Tuesday, February 11, 2020

🎨 चित्रकला कार्यशाला : विज्ञान की मदद से गांव में हुए विकास की कहानियों को चित्रकारों ने हरे, नीले, पीले और भूरे रंग से बखूबी बयां किया -डॉ. वर्षा सिंह




   रंग के साथी ग्रुप सागर द्वारा इंडियन साइंस कांग्रेस के सहयोग से ग्रामीण विकास में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के योगदान पर केन्द्रित चित्रकला वर्कशॉप का सागर शहर में पहली बार तीन दिवसीय आयोजन रवीन्द्र भवन, सागर में किया गया। इसके लिए रंग के साथी ग्रुप सागर के ख्यातिलब्ध चित्रकार असरार अहमद बधाई के पात्र हैं। 💐

 🎨   चित्रकला कार्यशाला पर मेरी रिपोर्ट को विगत दिनांक 09 फरवरी 2020 को "दैनिक भास्कर" के सागर संस्करण में स्थान मिला है।
हार्दिक आभार "दैनिक भास्कर" 🙏🌹🙏



ब्लॉग पाठकों के लिए मेरा यह लेख जस का तस निम्नलिखित है....

विज्ञान की मदद से गांव में हुए विकास की कहानियों को चित्रकारों ने हरे, नीले, पीले और भूरे रंग से बखूबी बयां किया
         -डॉ. वर्षा सिंह

ये पेंटिंग्स बखूबी बताती हैं कि अब गांव पहले जैसे नहीं रहे जहां रात के अंधेरा से नन्हें दिए के सहारे जूझना पड़ता था। वहीं आज के गांव विद्युत से जगमगाते हैं। आज गांवों में खेतों को सींचने के लिए विद्युत मोटर है, जोतने के लिए ट्रेक्टर हैं। आज परस्पर संवाद और खेती किसानी की आवश्यक सूचनाएं पाने के लिए ग्रामीणों के हाथों में भी मोबाइल फोन हैं। वर्कशॉप में तैयार की जा रही अधिकांश पेंटिंग प्राकृतिक सौंदर्य के बीच बसे गांवों पर आधारित है। अतः इनमें हरे, नीले, पीले और भूरे रंग का प्रयोग कर विकास को बताया गया। खेतों को दर्शाने वाले दृश्यों में हरे रंग के विभिन्न शेड्स का संविलियन अपने आप में चाक्षुष प्रभाव छोड़ता है। कुछ पेंटिंग्स में लाल, नारंगी और गहरे पीले रंग के साथ चटख नीले रंग का प्रयोग कर के आंतरिक उल्लास को ख़ूबसूरती से उकेरा गया है। गृहणियों को लकड़ी के धुंए में अपनी आंखें दुखानी नहीं पड़ती हैं। बल्कि उनके पास आज उन्नत किस्म के चूल्हे हैं। विज्ञान के सौजन्य से ग्रामीण जीवन में आए इन सारे बदलावों को कैनवास पर देखा जा सकता है। इंडियन साइंस कांग्रेस द्वारा रंग के साथी ग्रुप के सहयोग से सागर शहर में पहली बार चित्रकला कार्यशाला का आयोजन किया गया है। स्थानीय रवींद्र भवन में आयोजित इस तीन दिवसीय कार्यशाला में नगर के 25 से अधिक चित्रकार अपने अनुभव एवं अपनी कल्पना शक्ति में अपनी चित्रकला के हुनर को शामिल कर जो चित्र बना रहे हैं। उन्हें देखकर कलाप्रेमी दर्शक अभिभूत हो उठते हैं।

रंग के साथी ग्रुप के माध्यम से सागर नगर में चित्रकारी की अलख जगाए रखने वाले नगर के प्रसिद्ध चित्रकार असरार अहमद बताते हैं कि जब इंडियन साइंस कांग्रेस चैप्टर सागर के प्रो. सुबोध जैन से मेरी चर्चा हुई तो हम दोनों ने मिल कर यह तय किया कि ग्रामीण विकास में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को चित्रकला वर्कशॉप का विषय बनाया जाए। वे आगे कहते हैं कि मुझे यह देख कर खुशी हुई कि वर्कशॉप में भाग लेने के लिए कई चित्रकार उत्साहित हो कर आगे आए। वर्कशॉप में चित्र बनाने वाले कलाकारों में स्वयं असरार अहमद द्वारा बनाया गया चित्र गांव में बिजली के आने से छाई खुशहाली को बखूबी दर्शाता है। अंशिता बजाज वर्मा ने बाइक चलाती ग्रामीण महिला के रूप में महिला सशक्तिकरण को कैनवास पर उतारा है। इसी प्रकार रेशू जैन ने इलेक्ट्रिक आयरन का उपयोग, मधुर सैनी ने थ्रेसर, मनोजिता राय ने स्मार्टफोन का उपयोग करती ग्रामीण स्त्री, काजोल गुप्ता ने खेत में कीटनाशक रसायन का छिड़काव करते हुए स्मार्टफोन पर बात करता ग्रामीण, उमाकांत मालेवर ने गांव में लगी हाइटेंशन इलेक्ट्रिक पावर लाईन आदि चित्रित किया है। इन चित्रों की विशेषता है रंगों के संतुलित प्रयोग एवं सधे हुए स्ट्रोक्स से उमड़ने वाली जीवंतता, जो इन चित्रकारों के महारथ को सिद्ध करती है।

चित्रकला वह प्राचीनतम कला है। जिसके द्वारा गुफाओं में रहने वाले आदि मानवों ने भी अपने जीवन की गतिविधियों को दीवारों पर उकेरा। यही चित्रकला एकबार फिर मानव जीवन के विकास के रंगों को प्रदर्शित कर रही है। 2 गुणा 2.5 फीट आकार के कैनवास पर एक्रेलिक रंगों से गांवों और विज्ञान के अंतसंबर्धाें को बखूबी उकेरते चित्रकार वे सारे दृश्य जीवंत कर रहे हैं जो विज्ञान की मदद से ग्रामीण विकास की बहुरंगी कहानियां कहते हैं।
























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