Dr. Varsha Singh |
सागर : साहित्य एवं चिंतन
डॉ. घनश्याम भारती : एक ऊर्जावान साहित्यकार
- डॉ. वर्षा सिंह
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परिचय : डॉ. घनश्याम भारती
जन्म : 16.07.1976
जन्म स्थान : सागर
शिक्षाः हिंदी मैं स्नातकोत्तर एवं पीएचडी की उपाधि
विधा : लेख, निबंध, समीक्षा
पुस्तकें : नौ पुस्तकें प्रकाशित
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सागर नगर के स्थापित युवा साहित्यकारों में डॉ. घनश्याम भारती का नाम विश्वास पूर्वक लिया जा सकता है। सागर नगर में जन्मे डॉक्टर भारती के पिता श्री बाबूलाल एवं माता श्रीमती पूनम के सुरुचिपूर्ण लालनपालन ने उनके मन में बाल्यावस्था से ही साहित्य के प्रति अनुराग स्थापित कर दिया था। डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर से बी.एड. एवं हिंदी में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त करने के बाद प्रख्यात साहित्यकार रंगेय राघव के कथा साहित्य में लोकजीवन पर पीएचडी की उपाधि हासिल की।
औपचारिक शिक्षा पूर्ण होने के बाद डॉ. भारती गढ़ाकोटा के शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में प्राध्यापक के रूप में पदस्थ हुए, जहां वे आज हिंदी विभाग के अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
डॉ. भारती की अब तक नौ पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं जिनमें ‘रांगेय राघव के कथा साहित्य में लोक जीवन’ जो 2007 में प्रकाशित हुआ। यह एक शोध ग्रंथ है। सन् 2015 में ‘शोध और समीक्षा के विविध आयाम’ नामक निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ। सन् 2016 में ‘सत्य से साक्षात्कार के कवि निर्मल चंद निर्मल’ अभिनंदन ग्रंथ संपादित किया। सन् 2016 में ही ‘समय, समाज, साहित्य एक परिसीमन’ नामक पुस्तक प्रकाशित हुई। सन 2017 में ‘व्यक्तित्व, भाषा, मीडिया : एक अनुशीलन’ पुस्तक प्रकाशित हुई। सन 2018 में ‘हिंदी की प्रतिनिधि कहानियां’ का संपादन किया। शोधात्मक कार्यों के दिशा में डॉ. भारती ने कई महत्वपूर्ण सेमिनार आयोजित किए हैं तथा उन पर आधारित पुस्तकों का संपादन कार्य भी किया है। सन् 2018 में उनके संपादन में एक महत्वपूर्ण ग्रंथ प्रकाशित हुआ जिसका नाम है ‘राम कथा का वैश्विक परिदृश्य’। इसी प्रकार 2018 में ही रामकथा पर केंद्रित एक और ग्रंथ प्रकाशित हुआ, जिसका नाम है ‘लोक जीवन में राम कथा’। ये दोनों ग्रंथ राम कथा को समझने में बहुत ही सहायक हैं। इस बात से भी इन ग्रंथों की उपादेयता बढ़ जाती है कि इनमें देश विदेश के विद्वानों के विचार आलेख के रूप में संग्रहित किए गए हैं।
डॉ. घनश्याम भारती वार्षिक पत्रिका ‘सृष्टि’ के 11 अंकों का संपादन कर चुके हैं, जिसमें कुछ विशेषांक प्रकाशित हुए हैं। जैसे - बेटी विशेषांक, शोध विशेषांक, पर्यावरण विशेषांक एवं स्वास्थ्य विशेषांक।
Dr. Ghanshyam Bharti |
डॉ. घनश्याम भारती अंतर्राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों का सफलतापूर्वक आयोजन करते रहते हैं। हिंदी विभाग शासकीय पीजी कॉलेज गढ़ाकोटा में ‘वैश्विक जीवन मूल्य और राम कथा’ विषय पर अप्रैल, 2018 में संयोजक के रूप में अंतर्राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का आयोजन कर चुके हैं। संगोष्ठी और तथा कार्यशाला का आयोजन करते हुए उन्होंने हमेशा विविध विषयों का चयन किया जैसे समाज सेवा लोकतंत्र राजभाषा एड्स जागरूकता व्यक्तित्व भाषा मीडिया आदि विषय।
डॉ. घनश्याम भारती की वार्ताओं का प्रसारण आकाशवाणी के विभिन्न केंद्रों से होता रहता है। सन् 2012 को आकाशवाणी के सागर केंद्र से विशेष रेडियो वार्ता के अंतर्गत प्रसारित वार्ता ‘रांगेय राघव व्यक्तित्व और कृतित्व’ उनकी एक उल्लेखनीय वार्ता है।
Sagar Sahitya avam Chintan- Dr. Varsha Singh |
जहां तक शोध और समीक्षा का प्रश्न है तो डॉ. घनश्याम भारती का मानना है कि शोध और समीक्षा ने हिंदी साहित्य में आज अपना वृहद स्थान निर्मित कर लिया है। साहित्यकार की शोधात्मक दृष्टि जीवन और समाज के उन बिन्दुओं को चुनती है जो प्रायः अनदेखे रह जाते हैं। यही शोध का मूल चरित्र होता है, जो विभिन्न प्रविधियों से गुजरता हुआ समग्र विवेचन और विश्लेषण के साथ अप्रकट को प्रकट कर देता है। शोध साहित्य को समाज से और समाज को साहित्य से परस्पर जोड़ता है। शोध ही वह तत्व है जो साहित्य के कलेवर को विश्वसनीयता प्रदान करता है। वहीं समीक्षा साहित्य को दिशा प्रदान करती है। छूटे रह गये तत्वों, अनावश्यक प्रस्तुति को परिमार्जित करती हुई साहित्य को अधिक से अधिक सारगर्भित बनाने का कार्य समीक्षा द्वारा ही हो पाता है। प्रत्येक साहित्यकार से अपेखा की जाती है कि वह अपने सृजन का प्रथम समीक्षक स्वयं बने। इसके बाद अन्य समीक्षक उसके सृजन की समीक्षा करें। जिससे सृजित रचना उपादेयता की दृष्टि से अपने सर्वांगीण रूप को प्राप्त करे। उल्लेखनीय है कि जब डॉ भारती शोध और समीक्षा के विविध आयाम नामक अपने ग्रंथ पर कार्य कर रहे थे तब हिन्दी साहित्य जगत के प्रख्यात समीक्षक डॉ नामवर सिंह ने शुभकामनाएं देते हुए अपने यह विचार व्यक्त किए थे कि - ‘‘यह ग्रंथ शोध और समीक्षा के क्षेत्र में कार्य करने वाले छात्रों हेतु पठनीय एवं संग्रहणीय साबित हो मेरी हार्दिक शुभकामनाएं।’’ हिंदी समीक्षा जगत में कठोर समीक्षक के रूप में प्रसिद्ध डॉ नामवर सिंह का इन शब्दों में शुभकामनाएं देना भी अपने आप में महत्वपूर्ण है।
वर्तमान समय संचार माध्यमों का समय है यानी मीडिया का समय है। मीडिया आज व्यक्ति के व्यक्तित्व और भाषा को प्रभावित कर रही है। डॉ भारती यह मानते हैं कि भाषा और मीडिया व्यक्तित्व को विशेषता प्रदान करते हैं। अपनी पुस्तक ‘‘व्यक्तित्व, भाषा, मीडिया : एक अनुशीलन’’ के सम्पादकीय आमुख में उन्होंने लिखा है कि - ‘‘भाषा और मीडिया व्यक्तित्व निखारने के महत्वपूर्ण सोपान हैं। इसलिए व्यक्तित्व, भाषा और मीडिया के अंतर्सम्बन्ध भी हैं। भाषा विचार सम्प्रेषण का मूल हिस्सा है। साथ ही मीडिया भाषा के माध्यम से ही लिखित एवं मौखिक रूप में अपने विचार लोगों तक पहुंचाती है। मनुष्य का जन्म जब शिशु के रूप में होता है तभी उसे किसी न किसी भाषा में बोलने हेतु प्रेरित किया जाता है और कालांतर में उसके भाषाई कौशल के आधार पर उसका व्यक्तित्व संवर्घन होता है। बाद में जब वह मीडिया के क्षेत्र में जाता है तो उसे अपना भाषाई कौशल समाज के समक्ष रखना होता है। फिर जिस व्यक्ति का भाषाई कौशल जितना अच्छा होता है वह व्यक्ति उतना ही उस क्षेत्र में प्रभावी माना जाता है तथा उसका व्यक्तित्व उसके भाषाई कौशल से फलीभूत होता है। अतः व्यक्तित्व, भाषा, मीडिया का घनिष्ठ संबंध है। ’’
डॉ. (सुश्री) शरद सिंह के मुख्य आतिथ्य में आयोजित एक कार्यक्रम में मंच संचालन करते हुए डॉ. घनश्याम भारती |
‘‘लोक जीवन में रामकथा’’ के ब्लर्ब पर प्रकाशित इलाहाबाद के भाषाविद् समीक्षक मीडिया अध्ययन विशेषज्ञ डॉ पृथ्वीनाथ पाण्डेय ने लिखा है कि - ‘‘राम एक जीवनधारा है। जिसमें वही मनुष्य अवगाहन करने में समर्थ बन पाता है जो कालुष्य से दूर रहता है। सात्विकवृत्ति का बीजारोपण होने पर ही रामशक्तिपुंज से साक्षात्कार हो सकता हे, जिसे विरले ही कर पाते है। क्योंकि यह एक प्रकार की साधना है। इसी साधना का सारस्वत प्रसाद वितरित करने का कृतसंकल्प शासकीय स्नात्कोत्तर महाविद्यालय, गढ़ाकोटा, सागर, म.प्र. के प्राचार्य डॉ श्याम मनोहर पचौरी जी के संरक्षण में विश्रुत शिक्षाविद् समीक्षक डॉ घनश्याम भारती जी ने किया है, जो कि अनुकरणीय है।’’
अपने विवेचनात्मक एवं शोध पूर्ण गंभीर लेखन से हिंदी साहित्य को निरंतर समृद्ध कर रहे युवा साहित्यकार डॉक्टर घनश्याम भारती अपनी सक्रियता से उस युवा पीढ़ी के लिए एक प्रेरक छवि स्थापित कर रहे हैं जो युवा पीढ़ी आज लेखन और पठन-पाठन से दूर होती जा रही है। डॉ घनश्याम भारती से प्रेरणा लेकर अनेक युवा गद्य विधा में प्रवृत्त हुए हैं। डॉ भारती एक ऐसे ऊर्जावान साहित्यकार हैं जो अपनी क्रियाशीलता एवं लेखकीय दायित्वों को बखूबी समझते हैं तथा उसी गंभीरता एवं तत्परता से साहित्य सेवा में जुटे हुए हैं।
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( दैनिक, आचरण दि. 30.10.2018)
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