के रूप में प्रतिभाएं मुखर हैं। कोरोना आपदा के विश्वव्यापी संकट के कारण सागर शहर में लाॅकडाउन का सन्नाटा पसरा हुआ है लेकिन सागर के साहित्यकारों की लेखनी थमी नहीं है। वे निरंतर सृजन कर रहे हैं। जहां एक ओर वे आमजनता को लाॅकडाउन के नियमों का पालन करने की समझाइश दे रहे हैं वहीं दूसरी ओर कोरोना वारियर्स का हौलसा बढ़ा रहे हैं। तो यहां प्रस्तुत है सागर शहर के कुछ कवियों की वे कविताएं जो कोरोना संकट पर केन्द्रित हैं।

प्रो. आनंद प्रकाश त्रिपाठी 
         तो आरम्भ प्रो. आनंद प्रकाश त्रिपाठी की कविता के इस अंश से जो कोरोना की भयावह स्थिति का दृश्य प्रस्तुत करती है-

लाकडाउन काल
सड़कों पर डंसता  सन्नाटा  देखा है

हंसता जीवन
सहमा सहमा और डरावना देखा है

महामारी कोरोना
लोगों के दिल की धड़कन  बढ़ते देखा है

जान है तो जहान है
इस सच  को जीते देखा है

कोरोना का भयावह संक्रमण
लोगों को अति बेबस  होते देखा है

Dr. Sharad Singh
      कोरोना की ये भयावहता ही है जिसने हर व्यक्ति को अपने घर के भीतर क़ैद कर दिया है क्योंकि इस क़ैद में ही जीवन की सुरक्षा है। इसीलिए कवयित्री डॉ (सुश्री) शरद सिंह अपनी बुंदेली गीत के द्वारा हर व्यक्ति से निवेदन करती हैं कि -

लॉकडाउन को पालन कर लेओ
सुन लेओ, भैया मोरे।

जेई सबई खों बचा सकत है
हाथ तुमाए जोरे।

पूरो लॉक करा दओ सागर
ऐसी करी घुमाई
बचो रहे अब सागर सगरो
कर लेओ जेई दुहाई

सबई के प्रानन पे बन जेहे
कोऊ किवरिया खोरे
हाथ तुमाए जोरे।।

 
कपिल बैसाखिया
   संकट के दिन कितने भी लम्बे क्यों न लगें किन्तु यदि धैर्य से बिताए जाएं तो आसानी से व्यतीत हो जाते हैं। कुछ यही बात कवि कपिल बैसाखिया अपने इन दोहों के माध्यम से सभी को समझाना चाहते हैं-                       

मन से हों मजबूत हम, रहे तन सावधान।
दूरी में  ही निकटता, अपने पन का भान।।

कुछही दिन की बात है, लाना है बदलाव।
घर में हों गर कैद  हम, होगा तभी बचाव।।

 
डॉ. वर्षा सिंह
     लेकिन कुछ लोग जो स्थिति की गंभीरता को अनदेखा कर के लाॅकडाउन के नियमों को तोड़ते रहते हैं वे स्वयं को संकट में तो डालते ही हैं, साथ ही अपने परिचितों, मित्रों और रिश्तेदारों के लिए भी प्राणघातक बन बैठते हैं। ऐसे लोगों के कारण ही लाॅकडाउन की अवधि बढ़ाने की नौबत आई है। तो कवयित्री डॉ. वर्षा सिंह यानी मैं भी बुंदेली में ऐसे लोगों से निरंतर प्रार्थना करती रहती हूं कि-

तीन पांच लों लॉकडाउन है, तीन पांच ने करियो।
तारा डारे हम घर बैठे, तुम अपने घर  रहियो।।

पुलिस, कलक्टर संगे हमरे, संगे पीएम, सीएम,
सात बचन खों पालन करबै में तनकऊ ने डरियो।।

ढाल बने से खड़े वारियर, देत सुरक्छा हमखों,
उन ओरन की सच्चे मन से जयकारे सब करियो।।

 
डॉ नलिन जैन
     सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क पहनना और बार-बार हाथ धोना बचा सकता है कोरोना के खतरे से। इस तथ्य को कवि नलिन जैन अपनी काव्य रचना में कुछ इस प्रकार कहते हैं-

स्टे  एट  होम  ही,  हुआ  जरूरी  आज
क्षुद्र  वायरस  देखिये,  संक्रमण  है काज

करिये  कसरत रोज ही, आधा  घंटे  रोज
कफ इससे पिघले स्वयं, ठहरे ना ये नोज

कुछ भी ना पकड़े अभी,सतह जो भी अंजान
सेनिटेशन  कीजिये, बार - बार  यह  काम

अशोक मिज़ाज बद्र
     ऐसे लोग जो सुरक्षा के लिए लगाए गए लाॅकडाउन के महत्व को समझ नहीं रहे हैं और संक्रमण का एक भी केस सामने आने पर ढिठाई ओढ़ कर सारी जिम्मेदारी सरकार पर मढ़ने लगते हैं, उन्हें उलाहना देते हुए शायर अशोक मिजाज कहते हैं-

मौतों के आंकड़ों से खबरदार नहीं है।
क्या अपनी जिंदगी से तुझे प्यार नहीं है।

खुद अपनी देखरेख हमें करनी पड़ेगी,
हर शय की जिम्मेदार तो सरकार नहीं है।

 
सतीश पाण्डेय
  जिस तरह हमारा देश और हम कोरोना संकट से लोहा ले रहे हैं आज पूरा विश्व उसकी प्रशंसा कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने भी ‘रामायण’ का संदर्भ उद्धृत करते हुए ‘लक्ष्मणरेखा’ का स्मरण कराया कि यदि हम सुरक्षा की लक्ष्मणरेखा नहीं लांघे तो कोराना हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता है। यही बात कवि डाॅ. सतीश पाण्डेय अपने इन दोहों में समझाते हुए कुछ इस प्रकार कहते हैं-

लक्ष्मण रेखा खीच कर , कोरोना से जंग ।
बात सभी ने मान ली , फिर होंगें रसरंग ।

करें सहन थोड़े दिवस , कठिनाई यदि देश।
संयम नियम विवेक से होगा शुभ परिवेश।।

जप तप पूजा पाठ भी , तभी करेंगे काम ।
लॉकडाउन के नियम का,पालन हो अभिराम।।

     कोरोना आपदा और लाॅकडाउन ने सागर शहर के विविध विषयों पर कविता करने वाले कवियों को जिस प्रकार कोरोना आपदा रूपी एक विषय में सूत्रबद्ध कर दिया है, उसी प्रकार प्रत्येक नागरिक को एकसूत्रीय होते हुए आपदा के नियमों का पालन करते हुए धैर्य और संयम का परिचय देना चाहिए तभी हम कोरोना रूपी राक्षस का विनाश कर सकेंगे। 

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( दैनिक, आचरण  दि. 25.04.2020)
#आचरण

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