Friday, February 7, 2020

देवलचौरी गांव में रामलीला - डॉ. वर्षा सिंह


       रामलीला देखने का आनंद ही कुछ और होता है। सागर के देवलचौरी गांव में रामलीला लगभग 115 वर्षों से लगातार बसंत पंचमी के अवसर पर सात दिवसीय रामलीला का आयोजन किया जाता है। बुधवार की शाम सीता स्वयंवर के अंतर्गत श्री राम ने शिव धनुष तोड़ा,  सीता जी ने वरमाला पहनाई। राजा जनक जी की नगरी में सजे मंडप में स्वयंवर के तुरंत बाद परशुराम पहुंचे। जहां वे क्रोधित हुए, फिर मुनि विश्वामित्र के वचन सुने और धीरे धीरे उनका क्रोध शांत हो गया। अंत में परशुराम ने बड़े शांत मन से राम और सीता को आशीर्वाद दिया। इसके साथ ही रामलीला के सीता स्वयंवर प्रसंग का पटाक्षेप हुआ। .... और इसके साक्षी बने हम सब भी।
     पात्रों को श्रृंगार, आभूषण, वस्त्र साज, सज्जा में स्थानीय लोगों की भूमिका रहती है। रामलीला के पात्र निभाने वाले कलाकारों की उम्र 16 से 65 साल तक है। इस रामलीला के आयोजन की शुरुआत डॉ. महेश प्रसाद तिवारी के दादा छोटे लाल तिवारी जी ने गांव के ही कलाकारों द्वारा की थी। आज भी शासन की आर्थिक सहायता के बगैर यह रामलीला अनवरत जारी है। सागर शहर के साथ ही रामलीला देखने सेमाढाना, सत्ताढाना, भापेल सहित आसपास के 20 से अधिक गांवों से लोग ट्रैक्टर, जीप और बैलगाड़ी पर सवार होकर देवलचौरी पहुंचते हैं।






































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