Dr. Varsha Singh |
पृथ्वी दिवस , लॉकडाउन और पर्यावरण
- डॉ वर्षा सिंह
आज अर्थ डे यानीे पृथ्वी दिवस है।
... और अपनी इस 'अर्थ' पर कोरोना वायरस के 'अनर्थ' के बादल छाए हुए हैं। तो आईए हम संकल्प लें कि लॉकडाउन के नियमों का पालन कर हम बचे रहेंगे और पर्यावरण संरक्षण नियमों का पालन कर बचाए रहेंगे अपनी धरती यानी Mother Earth को अर्थ डे यानी पृथ्वी दिवस एक वार्षिक इवेंट है जिसे दुनियाभर में आज यानी की 22 अप्रैल को पर्यावरण संरक्षण के लिए मनाया जाता है। इसे पहली बार साल 1970 में मनाया गया था। इस साल पृथ्वी दिवस के 50 साल पूरे हो रहे हैं जहां इसका थीम 'क्लाइमेट एक्शन' रखा गया है। पर्यावरण की सुरक्षा के लिए "पृथ्वी दिवस या अर्थ डे" मनाया जाता है। इस आंदोलन को यह नाम जुलियन कोनिग द्वारा सन् 1969 को दिया था। इसके साथ ही इसे सेलिब्रेट करने के लिए अप्रैल की 22 तारीख चुनी गई।
इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को पृथ्वी और पर्यावरण के संरक्षण हेतु जागरूक करना है। आधुनिक काल में जिस तरह से मृदा अपरदन हो रहा है, ग्लेशियर पिघल रहे हैं, ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रहा है और प्रदूषण फ़ैल रहा है, इनसे पृथ्वी का ह्वास हो रहा है। ऐसी स्थति में पृथ्वी की गुणवत्ता, उर्वरकता और महत्ता को बनाए रखने के लिए हमें पर्यावरण और पृथ्वी को सुरक्षित रखने की जरूरत है। इन महत्वकांक्षी उद्देश्यों को पूरा करने हेतु हर साल 22 अप्रैल पृथ्वी दिवस मनाया जाता है।
इस वर्ष वर्तमान समय में कोरोना वायरस के चलते पूरे देश में लॉकडाउन है। हम सभी जानते हैं कि लॉकडाउन का अर्थ है तालाबंदी ।
लॉकडाउन एकआपातकालीन व्यवस्था है जो किसी आपदा या महामारी के वक्त लागू की जाती है। जिस इलाके में लॉकडाउन किया गया है उस क्षेत्र के लोगों को घरों से बाहर निकलने की अनुमति नहीं होती है। उन्हें सिर्फ दवा और खाने-पीने जैसी जरूरी चीजों की खरीदारी के लिए ही बाहर आने की इजाजत मिलती है, इस दौरान वे बैंक से पैसे निकालने भी जा सकते हैं.जिस तरह किसी संस्थान या फैक्ट्री को बंद किया जाता है और वहां तालाबंदी हो जाती है उसी तरह लॉक डाउन का अर्थ है कि आप अनावश्यक कार्य के लिए सड़कों पर ना निकलें। अगर लॉकडाउन की वजह से किसी तरह की परेशानी हो तो आप संबंधित पुलिस थाने, जिला कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक अथवा अन्य उच्च अधिकारी को फोन कर सकते हैं। लॉकडाउन जनता की सहूलियत और सुरक्षा के लिए किया जाता है.सभी प्राइवेट और कॉन्ट्रेक्ट वाले दफ्तर बंद रहते हैं, सरकारी दफ्तर जो जरूरी श्रेणी में नहीं आते, वो भी बंद रहते हैं।
लॉकडाउन कोरोना की जंग से जीतने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण के लिए भी काफी अहम साबित हो रहा है। इन दिनों हवा एकदम साफ हो गई है, लॉकडाउन खुलने के बाद भी इस समय का अध्ययन भविष्य में प्रदूषण नियंत्रण की राह तैयार करेगा। करीब तीन सप्ताह से चल रहे लॉकडाउन से समूची पृथ्वी पर पर्यावरण में व्यापक स्तर पर बदलाव देखने को मिला है। पेट्रोल और डीजल चालित वाहन बंद होने से हवा की गुणवत्ता ही नहीं सुधरी बल्कि औद्योगिक इकाइयां बंद होने से नदियों के पानी भी काफी साफ दिखाई दे रहा है। हर स्तर के आयोजन बंद होने और जनता के भी घरों में ही रहने के कारण ध्वनि प्रदूषण के स्तर तक में खासी गिरावट दर्ज की गई है। इस बदलाव पर तमाम अध्ययन भी किए जा रहे हैं।
पृथ्वी दिवस पर यह तथ्य विचारणीय है कि भविष्य में हमें पृथ्वी पर प्रदूषण रोकने की दिशा में सार्थक कार्य करने होंगे।
-------------
सागर, म.प्र.
प्रिय मित्रों, यह है मेरा युवाप्रवर्तक के आज दिनांक 22.04.2020 के अंक में प्रकाशित मेरा लेख " पृथ्वी दिवस , लॉकडाउन और पर्यावरण" ।
युवा प्रवर्तक के प्रति हार्दिक आभार 🙏
मित्रों, यदि आप चाहें तो पत्रिका में इसे इस Link पर भी पढ़ सकते हैं ...
http://yuvapravartak.com/?p=29999
#earthday #लॉकडाउन
#MotherEarth. #पृथ्वीदिवस
#युवाप्रवर्तक #कोरोना
No comments:
Post a Comment