Friday, December 7, 2018

छोटी बच्चियों से दुष्कर्म और कुछ मार्मिक कविताएं - डॉ. वर्षा सिंह

छोटी बच्चियों से दुष्कर्म की घटनाएं थमने का नाम ही नहीं ले रही हैं। उन्नाव, कठुआ, भोपाल, इंदौर, सागर ... महानगरों से ले कर बड़े- छोटे शहरों में बढ़ती हुई ये घटनाएं आत्मा को झकझोर जाती हैं। 1 से ले कर 5 वर्ष तक की बच्चियां भी आज महफ़ूज़ नहीं हैं। इतनी छोटी बच्चियों के साथ ऐसा घिनौना कृत्य। समाज को अपने अंदर झांकने की जरूरत है।

ऐसी घटनाएं कवि हृदय को जब आंदोलित करती हैं तो कविता, शायरी में भी दर्द बयां हो जाता है।

दरिंदे  घूमते  हैं   टोह  लेते   भेड़ियों   से
भला कैसे हों अब आबाद घर की बेटियां

बना वहशी किसी नन्ही परी को देखकर
उसे आई नहीं क्या याद   घर की बेटियां

- डॉ. (सुश्री) शरद सिंह




जिस दरिंदगी से उन दरिन्दों ने तेरी मासूमियत भरी आवाज़ को कुचल कर तार तार किया
देश की एक बेटी का नहीं नारी के हर रूप का बलत्कार हुआ है
     - नेहा

बलात्कार किये जाने और?
शीशा तोड़कर सर के बल निकलने में
और कोई फर्क नहीं, सिवाय इसके कि
तुम डरने लगती हो
मोटर गाड़ी से नहीं, बल्कि मर्द ज़ात से
    -   मार्ज पियर्सी
     
बच्ची की आबरू तक महफूज़ अब नहीं है,
परदे में रहके जीना, जीने का ढब नहीं है.
    - उर्मिला माधव

हुआ है हादसा इतना बड़ा वीरान तो होगा
अभी निकला है दहशत से शहर सुनसान तो होगा
    - दिगम्बर नासवा

Poetry by Dr. (Miss) Sharad Singh

पानी के बुलबुले सी एक लड़की थी
होठों पर मुस्कान लिये घर से निकली थी कि पड़ नजर शैतानों की
और डूब गयी नाव इंसानियत की
ओढ ली थी काली चादर आसमान ने
     - अंजली अग्रवाल

और अंत में मेरी यानी डॉ. वर्षा सिंह के कुछ शेर ...

डरा हुआ है बालपन, डरी हुई जवानियां
निडर समाज फिर बने, रहे न बेबसी कभी

बच्चियां भी अब सुरक्षित हैं नहीं
क्या हुआ है आज मेरे देश को

क्या कहें काली हुई क्यों ये ज़मीं
नोंच कर फेंकी गई मासूम है

कैसी नृशंसता है, कैसी हवस है ये
देखा न जिसने बालिका है चार साल की


Sketch by Dr. (Miss) Sharad Singh

4 comments:

  1. समाज के लिए शर्म की बात है की आज भी दुष्कर्म की घटनाएँ आम हैं ... दरिंदा होता जा रहा है पुरुष ...
    अच्छे लाजवाब शेरों के ज़रिए इस बात को प्रखरता से रखा है आपने ... आभार मेरे शेर को भी इस लायक रांझा आपने ...

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  2. 🙏🙏🙏

    आपके शेर वक़्त का आईना हैं....

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  3. समाज के लिए शर्म की बात है की भी दुष्कर्म की घटनाएँ
    बढ़ रही | शिक्षित समाज पर कालिख पोतने के सम्मान है
    मार्मिक रचनाएँ..

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    1. आपकी मूल्यवान टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार

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