Dr. Varsha Singh |
अनेक विधाओं पर भिन्न-भिन्न चर्चाएं मनोमस्तिष्क में ऊर्जा का संचार करती हैं।
पिछले दिनों कुछ ऐसी ही चर्चा में शामिल होने का अवसर मिला।
वसन्तोत्सव के आगमन की आहटें महसूस की जा सकती हैं, इन्हें देख कर..... वसन्तोत्सव यानी शिशिर की ठिठुरन के बाद कुनकुना अहसास...
जी हां! पिछले दिनों डॉ. हरीसिंह गौर वि.वि. सागर में हिन्दी, संस्कृत विभागों के अधिष्ठाता डॉ. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी, जयपुर वि.वि. में सहायक प्राध्यापक सुन्दरम् शांडिल्य और अनेक चर्चित किताबों की प्रतिष्ठालब्ध लेखिका डॉ. (सुश्री) शरद सिंह और आपकी मित्र मैं डॉ. वर्षा सिंह... हम सभी ने आलोचना, कथा और काव्य के वर्तमान साहित्यिक परिदृश्य पर एक अनौपचारिक लम्बी चर्चा गोष्ठी हुई जिसकी तस्वीरें यहां शेयर कर रही हूं...
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